मार्च महीने में करें इस फसल की बुवाई गर्मियों में मिलेगा हरा चारा
Divendra Singh | Mar 21, 2018, 18:00 IST
गर्मियों में पशुओं के हरे चारे की समस्या बढ़ जाती है, ऐसे में पशुपालक इस समय लोबिया की बुवाई करे तो पशुओं के लिए पौष्टिक चारा उपलब्ध हो जाता है।
लोबिया एक तेज बढ़ने वाली दलहनी चारा है, अधिक पौष्टिक व पाचकता से भरपूर होने के कारण इसे घास के साथ मिलाकर बोने से इसकी पोषकता बढ़ जाती है। ये फसल साथ के खरपतवार को नष्ट करके मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है। इसको खरीफ और जायद मौसम में उगाया जा सकता है।
भूमि और खेत की तैयारी: लोबिया की खेती आमतौर पर अच्छे जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है, लेकिन दोमट मिटटी पैदावार के हिसाब से सर्वोतम मानी गयी है। खेत को तैयार करने के लिए हैरो या कल्टीवेटर से दो जुताई करने अंकुरण जल्दी और अच्छा होता है।
लोबिया की उन्न्त किस्में
सिंचाई: गर्मियों की फसल में आठ से दस दिन के अंतराल पर छह-सात सिंचाई करनी चाहिए, जबकि खरीफ मौसम में आमतौर पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन लंबे समय तक बारिश न होने पर 10-12 दिनों में सिंचाई करनी चाहिए।
कटाई: खरीफ मौसम की फसल 50-60 दिनों में और गर्मियों की फसल 70-75 दिन में कटाई (50 प्रतिशत फूल अवस्था) के लिए तैयार हो जाती है।
पशुपालक यहां से प्राप्त कर सकते हैं बीज: राष्ट्रीय बीज निगम, कृषि विश्वविद्यालय, राज्य बीज निगमों और स्थानीय बीज विक्रेताओं से भी खरीदा जा सकता है।
लोबिया एक तेज बढ़ने वाली दलहनी चारा है, अधिक पौष्टिक व पाचकता से भरपूर होने के कारण इसे घास के साथ मिलाकर बोने से इसकी पोषकता बढ़ जाती है। ये फसल साथ के खरपतवार को नष्ट करके मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ाती है। इसको खरीफ और जायद मौसम में उगाया जा सकता है।
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भारतीय चारागाह एवं चारा अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. पुरुषोत्तम शर्मा बताते हैं, "लोबिया पशुओं के लिए अच्छे चारे के रूप में प्रयोग की जाती है और जल्दी तैयार भी हो जाती है, इस महीने पशुपालक लोबिया की बुवाई कर सकते हैं।"
भूमि और खेत की तैयारी: लोबिया की खेती आमतौर पर अच्छे जल निकास वाली सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है, लेकिन दोमट मिटटी पैदावार के हिसाब से सर्वोतम मानी गयी है। खेत को तैयार करने के लिए हैरो या कल्टीवेटर से दो जुताई करने अंकुरण जल्दी और अच्छा होता है।
बुवाई का समय: गर्मियों की फसल के लिए बुवाई का सही समय मार्च होता है, खरीफ मौसम में लोबिया की बुवाई बारिश शुरू होने के बाद जुलाई महीने में करनी चाहिए।
लोबिया की उन्न्त किस्में
- कोहिनूर: उत्तर भारत
- श्वेता: महाराष्ट्र
- बुंदेल लोबिया-2: पूरे भारत में
- बुंदेल लोबिया-3: पूरे भारत में
- एफसी-8: तमिलनाडू
- जीएफसी-1,2,3,4 व चरोडी: गुजरात
- यूपीसी- 607, 618, 622: उत्तर पश्चिम उत्तर पूर्व, पहाड़ी क्षेत्र
- यूपीसी- 5287: उत्तर भारत
- आईएफसी- 8503, ईसी- 4216: उत्तर भारत, पश्चिम और मध्य भारत
- यूपीसी- 5286, 618: पूरे भारत में
बीज की मात्र व बुवाई: अगर अकेले लोबिया की फसल बोना है तो 40 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होता है और ज्वार या मक्का आदि के साथ बोना है तो 15 से 20 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है। बीज की बुवाई हल के पीछे कुडों में करना चाहिए। उपचारित बीज ही बोना चाहिए।
सिंचाई: गर्मियों की फसल में आठ से दस दिन के अंतराल पर छह-सात सिंचाई करनी चाहिए, जबकि खरीफ मौसम में आमतौर पर सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है, लेकिन लंबे समय तक बारिश न होने पर 10-12 दिनों में सिंचाई करनी चाहिए।
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खरपतवार नियंत्रण: 20-25 दिनों में खुरपी या वीडर से एक गुड़ाई से खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है। ट्रीफ्लूरानिन (0.75 किग्रा. प्रति हेक्टेयर) का बीज उगने से पहले छिड़काव करने से खरपतवार की वृद्धि कम होती है।
कटाई: खरीफ मौसम की फसल 50-60 दिनों में और गर्मियों की फसल 70-75 दिन में कटाई (50 प्रतिशत फूल अवस्था) के लिए तैयार हो जाती है।
पशुपालक यहां से प्राप्त कर सकते हैं बीज: राष्ट्रीय बीज निगम, कृषि विश्वविद्यालय, राज्य बीज निगमों और स्थानीय बीज विक्रेताओं से भी खरीदा जा सकता है।