... जब पाक की जेल से भारतीय सेना के मेजर सूरी ने अपने पिता को भेजी थी चिट्ठी
Alok Singh Bhadouria | Dec 28, 2017, 17:18 IST
पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले ने एक बार फिर उन तमाम लोगों की याद दिला दी है जो पाकिस्तान की जेलों में बंद थे लेकिन फिर उनका क्या हुआ यह किसी को पता नहीं।
1971 के युद्ध में लापता हुए सैन्य अफसरों में एक थे मेजर अशोक सूरी। 26 दिसंबर 1974 को उनके पिता डॉ. राम स्वरुप सूरी को अपने बेटे के हाथ की लिखी एक चिट्ठी मिली। उसके साथ एक स्लिप भी थी जिसमें लिखा था, ‘साहब सलाम, मैं आपके सामने नहीं आ सकता। आपका बेटा जिंदा है और पाकिस्तान में है। मैं उनका खत लाया था जो आपको भेज दिया है। अब मैं वापस पाकिस्तान जा रहा हूं।’ इस स्लिप पर नाम था एम. अब्दुल हमीद का।
अपनी चिट्ठी में मेजर अशोक ने लिखा, “पापा मैं ठीक हूं। हम यहां 20 अफसर हैं। हमारे बारे में भारतीय सेना और सरकार को बताइए ताकि वे हमारी रिहाई के लिए पाकिस्तानी सरकार से संपर्क करे। मेरी चिंता मत करना।” चिट्ठी लेकर सूरी रक्षा सचिव के पास गए, मेजर सूरी की राइटिंग का मिलान किया गया। सही पाए जाने पर उनका स्टेटस युद्ध में हताहत से युद्ध में गायब कर दिया गया। इसके बाद सूरी साहब भारत सरकार से लगातार बातचीत करते रहे।
आखिर में 1983 में सूरी समेत छह सैनिकों के परिवार के सदस्य लाहौर पहुंचे। दौरे के बीच में ही भारत-पाक के बीच राजनयिक तल्खियां बढ़ गईं। नतीजे में इन लोगों को इनके परिवार के सदस्य नहीं मिले। हालांकि दो मौकों पर पाक जेल के रक्षकों ने इनसे कहा कि आपके परिवार के लोग यहां हैं।
डॉ. सूरी खाली हाथ घर लौटे पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार उनके शरीर ने जवाब दे दिया और 1999 में उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने अपनी डायरी में एक जगह लिखा था, “अगर मकसद हो नेक और दिल हो मजबूत, तो कोई ताकत बड़ी नहीं कोई मंजिल नहीं दूर… ”
मेजर अशोक का नाम उस लिस्ट में था जिसे विदेश राज्यमंत्री समरेंद्र कुंडू ने 1979 में एक सवाल के जवाब में लोकसभा में रखा था। इसमें भारतीय सेना के 40 सैनिकों, पायलटों और अफसरों के नाम थे जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में लापता हो गए थे। बाद में इस सूची में कुछ और नाम जोड़े गए और यह बढ़कर 54 नामों की लिस्ट बनी। इनके बारे में माना जाता रहा है कि इन्हें पाकिस्तान ने कैद कर लिया था।
हालांकि पाकिस्तान ने यह कभी नहीं माना कि उसकी जेलों में भारत के युद्धबंदी हैं। लेकिन बाद में ऐसे कई ठोस सबूत मिले जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारतीय सैन्य अफसरों को पाकिस्तान ने जिंदा पकड़ा था। मसलन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने पाक दौरे पर गए भारतीय अधिकारियों के सामने माना था कि उनके यहां भारतीय सैनिक कैद हैं, हालांकि बाद में पाक राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इससे इनकार कर दिया।
कुलभूषण के अलावा हाल के बरसों में पाक की जेल में बंद सरबजीत सिंह की भी काफी चर्चा हुई थी। सरबजीत सिंह भारत-पाक सीमा पर स्थित एक गांव में रहते थे, रास्ता भटक जाने से वह पाक पहुंच गए। यहां उन पर 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों की साजिश का आरोप लगा और उन्हें पाकिस्तान की सुप्रीमकोर्ट ने 1991 में मौत की सजा सुना दी।
भारत की जबर्दस्त पैरवी के बाद 2012 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उसकी सजा माफ करते हुए रिहा करने का आदेश दे दिया। पाकिस्तान की इस्लामिक पार्टियों और विपक्ष के जोरदार विरोध के बाद सरकार ने कहा, राष्ट्रपति ने दरअसल सुरजीत सिंह नाम के एक दूसरे कैदी की सजा माफ की थी लेकिन मीडिया की गलतफहमी से सरबजीत सिंह का नाम आया। अप्रैल 2013 में लाहौर की कोटलखपत जेल में सरबजीत पर कैदियों ने हमला कर गंभीर रुप से घायल कर दिया। छह दिन बार सरबजीत सिंह की मौत हो गई। बाद में सरबजीत सिंह पर एक फिल्म भी बनी।
1971 के युद्ध में लापता हुए थे मेजर अशोक सूरी
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अपनी चिट्ठी में मेजर अशोक ने लिखा, “पापा मैं ठीक हूं। हम यहां 20 अफसर हैं। हमारे बारे में भारतीय सेना और सरकार को बताइए ताकि वे हमारी रिहाई के लिए पाकिस्तानी सरकार से संपर्क करे। मेरी चिंता मत करना।” चिट्ठी लेकर सूरी रक्षा सचिव के पास गए, मेजर सूरी की राइटिंग का मिलान किया गया। सही पाए जाने पर उनका स्टेटस युद्ध में हताहत से युद्ध में गायब कर दिया गया। इसके बाद सूरी साहब भारत सरकार से लगातार बातचीत करते रहे।
आखिर में 1983 में सूरी समेत छह सैनिकों के परिवार के सदस्य लाहौर पहुंचे। दौरे के बीच में ही भारत-पाक के बीच राजनयिक तल्खियां बढ़ गईं। नतीजे में इन लोगों को इनके परिवार के सदस्य नहीं मिले। हालांकि दो मौकों पर पाक जेल के रक्षकों ने इनसे कहा कि आपके परिवार के लोग यहां हैं।
डॉ. सूरी खाली हाथ घर लौटे पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार उनके शरीर ने जवाब दे दिया और 1999 में उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने अपनी डायरी में एक जगह लिखा था, “अगर मकसद हो नेक और दिल हो मजबूत, तो कोई ताकत बड़ी नहीं कोई मंजिल नहीं दूर… ”
बेनजीर भुट्टो ने माना था पाक में कैद हैं भारतीय सैनिक
हालांकि पाकिस्तान ने यह कभी नहीं माना कि उसकी जेलों में भारत के युद्धबंदी हैं। लेकिन बाद में ऐसे कई ठोस सबूत मिले जो इस बात की ओर इशारा करते हैं कि भारतीय सैन्य अफसरों को पाकिस्तान ने जिंदा पकड़ा था। मसलन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने पाक दौरे पर गए भारतीय अधिकारियों के सामने माना था कि उनके यहां भारतीय सैनिक कैद हैं, हालांकि बाद में पाक राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने इससे इनकार कर दिया।
सरबजीत सिंह : सजा माफ भी हुई और नहीं भी
भारत की जबर्दस्त पैरवी के बाद 2012 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने उसकी सजा माफ करते हुए रिहा करने का आदेश दे दिया। पाकिस्तान की इस्लामिक पार्टियों और विपक्ष के जोरदार विरोध के बाद सरकार ने कहा, राष्ट्रपति ने दरअसल सुरजीत सिंह नाम के एक दूसरे कैदी की सजा माफ की थी लेकिन मीडिया की गलतफहमी से सरबजीत सिंह का नाम आया। अप्रैल 2013 में लाहौर की कोटलखपत जेल में सरबजीत पर कैदियों ने हमला कर गंभीर रुप से घायल कर दिया। छह दिन बार सरबजीत सिंह की मौत हो गई। बाद में सरबजीत सिंह पर एक फिल्म भी बनी।