मेरठ में स्वाइन फ्लू से लोगों में दहशत, छह लोगों में हुई पुष्टि

Sundar Chandel | Jul 29, 2017, 13:31 IST

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। आमतौर पर गर्मियों में बेअसर होने वाला स्वाइन फ्लू का वायरस सर्दियों में ही असर दिखाता है, लेकिन अब यह 36 से 40 डिग्री तापमान में भी लोगों को निशाना बना रहा है। जनपद में अभी तक छह लोगों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हो चुकी है, जबकि दो मरीजों की रिपोर्ट आनी अभी बाकी है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार आसपास के जिलों में भी सामने आ रहे हैं।

डेंगू मलेरिया और चिकनगुनिया से निपटने की तैयारी में लगा जिला स्वास्थ्य विभाग इस मौसम में स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आने से हैरत में है। स्वाइन फ्लू का वायरस एच1एन1 पिछले कुछ वर्षों में जनवरी से मार्च माह तक ही सक्रिय रहता था। साथ ही गर्मियों में पूरी तरह निष्क्रिय हो जाता है। चिकित्सकों के अनुसार, चौकाने वाली बात यह है कि 18 डिग्री से अधिक तापमान पर सुप्तावस्था में चला जाने वाला वायरस गर्मी में भी सक्रिय है। साथ ही जून और जुलाई माह में भी लोगों पर हमला बोल रहा है, जबकि जुलाई में पारा 35 से 40 डिग्री के आसपास रहता है।

विशेषज्ञ डॉक्टर अनिल जैन बताते हैं, “कुछ लोग गर्मी के मौसम में ठंडी जगह घूमने जाते हैं। बस वहीं से यह वायरस आया है।” सीएमओ डॉ. राजकुमार बताते हैं, “वातानुकुलित वातावरण में रहने और सफर के दौरान स्वाइन फ्लू संक्रमित मरीज के संपर्क में रहने से स्वस्थ मरीज भी इसकी चपेट में आ सकता है। राज्य के स्वास्थ्य निदेशालय को स्थिति के बारे में अवगत करा दिया गया है। जांच में पता चला कि प्रेरणा नामक महिला बद्रीनाथ घूमकर घर लौटी थीं, जिसे सबसे पहले स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। इसी बात से अंदेशा लगाया जा रहा है, बाकी मरीज भी बाहर से ही वायरस को लेकर आए हैं।”

ऐसे होती है जांच

एच1एन1 संक्रमण से पीड़ित व्यक्ति के गले की लार का सैंपल माइक्रोबायोलाजी लैब में भेजा जाता है। एलाइजा जांच के बाद पता चलता है कि स्वाइन फ्लू है या नहीं। कई बार निजी लैब में एच1एन1 की पुष्टि हो जाती है। इसके बाद भी अधिकारिक पुष्टि के लिए सरकारी लैब में सैंपल भेजा जाता है।

उपचार

शुरुआत में पैरासिटामोल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती है। बीमारी बढ़ने पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर, रेलेंजा जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का उपचार किया जाता है।

विभाग की तैयारी

सीएमओ कार्यालय, जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज में टैमी फ्लू की करीब 10 हजार टेबलेट हैं। साथ ही दोनेां अस्पतालों में दस-दस बेड आरक्षित है। इसके अलावा पीएचसी और सीएचसी में भी बेड आरक्षित करने के लिए कह दिया गया है।

ये हैं लक्षण

डॉ. अनुज बताते हैं, “नाक का लगातार बहना, छींक आना, ठंड लगना और लगातार खांसी, मांसपेशियों में दर्द, नींद न आना, ज्यादा थकान, दवा खाने पर भी बुखार का बढ़ना, गले में खरास का बढते जाना इसके मुख्य लक्षण हैं।

बरतें सावधानियां

स्वाइन फलू की आशंका हो तो सरकारी संस्थान में जांच कराएं, आराम करें, शरीर में पानी की कमी न होने दें, आस-पास कोई खांस रहा है तो एहतियात बरतें, हाथों को साबुन से साफ करें।

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