कैसे फैलता है H3N2 इन्फ्लूएंजा और कैसे रख सकते हैं खुद को सुरक्षित? जानिए विस्तार से

Manvendra Singh | Mar 21, 2023, 13:25 IST
मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन (एक्यूट रेस्पिरेटरी) संक्रमण रोग है, जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। इस बीमारी को लेकर अभी भी लोगों में कई तरह की भ्रांतियां हैं।
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कोरोना महामारी के बाद अब भारत में इंफ्लूएंजा वायरस H3N2 ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है, लेकिन अभी भी इस बीमारी को लेकर लोगों में कई तरह के भ्रम हैं, कि ये बीमारी कैसे होती है, इसके लक्षण दूसरे फ्लू से कितने अलग होते हैं, साथ ही इसके संक्रमण से कैसे खुद को बचाया जा सकता है। ऐसे ही कई सवालों के जवाब दे रहे हैं डॉ. मृदुल मेहरोत्रा।

H3N2 वायरस एक म्यूटेंट वायरस है, इसमें कोई नई बात नहीं है और घबराने की बात नहीं है इस तरह के वायरस हर साल आते हैं। जब से पृथ्वी अस्तित्व में है तब से ऐसे वायरस आते रहते हैं और आगे भी आते रहेंगे। पहले H1N3 था, जो म्युटेट होकर H3N2 हो गया है। एक RNA वायरस है जिसमें एक एंटीजेन शिफ्ट और एंटीजेन ड्रिफ्ट की प्रापर्टी होती है। जो हर 6 महीने पर म्युटेट करता और 1 साल पर 1 नया इंफेक्शन क्रास करता है ,इसलिए हर साल एक वायरल फीवर होता है H3N2 तो वही इसलिए इसका नाम रख दिया गया हॉन्क कॉन्ग फ्लू। ,

अगर इसके लक्षण की बात करें तो गला थोड़ा खराब रहता है, दूसरे जो भी फ्लू होते हैं, उनमें खांसी-जुकाम 2-3 दिन में ठीक हो जाता था, H3H2 थोड़ा म्यूटेट हो गया है। इसमें गला थोड़ा ज्यादा खराब रहता है। इसकी जांच करते हैं तो देखते हैं कि काफी टॉन्सिल में सूजन रहती है। अगर मरीज की इम्युनिटी बढ़िया है तो ठीक है नहीं तो कई बार ऑर्गन भी फेल हो सकते हैं। इसलिए अगर ऐसे लक्षण दिखाई दें तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं।

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मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन (एक्यूट रेस्पिरेटरी) संक्रमण रोग है, जो इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होता है। यह विश्व के सभी हिस्सों में फैलता है और वैश्विक स्तर पर कुछ महीनों के दौरान इसके मामले बढ़ते हुए देखे गए हैं। भारत में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामले दो बार सबसे अधिक दर्ज होते हैं। पहला, जनवरी से मार्च तक और दूसरा, मॉनसून के बाद के मौसम में। मार्च के अंत से मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों में कमी आने की उम्मीद है। इसे देखते हुए राज्य निगरानी अधिकारी इस सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।

इस वायरस संक्रमण में घरेलू नुस्खे काम के साबित हो सकते हैं। हमारे शरीर मे खुन गाढा हो जाता है, जितने भी वायरस हो चाहे कोविड हो या वायरल हो या H3N2 हो सभी के संक्रमण के नारियल पानी, पानी, और तुलसी की चाय पिएं। खुद को हाईड्रेड रखने के लिए नींबू शिकंजी पीए, ओआरएस पीए। दिन भर में कम से कम 3 जग पानी जरूर पीना चाहिए।

Also Read:' गेमिंग डिसऑर्डर' - मोबाइल फोन की लत ग्रामीण बच्चों को दे रही नई बीमारी; गाँव कनेक्शन की ग्राउंड रिपोर्ट वैसे तो पांच-सात दिनों में ठीक हो जाते हैं, लेकिन कई बार लंबे समय तक वायरस का इंफेक्शन बना रह सकता है। इसलिए खुद को आईसोलेट रखें और डॉक्टर से संपर्क करें।

अगर इससे बचना है तो तीन मूल मंत्रों को ध्यान में रखें, एक आराम, दूसरा तरल पदार्थ का सेवन करके खुद को हाईड्रेट रखें और तीसरा खुद को आइसोलेट कर दें।

हर वायरल फीवर ड्रॉपलेट से फैलता है तो ये भी खाँसी, छींक, से भी फैलता है एक को होगा दो को होगा लेकिन हॉ अगर किसी की इम्युनिटी अच्छी है तो उसपर कोई असर नहीं होगा। इसनिए मास्क लगाए रखें, खुद को भी सुरक्षित रखें और दूसरों को भी। और हां नींद भरपूर लें।

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