जब पाकिस्तान के एक गांव का खेल मैदान बना था कत्लेआम का गवाह

Kushal Mishra | Feb 09, 2018, 18:14 IST
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यह 2010 की बात है, जब पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी जिले बन्नू के एक गाँव के खेल मैदान में वॉलीबॉल का मैच चल रहा था, मैच देखने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हुए थे, मगर आतंकवादियों के निशाने में यह गाँव भी रहा, खेल मैदान के पास कार में रखे बम में जोरदार धमाका हुआ और इस आतंकी हमले में पाकिस्तान के ही 101 लोग मारे गए और गाँव का खेल मैदान कत्लेआम का गवाह बना।

पाकिस्तान में आतंकियों का यह पहला आत्मघाती हमला नहीं था, समय-समय पर इस देश के लोग खुद भी आतंकवाद का शिकार होते आए हैं। वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठने के बावजूद पाकिस्तान की सरकार फिर भी आतंकवाद पर काबू करने पर हर बार नाकाम नहीं रही है। यही कारण है कि अमेरिका ने इस साल जनवरी माह में ही दो ड्रोन हमलों के जरिए आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया।

आतंकवाद को काबू करने में नाकाम रहने वाला पाकिस्तान हमेशा से ही खुद भी आतंकियों का शिकार होता आया है। जानें कब-कब पाकिस्तान की जमीं खुद हुई आतंकवाद का शिकार…


2017: कराची में मजार पर हमला



पाकिस्तान के कराची शहर से 200 किलोमीटर दूर सेहवान में सूफी संत शहबाज कलंदर की मजार पर 16 फरवरी को आतंकी हमला हुआ। इस हमले में आत्मघाती हमलावर मजार में तब शामिल हुआ, जब लोगों की वहां काफी भीड़ थी, इस बीच उसने खुद को बम से उड़ा लिया। इस हमले में 72 लोग मारे गए, जबकि 150 से ज्यादा लोग घायल हुए। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली। इस हमले के बाद हफ्तेभर तक कई आतंकी हमले की घटनाएं सामने आती रहीं।

2016: पुलिस कैडेट्स को बनाया निशाना



पाकिस्तान के क्वेटा में बने पुलिस ट्रेनिंग सेंटर में 24 अक्टूबर को देर रात बड़ा आतंकी हमला हुआ। इस हमले में 60 कैडेट्स की मौत हो गई और 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हुए। यह हमला तीन आतंकियों ने किया, इनमें से एक आतंकी को पाकिस्तानी सैनिकों ने मार गिराया, जबकि दो आतंकियों ने खुद को बम से उड़ा लिया। आतंकी लश्कर-ए-झांगवी के बताए गए।

2016: अस्पताल में वकीलों पर हमला



पाकिस्तान के क्वेटा के एक सरकारी अस्पताल में 8 अगस्त को बड़ा आतंकी हमला हुआ, आतंकियों के फायरिंग के बाद इस हमले में बम विस्फोट से 70 लोग मारे गए थे, जबकि 120 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस हमले में आतंकियों ने वकीलों को निशाना बनाया। अस्पताल में बार एसोसिएशन के प्रमुख बिलाल अनवर का शव लेकर आए थे। इस हमले को फिदायीन हमलावर ने अंजाम दिया।

2016: इसाइ समुदाय के लोगों पर हमला



28 मार्च के दिन पाकिस्तान के लाहौर में इकबाल कस्बे के एक मशहूर पार्क में ईस्टर का उत्सव मना रहे लोगों पर आतंकियों ने हमला किया। भीड़-भाड़ वाले इलाके में आकर आतंकी खुद को बम से उड़ा लिया। इस हमले में महिलाओं और बच्चों समेत कुल 69 लोग मौत के घाट उतार दिए गए, जबकि 300 से ज्यादा लोग घायल हुए। यह इसाई समुदाय पर लक्षित था, मगर मृतकों में सिर्फ 14 इसाई मारे गए। इस हमले की जिम्मेदारी तालिबान से जुड़े जमात उल अहरार गुट ने ली।

2015: यात्रियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग



पाकिस्तान के कराची स्थित शफूरा चौक में 14 मई को 6 आतंकियों ने एक बस में चढ़कर यात्रियों पर अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें शिया समुदाय के 46 लोगों की मौत हो गई। हमले में 20 लोग भी घायल हुए। इस हमले को प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान ने अंजाम दिया।

2014: स्कूल में 132 बच्चों को बनाया निशाना



पाकिस्तान के पेशावर में आतंकवादियों का यह सबसे क्रूर हमला था। इस हमले में आतंकियों ने आर्मी पब्लिक स्कूल में बच्चों और स्कूल कर्मचारियों को निशाना बनाया। हमले में कुल 154 लोग मारे गए, इनमें से 132 बच्चे थे। स्कूल में 7 आंतकवादियों ने घुसकर ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। हमले की जिम्मेदारी तहरीके तालिबान ने ली।

2013: चर्च में आतंकियों का बड़ा हमला



इस साल 23 सितंबर को पाकिस्तान के पेशावर शहर के एक चर्च में आतंकियों ने बड़ा हमला किया। इसाई समुदाय पर आतंकियों का यह सबसे बड़ा हमला था। इस हमले में 82 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीके तालिबान से जुड़े एक गुट ने ली।

2011: कैडेट्स को बनाया निशाना



पाकिस्तान के चारसद्दा जिले के शाबकदर किले पर आतंकियों ने बड़ा हमला किया। इस हमले में पुलिस ट्रेनिंग स्कूल से निकलकर छुट्टियों पर जा रहे कैडेट्स को निशाना बनाया गया, जिसमें 98 लोगों की मौत हो गई, जबकि 140 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इस हमले में आतंकवादी ने खुद को बम से उड़ा लिया था।

2010: व्यस्त बाजार में आत्मघाती हमला



पाकिस्तान के उत्तर पश्चिम के मोहमंद जिले में 9 जुलाई को कबायली लोगों को आतंकियों ने निशाना बनाया। हमला इलाके की व्यस्त बाजार में किया गया, जहां आतंकी ने खुद को बम से उड़ा लिया। इस हमले में 105 लोगों की जान चली गई और सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हुए। तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।

2010: नमाज के दौरान आतंकियों का हमला



पाकिस्तान के लाहौर में इस साल 28 मई को जुम्मे की नमाज के दौरान अल्पसंख्यक अहमदिया संप्रदाय की दो मस्जिदों पर आतंकियों ने एक साथ हमले किए। इस हमले में 82 लोग मौत के घाट उतार दिए गए। इस हमले को लाहौर नरसंहार भी कहा गया। हमले की जिम्मेदारी तहरीके तालिबान पाकिस्तान ने ली।



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