बीएससी करने के बाद भी चुना खेती का व्यवसाय 

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बीएससी करने के बाद भी चुना खेती का व्यवसाय किसान रंजीत सिंह 

मनोज सक्सेना/स्वयं कम्युनिटी जनर्लिस्ट

पीलीभीत। जिले के बिलसंडा ब्लॉक के गाँव बेहटी के निवासी रंजीत सिंह (63 वर्षीय) जनपद में अब किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। 1974 में बरेली कॉलेज, बरेली से बीएससी की परीक्षा पास करने के बाद इन्होंने नौकरी करने के बजाय अपनी 28 एकड़ जमीन पर ही खेती करना अधिक पसंद किया।

रंजीत सिंह ने सन 1969 में गांधी स्मारक सुंदर लाल इंटर कॉलेज बिलसंडा से हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। इसके बाद इंटर की परीक्षा एसआरएम इंटर कॉलेज बीसलपुर से पास की। इन्होंने गाँव में कोई विद्यालय ना होने के कारण 1994 में अपनी जमीन पर शिवप्रसाद सरस्वती शिशु मंदिर अपने गाँव बेहटी में शुरू किया। इस स्कूल में बहुत कम फीस पर इन्होंने गाँव के गरीब बच्चों को प्राइमरी शिक्षा देने का बीड़ा उठाया। रंजीत सिंह ने बताया कि आज शिवप्रसाद शिशु मंदिर में से 250-300 गरीब बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

जैविक खेती करने वाले किसान रंजीत सिंह ने बताया, “करीब तीन वर्ष अपने डेढ़ एकड़ जमीन में एक बाग लगाया और अपनी जमीन पर जैविक खेती करते हैं। खेती से इन्हें तीन-चार लाख रुपए प्रतिवर्ष आमदनी हो जाती है।” धान, गेहूं के साथ में यह सहफसली खेती करते हैं। सहफसली खेती में सरसों आदि बोते हैं।

रंजीत सिंह के जैविक खेत

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उन्होंने बताया कि कृषि विभाग से एक योजना आयी थी, जिसमें खर्च का आधा भाग सरकार से अनुदान मिला था। 2010-11 में उन्होंने इस योजना की शुरुआत की थी। गोबर से पूर्णतया खाद तैयार होती है, तैयार होने के एक डेढ़ महीने में स्कोर एक डेढ़ महीना लग जाता है और 10 कुंतल के मानक से खाद तैयार हो जाती है। अगर कोई किसान खाद खरीदना चाहता है तो 500 के हिसाब से हम उसको बेच देते हैं उद्यान विभाग की आरडी गंगवार जी के भतीजे का एक पॉलीहाउस नवाबगंज में चल रहा है।

वहां पर पिछले दिनों 10 कुंतल के आसपास खाद भेजी थी, जैविक खाद से फसलें वर्तमान में धान और गेहूं उड़द मूंग की फसल तैयार कर रहे हैं जब उनसे यह पूछा गया कि लोगों की धारणा है कि जैविक खाद इस्तेमाल करने से फसलों की पैदावार कम होती है तो उन्होंने बताया कि हां उपज में तो निश्चित रुप से कम ही आती है लेकिन तीन गुना दाम बढ़ जाता है लगभग औसत आ जाता है।

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इस बार बासमती-1 धान बोया है दो बीघा जमीन में पिछले साल एक कुंतल बीघा के हिसाब से धान की फसल तैयार की थी। गाँव में हमारी पुरानी थोड़ी थोड़ी जमीन के टुकड़े थे। इन को बेचकर हमने स्कूल के लिए एक नई जमीन खरीद कर दान दे दी। जिसमें आज हमारा विद्यालय शिवप्रसाद सरस्वती शिशु मंदिर चल रहा है। अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि “मेरी आगे की योजना में कृषि विविधीकरण सेंटर चलाने की योजना है। इसमें अलग-अलग ट्रेड के माध्यम से जैविक कृषि के बारे में पढ़ाई कराने की योजना है।”

इसलिए आया जैविक खेती का विचार

जैविक खेती करने के बारे में इन्होंने बताया कि आजकल इतनी अधिक बीमारियां फैलने की वजह से उनके दिमाग में जैविक खेती के बारे में उनके दिमाग में विचार आया। इनका कहना है कि अधिक रासायनिक खादों, दवाईयों आदि के खेती में इस्तेमाल करने से कैंसर, डायबिटीज ऐसी बीमारियां लगातार बढ़ रही है जो मनुष्य के लिए काफी घातक हैं 23 बीघा में ऑर्गेनिक खेती कर रहे हैं। अभी हाल ही में रजिस्ट्रेशन कराया है फसल बेचने के बारे में इनका कहना है कि जब फसलें पैदा होंगी तो मार्केट तो खुद ही मिल जाएगा।

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