इस समूह ने एक महीने में रोके 11 बाल-विवाह

Neetu SinghNeetu Singh   26 Feb 2018 11:41 AM GMT

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इस समूह ने एक महीने में रोके 11 बाल-विवाहसंस्था के लोग।

लखनऊ की ये आंगनबाड़ी कार्यकत्री अपना और अपनी बेटी का बाल-विवाह भले ही न रोक पाई हों लेकिन अब ये अपनी पंचायत में अपनी जानकारी में किसी का बाल-विवाह नहीं होने देती हैं। इस आंगनबाड़ी कार्यकत्री की तरह पंचायत स्तर के एक समूह ने ‘बाल-विवाह-अभी नहीं, कभी नहीं’ अभियान के तहत एक महीनें में 11 बाल-विवाह रोककर ये साबित कर दिया कि बाल-विवाह रोकना सिर्फ सरकार की नहीं बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है।

लखनऊ। “जब मैं पढ़ना चाहती थी कुछ बनना चाहती थी उस 15 साल की उम्र में मेरी शादी कर दी गयी थी। कम उम्र में शादी की क्या तकलीफें थी उसे मैंने सहन किया है। इसके बावजूद मेरी बेटी की शादी भी 16 साल पूरे होते ही हो गयी, उस समय भी मैं इसका विरोध नहीं कर पायी।” ये कहना है लखनऊ की एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री शिवरानी (63 वर्ष) का।

इस आंगनबाड़ी कार्यकत्री ने अपनी और अपनी बेटी के बाल-विवाह की तकलीफों और मुश्किलों को बखूबी देखा और महसूस किया था। शिवरानी ने कहा, “मैं नहीं चाहती अब किसी भी बेटी की कम उम्र में शादी हो। अपनी जानकारी भर किसी की कम उम्र में शादी नहीं होने देती। उन्हें अपनी परेशानियों के बारे में बताती हूँ देर से ही सही पर कई बार लगातार समझाने पर उनके बात समझ आ जाती है।” शिवरानी लखनऊ जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर माल ब्लॉक के केरौरा गांव की आंगनबाड़ी कार्यकत्री हैं।

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शिवरानी आंगनबाड़ी कार्यकत्री अपनी जानकारी में नहीं होने देती बाल-विवाह

शिवरानी की तरह पंचायत स्तर के कई लोग अब अपने आस-पास बाल विवाह नहीं होने देते। माल ब्लॉक की रूचि की भी शादी उसके घरवालों ने 17 साल की उम्र में उसकी बड़ी बहन की शादी के साथ ही जनवरी में तय कर दी थी जिससे दोनों बेटियों की शादी एक साथ हो जाए और खर्चा कम लगे। रूचि ने बताया, “मैं अभी और पढ़ना चाहती हूँ कुछ बनना चाहती हूँ। अपनी माँ से बहुत कहा कि अभी मैं शादी नहीं करना चाहती हूँ, पर उनकी भी कहाँ कोई सुनता है। तब मैंने आंगनबाड़ी वाली दीदी की मदद से बहुत मुश्किल से अपनी शादी रुकवा पायी।”

रूचि और शिवरानी की तरह लखनऊ के दर्जनों लोग ‘बाल विवाह-अभी नहीं, कभी नहीं’ अभियान के हिस्सा हैं। एक महीने में इस अभियान के द्वारा 11 बाल-विवाह रोके गयें। लखनऊ में ‘बाल विवाह- अभी नहीं, कभी नहीं’ अभियान की शुरुआत राज्य स्तर पर 23 जनवरी को महिला कल्याण विभाग की कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने की थी। जिले स्तर पर इस अभियान को हरी झंडी मुख्य विकास अधिकारी ने 25 जनवरी 2018 को दिखाई थी।

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यामिनी गुप्ता और रूचि ने रोका अपना बाल-विवाह

इस अभियान में जिले के सभी ब्लॉक के 10 से 15 ग्राम पंचायतों में स्कूल शिक्षकों, बच्चों, स्कूल प्रबंधन समिति के सदस्य, ग्रामीण स्वास्थ्य एवम स्वच्छता समिति के सदस्यों ने भागीदारी की थी। विकास खण्ड माल में ब्लॉक स्तर के अधिकारियों से लेकर पंचायत स्तर के लोगों के साथ एक कार्यशाला की गयी।

माल ब्लॉक के माध्यमिक स्कूलों में बच्चों के क्षमता वर्धन के लिए फिल्म शो, 67 ग्राम प्रचायतों में नुक्कड़ नाटक, ग्राम सभा की बैठक एवम जागरुकता रथ के माध्यम प्रचार प्रसार और विवाह से सम्बन्धित व्यक्तियों जैसे -पंडित जी, मुल्ला जी, टेन्ट एवं डीजे संचालक, हलवाई आदि व्यक्तियों के साथ कार्यशाला, दीवार लेखन जैसी कई चीजें एक महीने में की गयीं।

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मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत शर्मा ने बाल-विवाह रोकने वाले समूह को किया सम्मानित

बाल विवाह के खिलाफ एक महीने से चल रहे इस अभियान का समापन 24 फरवरी को विकास भवन के सभागार में मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्ष्यता में किया गया। एक महीनें में 11 बाल विवाह रोकने वाले समूह को मुख्य विकास अधिकारी प्रशांत शर्मा ने सम्मानित किया। उन्होंने कहा, “पंचायत स्तर के लोगों ने जो ये काम किया है ये बहुत ही सराहनीय है। अगर बाल-विवाह को रोकने में सरकारी अधिकारी सक्रिय हो जाएं और पंचायत स्तर पर ग्रामीणों को शामिल किया जायें तो निश्चित तौर ये कुप्रथा समाप्त हो सकती है।”

उन्होंने आगे कहा, “एक महीने में 11 बाल विवाह रुकना एक ब्लॉक के लिए बड़ी बात है। ये अभियान इसलिए सफल रहा क्यों कि इसमें बच्चों से लेकर उनके माता-पिता, शिक्षक, आशा बहु, आंगनबाड़ी, टेंट हाउस, पंडित यानि सभी स्टेक होल्डर्स को शामिल किया गया।”

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‘बाल विवाह-अभी नहीं, कभी नहीं’ अभियान के समापन के दौरान मुख्य विकास अधिकारी ने बाल-विवाह रोकने वाले समूह की सराहना की

यूनीसेफ की 2016 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 47 प्रतिशत शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हो जाती है। नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे-4 की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश में 20-24 वर्ष में 21.2 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हो गयी थी। श्रावस्ती जिले में यह दर 68.5 प्रतिशत थी। लखनऊ में ये अभियान प्लान और वात्सल्य संस्था के सहयोग से माल ब्लॉक के 67 ग्राम पंचायतों में चलाया गया था।

इस मुहिम के दौरान लगभग 1325 लाभार्थियों और 30 हजार ग्रामीणों ने नुक्कड़ नाटक देखा। वहीं 16211 लोगों ने शपथ पत्र पर हस्ताक्षर किये। हाई स्कूल के 1555 विद्यार्थियों ने बाल विवाह न करने एवम बाल विवाह रोकने की शपथ ली। यह अभियान लखनऊ के अलावा महाराजगंज, भदोही, मिर्जापुर, अम्बेडकरनगर जिलों में सहयोगी संस्थाओं की मदद से प्लान इण्डिया के सहयोग से चलाया जा रहा है। जिसका समापन राज्य स्तर पर महिला दिवस की पूर्व संध्या पर 7 मार्च 2018 को सम्पन्न होगा।

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हस्ताक्षर अभियान में अधिकारीयों ने हस्ताक्षर करके बाल-विवाह रोकने की ठानी

वात्सल्य संस्था की प्रमुख डॉ नीलम सिंह ने कहा, “अगर जिले स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर और ग्रामीण स्तर के सभी जिम्मेदार लोग बाल-विवाह को रोकने के लिए सक्रिय हो जाएं तो इन आंकड़ों में कमी आ सकती है। इस समूह ने अपने और दूसरों के बाल विवाह रोककर ये साबित कर दिया कि कुछ भी करना असम्भव नहीं है।” प्लान इण्डिया के प्रतिनिधि नितेश मिश्रा ने कहा, “इस अभियान को चलाने का मुख्य उद्देश्य यही है कि लोगों में बाल-विवाह रोकने की जागरूकता आये। सभी लोगों को शामिल करके प्रशिक्षण दिया गया जिससे हर कोई बाल-विवाह रोकने की अपनी जिम्मेदारी समझे।”

इस कार्यक्रम में शामिल कई लोगों ने अपने अलग-अलग सुझाव दिए। बच्चों ने कहा बाल विवाह रोकने के लिए हमारे पाठ्यक्रम में एक अध्याय होना चाहिए।वहीं ग्राम प्रधानों ने कहा ग्राम पंचायत से सहमति पत्र लेना अनिवार्य कर देना चाहिए। कुछ लोगों ने यह भी सुझाव दिया कि तहसील स्तर पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी की नियुक्ति हो।

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राजेश कुमार (पंडित जी) नहीं करवाते किसी का बाल-विवाह

वहीं जो ग्रामीण स्तर पर बाल विवाह कराते हैं उन पुरोहितों को जन्म प्रमाण के बाद ही शादी की तारीख़ निर्धारित की जाए। शादी के कार्ड छापने वाली मशीन बिना आयु प्रमाण पत्र देखे कार्ड न छापें। इस तरह के इस कार्यक्रम में बाल विवाह को रोकने के लिए अनगिनत सुझाव दिए गये।

कैसे रोकें बाल विवाह

बाल विवाह रोकने के लिए परिवार का कोई भी सदस्य, गाँव का मुखिया, आशा, आंगनबाड़ी, बाल संरक्षण समिति के सदस्य जिनकी शादी हो रही है वो खुद भी 100,1090, 181 हेल्पलाइन पर शिकायत कर सकते हैं। महिला एवमं बाल विकास विभाग द्वारा हर जिले में तैनात प्रोबेशन अधिकारी को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है।

बाल विवाह को लेकर उत्तर प्रदेश के 33 जिलों की स्तिथि बहुत दयनीय है। जनपद श्रावस्ती में 82.9 फीसदी, महाराजगंज में 82.4 फीसदी, तथा बहराइच में 79 फीसदी बाल विवाह होता है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मुताबिक 15 साल में बाल-विवाह 11 फीसदी घटे हैं लेकिन ये रफ्तार अभी भी बहुत धीमी है।

इस कार्यक्रम में जिला विकास अधिकारी, जिला पंचायती राज अधिकारी ,श्रम उपायुक्त, जिला परियोजना अधिकारी, जिला परीवीक्षा अधिकारी, समस्त सहायक विकास अधिकारी पंचायत, समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी, ग्राम प्रधान, ग्राम बाल संरक्षण समिति के सदस्यों, बाल संरक्षण इकाई सदस्यों, विशेष किशोर पुलिस इकाई के सदस्यों तथा बच्चों आदि ने प्रतिभाग किया।

संयोगिता ने अपने पड़ोसी का रोका बाल-विवाह

   

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