बारिश न होने से धान में बढ़ रहा गंदीबग और झुलसा रोग का प्रकोप 

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बारिश न होने से धान में बढ़ रहा गंदीबग और झुलसा रोग का प्रकोप धान की खेती को देखता किसान 

रवीन्द्र सिंह, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

सकरावा (कन्नौज)। जिले में किसान पहले से ही पानी की कमी से जूझ रहे थे, वहीं अब फसल में रोग लगने से किसान परेशान हैं। वैज्ञानिकों की टीम जिले में गाँव-गाँव जाकर किसानों को इससे बचने के उपाय भी बता रही हैं।

जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब 75 किमी दूर पर स्थित गाँव नगला विषुना निवासी सत्यपाल (35 वर्ष) बताते हैं, ‘‘धान की बाली का दाना काला हो रहा है। गर्मी ज़्यादा पड़ रही है, इसलिए दवा डालने में भी दिक्कत है। हर बार धान में यह रोग लग जाता है।’’

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फसलों में कीट नियंत्रण और मित्र कीटों को बचाने पर काम कर रही संस्था केंद्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, लखनऊ से मिली जानकारी के अनुसार लंबे समय तक बारिश न होने के कारण धान की फसल में नमी की मात्रा कम पड़ जाती है। नमी कम रहने से धान में दीमक, पत्ती लपेटक, वाइट बग और ग्रीन हॉपर जैसे कीटों का प्रकोप बढ़ जाता है।

सौरिख विकास खंड क्षेत्र के लालपुर गाँव निवासी मुकेश (42 वर्ष) बताते हैं,‘‘धान की बाली सफेद हो रही है। कृषि रक्षा इकाई पर मैलाथियान दवा नहीं है। इससे हमे परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।’’

झुलसा रोग के मिले लक्षण

‘‘धान में इस समय बैक्टीरियल झुलसा भी लगता है। इससे पत्तियां ऊपर से नीचे की ओर सूखना शुरू लगती हैं। रोग से बचाव के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइट 500 ग्राम के साथ में स्पोक्ट्रोसाइकलिंग 40 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिड़काव 800 लीटर पानी में मिलाकर करना चाहिए।’’डाॅ. वीके कनौजिया ने बताया।

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क्या कहते हैं कृषि वैज्ञानिक

जिला मुख्यालय कन्नौज से करीब 19 किमी दूर बसे अनौगी कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डाॅ. वीके कनौजिया बताते हैं, “धान में बालियां निकलने का समय है। इस समय फसल में गंदीबग का प्रकोप बढ़ जाता है। गंदीबग इसका नाम है क्योंकि इसमें दुर्गंध आती है। इसके प्रकोप से बचने के लिए सुबह के समय मैलाथियान धूल का छिड़काव करना चाहिए। यह धूल पत्तियों पर चिपक जाएगी और जो भी कीट-पतंगे खाएंगे वो मर जाएंगे।’’

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