यूरिया खेतों के लिए नुकसानदायक

Update: 2016-05-28 05:30 GMT
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लखनऊ। भारत में अधिकतर किसान रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते हैं जैसे यूरिया, डीएपी आदि से भले जमीन ज्यादा उपजाऊ हो जाए और फसल समय से पहले तैयार हो जाती है। लेकिन ये रासयनिक उर्वरक खेत को अंदर से बंजर बना देते हैं। इसलिए किसानों को  नुकसान से बचाने के लिए जैविक खादों का इस्तेमाल करना चाहिए।

गाय के गोबर से बनी खाद खेत को अंदर से मजबूत करती है, जिससे खेतों में होने वाली पैदावार अच्छी होती है। रासायनिक खाद धीरे-धीरे खेत को अंदर से खोखला बना देती है। साथ ही यह किसानों की लागत को भी बढ़ा देती है। अगर आप अपने खेत में पहले साल में एक बोरी यूरिया का इस्तेमाल करते हों तो दूसरे साल में आपको और अधिक और हर साल आपको यूरिया की मात्रा बढ़ानी पड़ सकती है। 

तीन साल तक रहता है असर

गाय के गोबर से बनी खाद का खेतों में तीन साल तक असर रहता है और फसल लहलहाती रहती है। लेकिन यूरिया सिर्फ एक फसल ही पैदा कर पाती है और यूरिया का खेतों में इस्तेमाल करने से जल्द ही खेतों को बंजर बना देती है। गाय के गोबर से बनी खाद खेत को अन्दर से मजबूत बनाए रखती है। मलिहाबाद के रहने वाले किसान राजू कुमार (50वर्ष) बताते हैं, “गाय के गोबर से बनी खाद का हम बहुत दिनों से प्रयोग कर रहे हैं।”

पहले हम भी यूरिया का प्रयोग करते थे। हमारे खेत में दो साल तक अच्छी फसल हुई। लेकिन उसके बाद फिर फसल बहुत कम पैदा होने लगी। लेकिन जब से गाय के गोबर से बनी हुई खाद का प्रयोग किया तो बंजर खेत फिर से कुछ ही दिनों में फसल से लहलहाने लगी। 

रिपोर्टर - सतीश कुमार सिंह

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