पोषण माह: पोषण वाटिका का वो मॉडल जिसमें पूरे हफ्ते परिवार के लिए मिलेंगी ताजी सब्जियां

घर के आसपास की छोटी सी जगह में अगर सही तरीके से सब्जियों की बुवाई की जाए तो 5-6 लोगों के परिवार के लिए पूरे हफ्ते की रोज ताजी-ताजी सब्जियां मिल सकती हैं। शानदार किचन गार्डन (पोषण वाटिका) बनाने का तरीका बता रही हैं केवीके की वैज्ञानिक डॉ. दीपाली चौहान।
#Nutrition_Month

अगर आपके घर के आसपास थोड़ी सी भी जमीन है तो आप उसमें पोषण वाटिका यानि किचन गार्डन बना सकते हैं। सितंबर को पोषण माह के रुप में मनाया जाता है और ये सब्जियां बोने का सबसे बढ़िया समय होता है। पोषण वाटिका में लगी सब्जियां ना सिर्फ आपको बिना पैसे के मिलेंगी बल्कि वो कीटनाशक रहित यानि पूरी तरह जैविक होंगी जो आपको कुपोषण से मुक्त कर सेहतमंद बनाएंगी।

पोषण वाटिका बनाने की जानकारी दूसरी बातों से पर आगे बढ़ने से पहले ये जानना जरुरी है कि पोषण वाटिका जरुरी क्यों है? और क्यों जरुरी है कि अलग-अलग तरह की सब्जियां-फल खाए जाएं।

शरीर के लिए आवश्यक संतुलित आहार का लंबे समय तक नहीं मिलना ही कुपोषण है। कुपोषण के कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार बन जाते हैं। कोरोना काल में भी डॉक्टरों ने पोषण वाली चीजें खाने की सलाह दी थी।

हाल में एक आरटीआई के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने जानकारी दी कि पिछले नवंबर तक देश भर में छह महीने से लेकर छह साल तक के 927,606 बच्चों में गंभीर कुपोषण (एसएएम) की पहचान की गई। इनमें उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक 398,359 बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं, जबकि इसके बाद बिहार (279,427) दूसरे नंबर पर है।

वर्ष 2019 में द लेसेंट नामक पत्रिका द्वारा ज़ारी रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि भारत में पांच वर्ष से कम उम्र की बच्चों की 1.04 मिलियन मौत में से तकरीबन दो तिहाई की मृत्यु का कारण कुपोषण है। हाल ही में जारी द स्टेट ऑफ द world’s children–2014 के अनुसार विश्व मे 5 वर्ष की उम्र के प्रत्येक 3 बच्चों में से एक बच्चा कुपोषण अथवा अल्प वजन की समस्या से ग्रस्त है। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि वर्ष 2018 में भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 8.8 लाख बच्चों की मृत्यु हुई जो कि नाइजीरिया (4.6) पाकिस्तान(4.09) और कांगो गणराज्य (2.16) से भी अधिक है।

देश के अलग-अलग राज्यों में पोषण वाटिका को बढ़ावा दिया जा रहा है। कई राज्यों में इसके सुखद परिणाम सामने आए हैं। फोटो- अरेजमेंट

सितंबर माह यानि राष्ट्रीय पोषण माह

ये आंकड़े बताते हैं कि हमारे लिए कुपोषण कितना हानिकारक है। कुपोषण सबसे अधिक बच्चों और महिलाओं को प्रभावित करता है। बच्चों में होने वाले रतौंधी, रिकेट्स, स्कर्वी, मारासमस आदि रोग व महिलाओं में होने वाला रक्त अल्पता (एनीमिया) या गेंघा रोग समेत कई रोगों का कारण भी कुपोषण है। महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर की बेहतरी के उद्देश्य से सितंबर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य जन आंदोलन और जनभागीदारी से कुपोषण को मिटाना है। आहार और स्वास्थ्य में बहुत ही घनिष्ट संबंध होता है। स्वस्थ रहने के लिए आवश्यक है कि हम हर प्रकार का भोज्यपदार्थ अपने आहार में सम्मिलित करें।

एक आदमी को रोज चाहिए 250 ग्राम सब्जियां और 80 ग्राम फल

फल एवं सब्जियां मानव आहार के मुख्य घटक हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण खनिज पदार्थों एवं लवणों के मुख्य सूत्र होने के कारण इन्हें संरक्षित खाद्य पदार्थ तथा स्वास्थ्यवर्धक खाद्य पदार्थों की श्रेणी में रखा जाता है।

भारतीय औषधि अनुसंधान परिषद ( ICRM) के अनुसार एक वयस्क व्यक्ति के आहार में प्रतिदिन 250 ग्राम सब्जियां तथा 80 ग्राम फलों का होना अत्यंत आवश्यक है। फलों और सब्जियों के उत्पादन में संतोषजनक वृद्धि के उपरांत भी इनकी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन उपलब्धता जरुरी स्तर से कम है। ऐसे में निम्न और गरीबी रेखा वालों के लिए फल और सब्जियां और मुश्किल काम है। बाजारों में फल- सब्जियों की महंगाई भी इन्हें गरीबों की थाली से दूर ले जाती है। इसके साथ ही एक और ध्यान देने योग्य बात है। फल और सब्जियों के उत्पादन का बड़ा हिस्सा (8–30 प्रतिशत) तक उचित तुड़ाई प्रबंधन के अभाव में उपयोग से पहले ही खराब हो जाता है।

उत्तर प्रदेश में यूपीएसआरएलएम और मनरेगा की मदद से बनाई गई पोषण वाटिका (Agri Nutrition Garden)

पोषण वाटिका है कई समस्याओं का समाधान, जानिए कैसे

इनमें से कई समस्याओं का समाधान है, अपने घर के आसपास, खाली जमीन, लॉन आदि में फल और सब्जियों की गृह वाटिका (यानि किचन गार्डन) बनाना। गांव में थोड़ी बहुत जमीन हर आदमी के पास होती है। इस तरह न सिर्फ बाजार का पैसा बचेगा बल्कि रोज खाने योग्य ताजी सब्जियां मिल सकेंगी। जो निसंदेह पोषण के स्तर को सुधारेगा।

सब्जियों और फलों की गृह वाटिका लगाकर हम न केवल भौतिक तथा आर्थिक उपलब्धता को सुनिश्चित करते हैं साथ ही साथ सप्लाई चेन के दौरान होने वाली क्षति की संभावना को भी खत्म कर सकते हैं। बाजार में मिलने वाली सब्जियों और फलों में विभिन्न प्रकार के रसायनों का प्रयोग किया जाता है, जो मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालते हैं। जबकि गृहवाटिका में पैदा होने वाले फल-सब्जियां इन रसायनों के कुप्रभावों से बची होती हैं।

कितनी जमीन में बने पोषण वाटिका और कैसे हो बुवाई?

400 वर्गमीटर के क्षेत्रफल में यानि 20 मीटर लंबा एवं 20 मीटर चौड़ी जगह गृह वाटिका के प्रेरणा मॉडल बनाने के लिए पर्याप्त है। गृह वाटिका का प्रेरणा मॉडल गोलाकार क्षेत्रफल में बनाया जाता है। इस प्रकार की गृह वाटिका से 7 दिनों के लिए सात प्रकार की सब्जियां आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। साथ ही 5 से 6 व्यक्ति के परिवारों की सब्जियों की वार्षिक आवश्यकता (766.5 किलोग्राम) की भी पूर्ति आसानी से हो जाती है।

गृहवाटिका (nutri garden) में चार पत्तेदार, चार फल वाली, दो बेल वाली, दो जड़ वाली सब्जियां अवश्य लगानी चाहिए। दक्षिण दिशा में छोटे आकार की और उत्तर दिशा में बड़े आकार की सब्जियां लगानी चाहिए। सब्जियां की बुवाई के लिए अच्छे किस्म के बीजों का चुनाव करना चाहिए। साथ ही बुवाई से पूर्व बीजों का जीवामृत से उपचार करना चाहिए।

ओडिशा में न्यूट्री वाटिका (पोषण वाटिका) पर है काफी जोर। आदिवासी इलाकों में सफल हो रहा है मॉडल। फोटो साभार @deepanwita_t

कितनी कितनी दूर पर बनाए जाएं गोलाकार बेड?

गृहवाटिका ऐसे स्थान पर लगाए जहां पर धूप अच्छी आती हो। प्रेरणा मॉडल बनाने के लिए केंद्र (बीच की जगह) से 3 फीट पर, 4.5 फीट पर,6 फीट पर, 9 फीट पर 10.5 फीट और 15 फीट पर 6 गोले बनाए जाते हैं। इन चक्रों को 7 बराबर भागों में बाट दें। दो भागों के बीच से डेढ़ फीट का रास्ता अवश्य बनाए। केंद्र में चारों कोनों पर चार फलदार पेड़ व 3 फीट के गड्ढे में जैविक खाद या वर्मी कंपोस्ट बनाएं। छोटे बेड पर काम खाई जाने वाली सब्जियां या पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक मेथी, चौलाई आदि लगाए एवमं बड़े बेड पर अधिक मात्रा में प्रयोग होने वाली सब्जियां या फलदार सब्जियां जैसे आलू, टमाटर, बैगन, भिंडी आदि लगाएं।

बेड के किनारों की मेड़ पर जड़वाली सब्जियां जैसे मूली, गाजर, शलजम लगाएं। जानवरों आदि से बचाव के लिए बाहरी घेरे के चारों ओर बlड़ अवश्य लगानी चाहिए। बेल वाली सब्जियों को लगाने के लिए इन बlड़ प्रयोग कराना चाहिए। यानि जो बाड़ गोले के अंदर की सब्जियों को पशुओं से बचाएगी वही बाड़ बेल वाली सब्जियों को फलने-फूलने की जगह भी बनेगी।

ये भी देखें- कैंसर के खौफ के बीच परिवार को बीमारियों से बचाने के लिए पंजाब की महिलाएं घरों में उगा रही जैविक सब्जियां

घर पर बनाएं नीम कीटनाशक

गृहवाटिका की सब्जियों के कीट-पतंगों और रोगों से बचाव के लिए बाजार के रायासनिक पेस्टीसाइड (कीटनाशक) की जगह घर पर नीम की पत्तियों के रस का छिड़काव करना चाहिए। सितंबर माह में बैगन, मटर (Pea) , सरसों, फूलगोभी, लहसुन (Garlic) , प्याज (onion), टमाटर (Tomato), चना, शलजम (Turnip) आदि सब्जियों की बुवाई की जाती है। आगे जैसे-जैसे जगह खाली होती जाए मौसम के अनुरूप बुवाई करते जाना चाहिए।

लेखिका- डॉ दीपाली चौहान, कृषि विज्ञान केन्द्र ,रायबरेली में गृह विज्ञान वैज्ञानिक हैं।

ये भी पढ़ें- सिर्फ मांड भात नहीं खातीं अब झारखंड की महिलाएं, किचन गार्डन से हो रहीं सेहतमंद

ये भी पढ़ें- POSHAN Maah 2021: Recipe competitions, local nutritious cuisines, plantation of fruit trees in focus as nutrition scheme charts out weekly themes

Recent Posts



More Posts

popular Posts