अप्रैल माह में करें ये कृषि कार्य, मिलेगी अच्छी उपज 

Divendra SinghDivendra Singh   10 April 2018 6:50 PM GMT

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अप्रैल माह में करें ये कृषि कार्य, मिलेगी अच्छी उपज इन फसलों की करें बुवाई

ये ऐसा महीना होता है जब रबी की फसलें कट चुकी होती हैं और किसान जायद की फसलों की तैयारी कर रहे होते हैं, तापमान बढ़ने और हवाओं के चलने से इस समय फसलों की खास देखभाल करनी होती है।

इस समय गन्ने की फसल को ज्यादा पानी की जरूरत होती है, सिंचाई करने के बाद फसल की निराई गुड़ाई करनी चाहिए, क्योंकि पानी से कई तरह के खरपतवार भी उग देते हैं, जिन्हें उखाड़ देना चाहिए। निराई गुड़ाई के बाद उसमें उर्वरक की सही मात्रा डालनी चाहिए।

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समय से कराएं खेत की मिट्टी की जांच

इस महीने खेत खाली होने पर मिट्टी की जांच जरूर कराएं। तीन वर्षों में एक बार अपने खेतों की मिट्टी परीक्षण जरूर कराएं ताकि मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्वों (नत्रजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, जिंक, लोहा, तांबा, मैंगनीज व अन्य) की मात्रा और फसलों में कौन सी खाद कब व कितनी मात्रा में डालनी है, का पता चले का पता चले। मिट्टी जांच से मिट्टी में खराबी का भी पता चलता है ताकि उन्हें सुधार जा सके। जैसे कि क्षारीयता को जिप्सम से, लवणीयता को जल निकास से तथा अम्लीयता को चूने से सुधारा जा सकता है।

मिट्टी की जांच करते विशेषज्ञ।

इस महीने पानी की भी कराएं जांच

ट्यूबवैल व नहर के पानी की जांच भी हर मौसम में करवा लें ताकि पानी की गुणवत्ता का सुधार होता रहे व पैदावार ठीक हों।

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इस महीने करें हरी खाद की बुवाई

मिट्टी की सेहत ठीक रखने के लिए देशी गोबर की खाद या कम्पोस्ट बहुत लाभदायक है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में गोबर की खाद का प्रयोग कम हुआ है। अप्रैल में गेहूं की कटाई और जून में धान/मक्का की बुवाई के बीच 50-60 दिन दिन खेत खाली रहते हैं इस समय कुछ कमजोर खेतों में हरी खाद बनाने के लिए ढैंचा, लोबिया या मूंग लगा दें और जून में धान रोपने से एक-दो दिन पहले या मक्का बोने से 10-15 दिन पहले मिट्टी में जुताई करके मिला दें इससे मिट्टी की सेहत सुधरती है।

सनई, ढैंचा, लोबिया, मूंग व ग्वार वगैरह हरी खाद के लिहाज से उम्दा फसलें होती हैं।

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इस तरह बारी-बारी सभी खेतों में हरी खाद फसल लगाते व बनाते रहें। इससे बहुत लाभ होगा तथा दो मुख्य फसलों के बीच का समय का पूरा प्रयोग होगा।

इस महीने करें इन फसलों की बुवाई

साठी मक्का

साठी मक्का की पंजाब साठी-1 किस्म को पूरे अप्रैल में लगा सकते हैं। यह किस्म गर्मी सहन कर सकती है और 70 दिनों में पककर एक कुंतल तक पैदावार देती है। खेत धान की फसल लगाने के लिए समय पर खाली हो जाता है। साठी मक्का के छह कि.ग्रा. बीज को 18 ग्राम वैवस्टीन दवाई से उपचारित कर एक फुट लाइन में व आधा फुट दूरी पौधों में रखकर प्लांटर से भी बो सकते है।

बेबी कार्न

इस मक्का के विल्कुल कच्चे भुट्टे बिक जाते हैं जोकि होटलों में सलाद, सब्जी, अचार, व सूप बनाने के काम आते हैं। यह फसल 60 दिन में तैयार हो जाती है और निर्यात भी की जाती है। बेबीकार्न की संकर प्रकाश व कम्पोजिट केसरी किस्मों के 16 कि.ग्रा. बीज को एक फुट लाइनों में और आठ इंच पौधों में दूरी रखकर बोया जाता है।

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बेबी कॉर्न की खेती साल में तीन से चार बार कर सकते हैं।

बसंतकालीन मूंगफली

इसकी एस जी 84 व एम 722 किस्में सिंचित हालत में अप्रैल के अंतिम सप्ताह में गेहूं की कटाई के तुरंत बाद बोयी जा सकती हैं जोकि अगस्त अन्त तक या सितम्बर शुरू तक तैयार हो जाती है। मूंगफली को अच्छी जल निकास वाली हल्की दोमट मिट्टी में उगाना चाहिए। 38 किग्रा. स्वस्थ दाना बीज को 200 ग्राम थीरम से उपचारित करके फिर राइजोवियम जैव खाद से उपचारित करें।

अरहर

सिंचित अवस्था में टी-21 और यू.पी.ए.एस. 120 किस्में अप्रैल में लग सकती है। सात किग्रा. बीज को राइजोबियम जैव खाद के साथ उपचारित करके एक फुट दूर लाईनों में बोए। अरहर की दो लाइनों के बीच एक मिश्रित फसल (मूंग या उड़द) की लाइन भी लगा सकते हैं, जोकि 60 से 90 दिन तक काट ली जाती है।

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बागवानी में कर सकते हैं ये काम

नींबू में एक वर्ष के पौधे के लिए दो किग्रा. कम्पोस्ट और 70 ग्राम यूरिया प्रति पौधा दें। अप्रैल में नीबू का सिल्ला, लीफ माइनर और सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए 300 मिली. मैलाथियान 70 ईसी. को 700 लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। तने व फलों का गलना रोग के लिए बोडों मिश्रण का छिड़काव करें। जस्ते की कमी के लिए तीन किग्रा जिंक सल्फेट को 1.7 किग्रा. बुझा हुआ चून के साथ 500 लीटर में घोलकर छिड़कें।

आम की फसल को भुनगा कीट से बचाने के सुझाव

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आम - फलों को गिरने से बचाने के लिए यूरिया के दो प्रतिशत घोल से पेड़ पर छिडकाव करें। मीलीबग नई कोपलों, फूलों व फलों का रस चूसकर काफी नुकसान करती है। नियंत्रण के लिए 700 मिली. मिथाईल पैराथियान 70 ई.सी. को 700 लीटर पानी में छिड़के तथा नीचे गिरी या पेड़ों पर चढ़ रह कीड़ों को इकट्ठा करके जला दें और घास साफ रखें। यदि तेला (हापर) फूल पर नजर आये तो 700 मिली. मैलाथियान 70 ई.सी. 700 लीटर पानी में छिड़कें।

अमरूद - अप्रैल में सिंचाई न करें, फूलों को तोड़ दें ताकि फल मक्खी फूलों में अण्डे न दें पाये, जिससे फल सड़ जाते हैं। अमरूद की सिर्फ शरदकालीन फसल ही लेनी चाहिए।

लीची - 100 ग्राम यूरिया प्रति पेड़ प्रति वर्ष आयु के हिसाब से डालें।

पपीता - अप्रैल मे पपीते की नर्सरी लगाने के लिए 70 वर्ग मीटर में 170 बीज को 6x6 इंच की दूरी और एक इंच गहरा लगाएं। उन्नत किस्मों में सनराइज, हनीड्यु, पूसा डिलीशियस, पूसा ड्र्वाफ व पूसा जांयट हैं। एक नर्सरी में एक कुंतल खाद मिलाकर बेड तैयार करें और बीज को एक ग्राम कैपटोन से उपचारित करें।

तरबूज - तरबूज में कीड़ों से बचाने के लिए दो मिली. मैलाथियान प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें। पाउडरी मिल्ड्यु बीमारी के लिए दो ग्राम बाविस्टीन प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़कें। दवाई छिड़कने से पहले फल तोड़ लें या फिर 10 दिन बाद तोड़े।

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इस महीने करें इन सब्जियों की खेती

चौलाई की फसल अप्रैल में लग सकती है, जिसके लिए पूसा किर्ति व पूसा किरण 500-600 किग्रा. पैदावार देती है। 700 ग्राम बीज को लाइनों में 6 इंच और पौधों में एक इंच दूरी पर आधी इंच से गहरा न लगाएं। बुवाई पर 10 टन कम्पोस्ट, आधा बोरा यूरिया और 2.7 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट डालें।

मूली की खेती के लिए तापमान अनुकूल हो गया है।

मूली की पूसा चेतकी किस्म का एक किग्रा. बीज एक फुट लाइनों में और 4 इंच पौधों में दूरी रखें और आधा इंच से गहरा न लगाएं। बुवाइ पर आधा बोरा यूरिया, एक बोरा सिंगल सुपर फास्फेट और आधा बोरा म्यूरेट आफ पोटाश के साथ 10 टन कम्पोस्ट डालें। फसल में जल्दी-जल्दी हल्की सिंचाईयां करें फसल मई में तैयार होकर 1000 किग्रा. से अधिक पैदावार देती है ।

बैंगन मैदानी क्षेत्रों में फरवरी-मार्च में लगाई नर्सरी अप्रैल में रोपी जा सकती है। पूसा भैरव व पूसा पर्पल लोग किस्में उपयुक्त हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में पूसा पर्पल कलस्टर किस्म अप्रैल में रोपने से बढ़िया उपज देती है।

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फूल गोभी, बंदगोभी, गांठगोभी, मटर, फ्रांसबीन व प्याज- पहाड़ी व सर्द क्षेत्रों में अप्रैल माह में ये सभी फसलें लगाई जाती हैं ।

प्याज की नर्सरी लगाकर जून माह में खेत मे रोपी जा सकती हैं। मशरूम- खुम्ब बहुत कम स्थान लेती है और काफी आमदनी देती है। इसे उगाने के लिए गेहूं के भूसे या धान के पुआल का प्रयोग करें। हल्के भीगे पुआल में खुम्ब के बीज डालने के तीन-चार हपते बाद खुम्ब तोड़ने लायक हो जाती है। साभार- विकासपीडिया

     

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