इस तरह किसानों को परेशान कर रही है ‘फूलनिया’

गाँव कनेक्शन | Jun 01, 2017, 12:07 IST
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आमिल मरहेरा, स्यवं प्रोजेक्ट डेस्क

अलीगढ़। क्षेत्र के किसान कड़ी मेहनत से फसल पैदा कर रहे हैं, लेकिन फूलनिया (जहरीली घास) है कि किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। पिछले तीन वर्ष से फूलनिया (जहरीली घास) किसानों को कुछ ज्यादा परेशान कर रही है। वह खेतों पर अपना कब्जा जमाकर फसलों को चौपट कर रही है।

यह घास बहुत ही खतरनाक होती है, अगर भैंस या गाय इस घास को खा ले तो वह कड़वा दूध देने लगती हैं। किसान फूलनिया से निपटने का माकूल इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। वहीं कृषि विशेषज्ञ इसमें किसानों को जागरूक होने की सलाह दे रहे हैं।

किसानों की मानें तो फूलनिया एक जहरीली घास है। खेतों में पहले यह छोटी-छोटी घास के रूप में नजर आती है। कुछ ही समय में यह बड़े-बड़े पौधे का रूप ले लेती है। इस पर छोटे-छोटे सफेद फूल आते हैं। यह कुछ ही समय में कई बीघा खेतों में फैल जाती है और अपना रकबा बढ़ाती रहती है। यह सबसे अधिक जंगली क्षेत्रों में पाई जाती है। इसे फूलनिया के अलावा ‘गाजर घास’ भी कहा जाता है।

गाँव सुल्तानपुर निवासी किसान हेतराम (48 वर्ष) बताते हैं, “खेत में टमाटर की फसल हो रही थी। अभी टमाटर की पौध पर टमाटर आ रहे थे, लेकिन फूलनिया घास ने पूरे खेत पर कब्जा कर लिया, जिससे पूरे 20 बीघा टमाटर की पौध नष्ट हो गई और टमाटर सड़ गए।” वहीं गाँव सिरसाबदन निवासी किसान निर्मल कुमार (45 वर्ष) ने बताया, “यह घास काफी खतरनाक है। पहले यह क्षेत्र में कम हुआ करती थी। खेतों के मेढ़ पर कभी नजर आ जाया करती थी, लेकिन अब तो यह काफी मात्रा में हो रही है। इससे फसलें खराब हो रहीं हैं। मैंने तरबूज की फसल की थी, लेकिन इस घास की वजह से यह पूरी तरह खराब हो गई।”

वहीं मारहरा निवासी किसान यूनुस (50 वर्ष) का कहना है, “हमारे 12 बीघा खेत में अभी फूलनिया घास खड़ी हुई है। टमाटर की फसल की थी। पहली खेप तो निकाल ली, लेकिन अब इस घास की वजह से टमाटर की पौध सड़ गई है। यह घास बहुत ही खतरनाक होती है अगर भैंस या गाय इस घास को खा ले तो वह कड़वा दूध देने लगती है।”

कृषि अध्यापक रमेशचन्द्र से जब इस समस्या के समाधान के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने बताया, “जब यह घास छोटी हो तभी किसानों को चाहिए की इसको दवाइयों के माध्यम से नष्ट कर दिया जाए।”

“वहीं अक्सर किसान इस घास को बड़ा होने पर उखाड़ कर खेतों के किनारे ही फेंक देते हैं, जिससे यह फिर से खेतों में उगना शुरू हो जाती है। किसानों को चाहिए कि वह इस घास को एक गढ्डा खोदकर उसमे दबा दें, जिससे इस घास से निजात मिल सके।” उन्होंने आगे बताया।

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