2018 में आत्महत्या करने वालों में दिहाड़ी मजदूरों की संख्या सबसे अधिक, बेरोजगारी के कारण भी आत्महत्या बढ़ी
Daya Sagar | Jan 13, 2020, 11:24 IST
NCRB की रिपोर्ट के अनुसार 2017 के मुकाबले 14 फीसदी अधिक लोगों ने की 2018 में बेरोजगारी के कारण आत्महत्या
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने 2018 में आत्महत्या करने वाले लोगों के आंकड़ों को जारी कर दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में कुल 1 लाख 34 हजार 516 लोगों ने आत्महत्या की, जिसमें सबसे अधिक संख्या दैनिक वेतन पर काम करने वाले मजदूरों की रही। एनसीआरबी की डाटा के अनुसार कुल 30,127 दिहाड़ी मजदूरों ने 2018 में आत्महत्या की, जो कि कुल संख्या का 22.4 प्रतिशत है।
इन आंकड़ों में खेतिहर मजदूर शामिल नहीं हैं। अगर इन आंकड़ों में खेतिहर मजदूरों को शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या और भी अधिक हो जाती है। 2018 में कुल 4586 खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की जो कि कुल आत्महत्या का 3.4 प्रतिशत है।
सोर्स- एनसीआरबी 2018 रिपोर्ट
2018 में 92,114 पुरुषों ने आत्महत्या की जिसमें 26,589 दैनिक मजदूर, 12,175 स्वरोजगार करने वाले पुरुष और 10,687 बेरोजगार पुरुष हैं। वहीं पिछले साल आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 42391 रही, जिसमें 22937 घरेलू महिलाए, 4790 विद्यार्थी और 3535 दैनिक मजदूरी करने वाली महिलाएं शामिल हैं।
एनसीआरबी की इस रिपोर्ट के अनुसार बेरोजगारी की वजह से इस साल कुल 2741 लोगों ने आत्महत्या की जो 2017 के मुकाबले 14 फीसदी अधिक है। 2017 में कुल 2404 लोगों ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की थी। गौरतलब है कि देश में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे अधिक है। वहीं देश की जीडीपी भी लगातार नीचे की तरफ डुबकी लगाए जा रही है।
मंदी की मार भी देश में 6 महीने से अधिक समय से जारी है। इसकी वजह से लाखों लोग बेरोजगार हो रहे हैं। एनसीआरबी की इस रिपोर्ट के अनुसार इस साल 2625 लोगों ने परीक्षा में असफल होने की वजह से आत्महत्या की। इस तरह कुल 5366 लोगों ने साल 2018 में पढ़ाई, करियर और बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की।
बेरोजगारी की वजह से जिन 2741 लोगों ने 2018 में आत्महत्या की उसमें 2431 पुरुष और 310 महिलाएं हैं। अगर हम उम्र सीमा की बात करें तो इन 2741 लोगों में सर्वाधिक संख्या 18 से 30 वर्ष के युवाओं की थी। एनसीआरबी के इस आंकड़े के अनुसार 18 से 30 साल के 1420 युवाओं ने 2018 में बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की। अगर इसमें 30 से 45 साल के बेरोजगारों लोगों को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या बढ़कर 2383 हो जाती है, जो कि कुल 2741 के आंकड़े का लगभग 87 प्रतिशत है।
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इन आंकड़ों में खेतिहर मजदूर शामिल नहीं हैं। अगर इन आंकड़ों में खेतिहर मजदूरों को शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या और भी अधिक हो जाती है। 2018 में कुल 4586 खेतिहर मजदूरों ने आत्महत्या की जो कि कुल आत्महत्या का 3.4 प्रतिशत है।
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2018 में 92,114 पुरुषों ने आत्महत्या की जिसमें 26,589 दैनिक मजदूर, 12,175 स्वरोजगार करने वाले पुरुष और 10,687 बेरोजगार पुरुष हैं। वहीं पिछले साल आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 42391 रही, जिसमें 22937 घरेलू महिलाए, 4790 विद्यार्थी और 3535 दैनिक मजदूरी करने वाली महिलाएं शामिल हैं।
एनसीआरबी की इस रिपोर्ट के अनुसार बेरोजगारी की वजह से इस साल कुल 2741 लोगों ने आत्महत्या की जो 2017 के मुकाबले 14 फीसदी अधिक है। 2017 में कुल 2404 लोगों ने बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की थी। गौरतलब है कि देश में बेरोजगारी दर पिछले 45 साल में सबसे अधिक है। वहीं देश की जीडीपी भी लगातार नीचे की तरफ डुबकी लगाए जा रही है।
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बेरोजगारी की वजह से जिन 2741 लोगों ने 2018 में आत्महत्या की उसमें 2431 पुरुष और 310 महिलाएं हैं। अगर हम उम्र सीमा की बात करें तो इन 2741 लोगों में सर्वाधिक संख्या 18 से 30 वर्ष के युवाओं की थी। एनसीआरबी के इस आंकड़े के अनुसार 18 से 30 साल के 1420 युवाओं ने 2018 में बेरोजगारी की वजह से आत्महत्या की। अगर इसमें 30 से 45 साल के बेरोजगारों लोगों को भी जोड़ लिया जाए तो यह संख्या बढ़कर 2383 हो जाती है, जो कि कुल 2741 के आंकड़े का लगभग 87 प्रतिशत है।
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