घटती कृषि योग्य भूमि वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती , टिकाऊ खेती पर जोर 

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
घटती कृषि योग्य भूमि वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती , टिकाऊ खेती पर जोर बढ़ती जनसंख्या और उद्योगों के चलते घट रही है खेती।

लखनऊ। टिकाऊ खेती आज के समय की जरूरत है। कृषि योग्य भूमि लगातार घट रही हैं और जनसंख्या निरन्तर बढ़ रही है यह कृषि वैज्ञानिकों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। ऐसा कहना हैं, राष्ट्रीय संयोजक एन.पी. राजीव का।

विज्ञान भारती और उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के पूर्व संघचालक के.एस. सुदर्शन स्मृति व्याख्यान के अन्तर्गत टिकाऊ खेती पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।

टिकाऊ खेती पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया।

ये भी पढ़ें- बैंक का नोटिस : वसूलीनामा यानि कर्ज़दार किसानों की आत्महत्या का बुलावा

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में विज्ञान भारती एसोसिएशन ऑफ एनजीओ के राष्ट्रीय संयोजक एन.पी. राजीव थे। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. राजेन्द्र कुमार थे। इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एन.पी. राजीव ने कहा, "प्रयोगशालाओं और वैज्ञानिक संस्थाओं का ज्ञान और उत्पाद उन लोगों तक नहीं पहुंच पा रहा है जहां तक पहुंचना चाहिए। स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से प्रयोगशालाओं का ज्ञान ग्रामीण क्षेत्रों के गरीब लोगों के सामाजिक और आर्थिक विकास की बढ़ोत्तरी में सहायक हो।" इस अवसर पर विज्ञान भारती के संगठन मंत्री श्रेयान्श, विज्ञान भारती, डा. रवीकान्त, रामबख्श सिंह, अनुराधा और अन्य स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

ये भी पढ़ें- कर्जमाफी योजना का असल मुद्दा : जिन्होंने समय पर चुकाया कर्ज, उन्हीं ने उठाया नुकसान

        

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.