औषधीय पौधों की खेती ने किया मालामाल, 25 से ज्यादा जड़ी-बूटियाँ उगा रहा यह किसान

उत्तर प्रदेश का यह किसान 25 से ज्यादा औषधीय पौधों की खेती कर रहा है। कभी पांच बीघे से खेती की शुरुवात करने वाला यह शख्स आज 110 एकड़ में औषधीय पौधे उगा रहा है।

Mohit SainiMohit Saini   5 Sep 2020 8:48 AM GMT

मेरठ (उत्तर प्रदेश)। करीब 28 साल पहले पांच बीघे जमीन में औषधीय पौधों की खेती की शुरुवात करने वाले अशोक चौहान एक वक़्त खेती में काफी नुकसान झेल रहे थे, फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी। यही वजह रही कि आज वह न सिर्फ 110 एकड़ में 25 से ज्यादा औषधीय पौधों की खेती कर रहे हैं, बल्कि 300 से ज्यादा लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले का यह किसान सिर्फ मेरठ में ही नहीं, बल्कि मथुरा, सहारनपुर और उत्तराखंड में भी औषधीय पौधें उगा रहा है। यही वजह है आज उनकी खेती की उपज दिल्ली, राजस्थान जैसे राज्यों के बाजारों में भी जाती है और उसकी अच्छी कीमत भी मिलती है।

आज किसान अशोक चौहान के पास औषधीय पौधों की खेती की जानकारी लेने के लिए दूर-दूर से किसान आते हैं। इतना ही नहीं विदेशों से भी कई लोग उनकी खेती करने के तरीके देखने और सलाह लेने के लिए आ चुके हैं।

उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के दौराला ब्लॉक में गाँव मटौर के रहने वाले किसान अशोक चौहान 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "शुरुआत में पांच बीघा जमीन से औषधीय पौधों की खेती की शुरुआत की थी, उस समय लगभग एक लाख से अधिक का खर्चा आया, पहले काफी नुकसान झेलना पड़ा, जीवन में कई उतार-चढ़ाव आये, सालों कमाई नहीं हुई, मगर डटे रहे, अब मुझे गर्व महसूस होता है कि आज मैं करीब 110 एकड़ में औषधीय पौधों की खेती कर रहा हूँ।"

सर्पगंधा, सतावरी, अकरकरा, एलोवेरा जैसी करीब 25 से अधिक मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं अशोक चौहान। फोटो : गाँव कनेक्शन

अशोक ने सबसे पहले हल्दी और तुलसी की खेती से शुरुआत की। धीरे-धीरे उन्होंने और औषधीय पौधों को भी अपनाया और अब वह सर्पगंधा, सतावरी, अकरकरा, एलोवेरा जैसी करीब 25 से अधिक मेडिसिनल प्लांट की खेती कर रहे हैं।

अशोक बताते हैं, "हमारे बाबा जी किसी जमाने में वैध का काम करते थे तो उस समय गाँव के आसपास के लोग उनकी हाथ से बनी दवाई का इस्तेमाल करते थे और रोगमुक्त हो जाते थे, वह भी औषधीय पौधे अपने घर में उगाते थे जिससे गांव के आसपास के लोगों का उपचार किया जा सके।"

"बाबा के बाद हमारे पिताजी को भी मेडिसन प्लांट का ज्ञान था तो उन्होंने भी इस कार्य को जारी रखा वह हमें भी ज्ञान देते थे कि कहीं डॉक्टर के पास आपको जाने की जरूरत नहीं है, हमारे आस-पास ऐसी औषधियां पाई जाती हैं कि जिससे हम छोटे-मोटे रोग से मुक्त हो सके," अशोक बताते हैं।

यही वजह रही कि अशोक ने अपने पारिवारिक माहौल को देखते हुए इसी क्षेत्र में कुछ करने की ठानी ताकि समाज के हर वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिल सके। अशोक एमएससी बॉटनी की पढ़ाई के लिए उत्तराखंड गए। वहीं पर उन्हें औषधीय पौधों की तमाम जानकारी मिली। पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ दिन उन्होंने प्राइवेट नौकरी भी की, मगर उनका मन नहीं लगा, नौकरी छोड़ कर वह अपने गाँव वापस लौट आए और औषधीय पौधों की खेती शुरू की है।

अशोक चौहान बताते हैं, "हम अभी मेरठ में करीब 25 से अधिक औषधि पौधों की खेती कर रहे हैं। इनमें काली हल्दी, तुलसी, सर्पगंधा, सतावरी, अकरकरा, एलोवेरा, केवकंद, कालमेघ चित्रक, अनंतमूल, मैदा छाल जैसे पौधे शामिल हैं जिससे हमें हर साल अच्छा खासा मुनाफा मिल जाता है।"

औषधीय पौधों की खेती में 300 से ज्यादा महिलाओं और पुरुषों को रोजगार भी दिया। फोटो : गाँव कनेक्शन

किसान अशोक चौहान बताते हैं, "आने वाला समय हर्बल या नैचुरल का ही है। मेरे पास तमाम प्रकार की दवाइयां हैं जिससे मैंने खुद रिसर्च की है और सभी जड़ी बूटियों द्वारा निर्मित हैं। खुद जड़ी-बूटियों की खेती कर उन्हीं से मैं यह दवाई तैयार करता हूं। जो साइंस और बॉटनी के छात्र हैं वह मुझसे जानकारी लेने के लिए समय-समय पर आते रहते हैं और मैं उन्हें हमेशा प्रेरित करता हूं।"

अशोक चौहान ने औषधीय पौधों की खेती में 300 से ज्यादा महिलाओं और पुरुषों को रोजगार दिया हुआ है। ये सभी मेरठ, सहारनपुर, मथुरा और उत्तराखंड के हैं जो फार्म में काम करने के साथ औषधीय पौधों की खेती के बारे में भी जानकारी एकत्र करते रहते हैं।

औषधीय पौधों की खेती देखने आये कई विदेशी मेहमान

अशोक चौहान 'गांव कनेक्शन' से बताते हैं, "हमारी औषधीय पौधों की खेती को देखने के लिए देश से नहीं, बल्कि विदेशों के कई लोग हमारे यहां आ चुके हैं। उन्होंने हर्बल या मेडिसिनल प्लांट के बारे में जानकारी ली और हमारी खेती को देखकर काफी सराहना भी की। इतना ही नहीं उन्होंने अपने यहां के किसानों को ट्रेनिंग देने आने के लिए न्योता भी दिया।"

'बाजार की समस्या नहीं'

किसान अशोक चौहान बताते हैं, "जो मेडिसन प्लांट की खेती हम कर रहे हैं तो उनके लिए बाजार की समस्या नहीं होती क्योंकि फार्मेसी कंपनियां किसान से सीधा संपर्क करती हैं और अच्छे दामों में माल खरीदती हैं तो बाजारों की तो कोई समस्या ही नहीं है।" आगे कहते हैं, "हम अपने माल की बात करें तो हमारा माल राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली जैसे अन्य राज्यों में जाता है जिसमें हम डिमांड भी पूरी नहीं कर पाते।"

अधिक जानकारी के लिए अशोक चौहान के मोबाइल नंबर (9412708113) पर संपर्क कर सकते हैं।

यह भी पढ़ें :

बंपर मुनाफे के लिए इस तरीके से करें फूल गोभी की खेती, तस्वीरों में देखिए गोभी की यात्रा

बुवाई से लेकर कटाई तक, महिला किसानों के काम आसान करेंगे कृषि यंत्र


#farmers #agriculture #medicinal plant farming #uttarpradesh #story #video 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.