मुनाफे का नया ज़रिया बनने से खेती की तरफ रुख कर रहे हैं कश्मीर के युवा

कश्मीर के युवा इन दिनों दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बन गए हैं। पोस्ट ग्रेजुएट यानि एमए या एमएससी डिग्री वाले यहाँ के कई युवाओं ने, बागवानी, मधुमक्खी पालन और मसालों की खेती में कमाल कर दिखाया है। वे न सिर्फ इससे खुद आत्मनिर्भर बन रहे हैं, बल्कि दूसरों के लिए रोजगार भी उपलब्ध करा रहे हैं।

Mudassir Kuloo and Raouf DarMudassir Kuloo and Raouf Dar   10 May 2023 6:35 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
मुनाफे का नया ज़रिया बनने से खेती की तरफ रुख कर रहे हैं कश्मीर के युवा

फ़ैसल जैविक हिमालयन शहद बेचते हैं। शहद के अलावा आज 30 से अधिक स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले जैविक उत्पादों जैसे, बादाम, अखरोट, खुबानी, केहवा पाउडर, हिमालयन सोयाबीन और राजमा का भी कारोबार करते हैं।

श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर। श्रीनगर के खेतों में 39 साल के फ़ैसल सिमोन को देख कर किसी के लिए पहली बार यकीन करना मुश्किल होता है की ये बॉलीवुड के अभिनेता, निर्माता और निर्देशक भी रहे हैं। यूनाइटेड किंगडम से फिल्म निर्माण में पोस्ट ग्रेजुएट की डिग्री हासिल करने के बाद 15 साल तक मायानगरी में फ़ैसल अपने हुनर का कमाल दिखा चुके हैं। लेकिन अब ये एक सफल मधुमक्खी पालक हैं।

कोविड 19 की महामारी के दौरान जब सब कुछ ठप था, तब बदलते हालात में उन्हें कुछ नया करने का सूझा। उसी सोच और मेहनत का नतीजा है "वर्जिन हिमालय"। ये वो ब्रांड है जिसके जरिये फ़ैसल जैविक हिमालयन शहद बेचते हैं। शहद के अलावा आज 30 से अधिक स्थानीय रूप से उगाए जाने वाले जैविक उत्पादों जैसे, बादाम, अखरोट, खुबानी, कहवा, हिमालयन सोयाबीन और राजमा का भी कारोबार करते हैं।

"मैं साल 2020 में दिल्ली से श्रीनगर लौटा जब महामारी फैली थी। हफ्तों तक घर में बंद रहने के कारण मुझे सोचने का काफी समय मिला और मैंने मधुमक्खी पालन की दुनिया में कदम रखने का फैसला किया, "फ़ैसल ने गाँव कनेक्शन को बताया। वह अकेले शहद के कारोबार से करीब 18 लाख रुपये कमाते हैं।

24 साल की गौहर कीवी किसान भी हैं। 2021 से वह दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में अपने गाँव आशाजीपोरा में कीवी उगा रही हैं।

कुछ ऐसी ही कहानी गौहर जबीन की है। शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी कश्मीर से कृषि अर्थशास्त्र में मास्टर कर रही हैं। लेकिन 24 साल की गौहर कीवी किसान भी हैं। 2021 से, वह दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में अपने गाँव आशाजीपोरा में कीवी उगा रही हैं।

“क्योंकि मैं एक कृषि छात्रा हूं, मुझे पता है कि कीवी कैसे उगाना है। मुझे बचपन से ही खेती में दिलचस्पी है। और, जब से मैंने अपनी जमीन पर कीवी उगाना शुरू किया है, मैं 10 लोगों को रोजगार देने में सक्षम हूं, "उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया।

फ़ैसल सिमोन और जबीन की तरह, कश्मीर में कई युवा कृषि से संबंधित कामों की तरफ रुख कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस क्षेत्र में अब न केवल अच्छा मुनाफा है बल्कि दूसरों के लिए रोज़ग़ार के मौके भी पैदा होते हैं। मधुमक्खी पालन, मसाले और कीवी की खेती कुछ ऐसे रास्ते हैं, जिनमें कश्मीरी युवा किस्मत आजमा रहे हैं। हैरत की बात ये है कि इनमें से ज़्यादातर के पास गैर कृषि से असंबंधित विषयों में डिग्री है, बावजूद इसके किसी में उत्साह की कमी नहीं है।

मेहनत से गाड़े सफलता के झंडे

फिल्म-निर्माता फ़ैसल को मधुमक्खियों के बारे में बिल्कुल जानकारी नहीं थी। वे खुद कहते हैं, “मैंने 100 मधुमक्खी के छत्ते खरीदे और कश्मीर के कई विशेषज्ञों से मधुमक्खी पालन के बारे में सीखा। मैंने किताबें भी पढ़ीं और यूनिवर्सिटी से मधुमक्खी पालन की तकनीक और उनकी संख्या बढ़ाने से जुड़ा साहित्य भी ख़रीदा। "

फ़ैसल के पास मधुमक्खियों से भरे 300 से अधिक बक्से हैं, और उनसे 500 से 700 किलो ग्राम तक शहद का उत्पादन हो जाता है। वे कहते हैं, "हम गुणवत्ता जांच और मानकों से कोई समझौता नहीं करते हैं।"

“मैंने ग्राहकों को शुद्ध शहद उपलब्ध कराने के लिए यह व्यवसाय शुरू किया था। कश्मीरी शहद को भारत में सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि बबूल के शहद में पहाड़ी फूल स्रोत होते हैं जिन्हें किसी कीटनाशक या रसायन ने छुआ तक नहीं है। हम भाग्यशाली हैं क्योंकि कश्मीरी शहद न केवल अपने औषधीय गुणों के लिए बल्कि जैविक प्रकृति के लिए भी दुनिया में सबसे अच्छा माना जाता है, "फ़ैसल ने गाँव कनेक्शन से कहा।


वे कहते हैं, “हम हिमालयन मनुका शहद, वाइल्डफ्लावर हनी (शहद), बबूल हनी और केसर हनी सहित शहद की कई किस्मों का उत्पादन करते हैं। हिमालयन मनुका शहद का उत्पादन जंगल की मधुमक्खियों से होता है, मधुमक्खी पालन से नहीं।"

उनके अनुसार, कश्मीर में ठंडे मौसम के कारण मधुमक्खी पालन चुनौतीपूर्ण है। "अक्टूबर के अंत तक हम अपनी मधुमक्खियों को कश्मीर से पंजाब और राजस्थान पहुँचा देते हैं। मई के आसपास फिर कश्मीर लौट आते हैं। मैंने दो कुशल सहयोगी साथ में रखा है जो इस दौरान मेरी मधुमक्खियों की देखभाल करते हैं, "फ़ैसल ने कहा।

मसाला कारोबार से सपनों की उड़ान

कृषि या इससे जुड़े कामों में कश्मीरी महिलाओं की भी संख्या तेजी से बढ़ रही है। अनंतनाग जिले के बटागुंड वेरीनाग की पोस्ट ग्रेजुएट 25 साल की उर्फी जान 25 अन्य महिलाओं के साथ पिछले एक साल से मसाले उगा रही हैं, और उन्हें बाजारों में बेच रही हैं।

उर्फी जान गाँव कनेक्शन को बताती हैं, "हम सभी अपनी-अपनी जमीन पर मसाले उगाते हैं और फिर उन्हें पैकेजिंग सेंटर में लाते हैं, जहां से हम उन्हें डीलरों के माध्यम से बाजारों में बेचते हैं।"


“हम अपने खेतों में किसी भी रसायन का इस्तेमाल नहीं करते हैं, केवल पोल्ट्री खाद का उपयोग करते हैं। सभी लड़की हर महीने 10 से 20 हज़ार रुपये कमाती हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके मसालों की मात्रा कितनी है? हमारा मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को शुद्ध उत्पाद उपलब्ध कराना है। हमारी कमाई हर मौसम में अलग-अलग होती है, ”उर्फी ने कहा।

उर्फी जान के मुताबिक हाल ही में एक प्रदर्शनी में लड़कियों ने दो सप्ताह में चार लाख रुपये का सामान बेचा, जिसमें हल्दी, मिर्च, अदरक, सौंफ पाउडर, घी, शहद, राजमा शामिल हैं।

कीवी की खेती में बढ़ता रुझान

"कृषि, रेशम उत्पादन और बागवानी में अच्छा पैसा कमाने की बहुत गुंजाइश है। बस एक चीज है, इसे करने वालों को सही प्रशिक्षण और मार्केटिंग रणनीतियों की जानकारी हो, "शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी के एक शोधकर्ता जुनैद अहमद ने गांव कनेक्शन को बताया। उन्होंने कहा कि टेक्निकल यूनिवर्सिटी कई तरह के प्रशिक्षण देता है, जिससे खुद का काम करने वाले युवा कई सरकारी योजनाओं का भी लाभ उठा सकते हैं।

आशाजीपोरा गाँव की जबीन कहती हैं, "कीवी की खेती सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि कश्मीर में फल का अच्छा बाजार है और इसका औषधीय महत्व भी है। मैं कीवी को एक कनाल (20 कनाल यानी लगभग एक हेक्टेयर) में उगाती हूँ, फिर उन्हें व्यापारियों को बेचती हूँ, जो अलग अलग बाजारों में उसे भेजते हैं।”

जबीन आत्मनिर्भर बनने का सपना देखने वाली, दूसरी लड़कियों के लिए आदर्श हैं। वे कहतीं हैं, "मैं सभी को इस तरह का काम करने के लिए प्रोत्साहित करती हूँ। कृषि से जुड़े काम में अब न सिर्फ पैसा है, बल्कि तनाव या डिप्रेशन को ये दूर रखता है। कुछ लोग पारंपरिक खेती से दूर जा रहे हैं लेकिन अगर सही ट्रेनिंग दी जाए तो महिलाएं फलों की खेती से अच्छी कमाई कर सकती हैं।"

#JammuKashmir #horticulture #story 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.