'खुले में शौच मुक्त' नहीं हुआ है भारत: NSSO

सरकारी रिपोर्ट ने खोली 'खुले में शौच मुक्त भारत' के दावे की पोल

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खुले में शौच मुक्त नहीं हुआ है भारत: NSSO

खुले में शौच मुक्त भारत (ओडीएफ) के सरकारी दावे को बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की 'भारत में पेयजल, स्वच्छता और आवास की स्थिति' रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण भारत के 71.3 प्रतिशत घरों में ही शौचालय हैं।

इससे पहले 02 अक्टूबर, 2019 को गांधी जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्रामीण भारत को खुले में शौच मुक्त घोषित किया था। गुजरात के साबरमती रिवर फ्रंट पर की गई इस घोषणा में नरेद्र मोदी ने कहा था, "खुले में शौच करने वाले लोगों के 60% हिस्से को कम करके भारत ने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी-6) की वैश्विक उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। 'खुले में शौच मुक्त भारत' महात्मा गांधी को उनकी 150वीं जयंती पर एक सच्ची श्रद्धाजंलि है।"

एनएसएसओ की इस रिपोर्ट में भी सरकार के प्रयास दिखाई देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 2012 से लेकर 2018 तक शौचालयों की संख्या में 57 फीसदी तक की वृद्धि हुई है। डॉउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एनएसएसओ की यह रिपोर्ट 02 अक्टूबर से पहले ही आ गई थी, लेकिन सरकार ने इसे जान-बूझकर देरी से जारी की, ताकि 02 अक्टूबर के आयोजन को सफल बनाया जा सके।


गांव कनेक्शन भी लगातार 'खुले में शौच मुक्त भारत' के दावे की जमीनी हकीकत को परखता आया है। एक तरफ जहां दो अक्टूबर के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'खुले में शौच मुक्त भारत' का ऐलान कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ भारत के अलग-अलग हिस्सों से इसकी जमीनी हकीकत सामने आ रही थी।

गांव कनेक्शन द्वारा की गई इस पड़ताल में पाया गया कि अधिकतर जगहों पर अभी भी आधे-अधूरे शौचालय बने हैं, जो कि पैसे के अभाव और स्थानीय स्तर से लेकर ऊपर स्तर तक फैले भ्रष्टाचार की वजह से अधूरे हैं। कई जगहों पर यह भी देखा गया कि शौचालय होने के बावजूद लोगों में इसके प्रयोग करने की प्रवृत्ति में बदलाव नहीं आया है। जबकि ओडीएफ का यह लक्ष्य भी था कि ना सिर्फ सभी घरों में शौचालय हो बल्कि इसके प्रयोग करने की भी प्रवृत्ति का विकास लोगों में जागरुकता अभियान के द्वारा किया जाए।


तीसरी सबसे बड़ी बात थी कि जिलों और राज्यों को 2012 के एक बेसलाइन सर्वे के आंकड़ों के अनुसार ओडीएफ घोषित किया जा रहा था, जबकि 2012 के बाद से लगातार नए घर बने हैं। कई अधिकारियों ने इस मामले में दबाव की भी बात स्वीकारी थी।

जनवरी, 2019 में मैनपुरी के जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) यतेंद्र सिंह ने गांव कनेक्शन को बताया था, ''हमारे पर दबाव था कि 2 अक्टूरबर, 2018 तक जिले को ओडीएफ घोषित किया जाए। 2012 में एक सर्वे हुआ था, जिसके आधार पर 1 लाख 84 हजार लोगों को शौचालय निर्माण के लिए चुना गया। यही वो बेस लाइन थी जो हमको पूरी करनी थी। हमने ऐसा ही किया है और बेस लाइन सर्वे के मुताबिक जिले को ओडीएफ घोषित कर दिया गया।''

यह भी पढ़ें- ओडीएफ गाँवों का सच: कुछ अधूरे, कुछ पूरे

खुले में शौच से मुक्त घोषित उत्तर प्रदेश की जमीनी हकीकत चौंकाने वाली है



    

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