सहकारी समितियों पर ताला, बढ़ी किसानों की मुसीबत

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सहकारी समितियों पर ताला, बढ़ी किसानों की मुसीबतफोटो: गाँव कनेक्शन 

बीसी यादव

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

मछलीशहर (जौनपुर)। प्रदेश भर में इन दिनों उत्तर प्रदेश सहकारी समिति कर्मचारी संघ लखनऊ के बैनर तले कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। ऐसे में किसानों की परेशानी बढ़ गई है। सहकारी समिति बंद होने के चलते किसानों को खाद-बीज नहीं मिल रही है और फसल बोने में उन्हें दिक्कत हो रही है। जबकि कई समितियों पर धान क्रय केंद्र भी बनाया गया है। वहां धान क्रय भी नहीं हो पा रहा है। वहीं दूसरी ओर कर्मचारियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है, हड़ताल खत्म होने वाली नहीं है। ऐसे में साफ है कि किसानों की समस्या खत्म नहीं होने वाली है।

इन दिनों रबी की फसल बोने का समय है। किसान आलू, मटर, चना, गेहूं आदि की फसल बोने की तैयारी में हैं। हालांकि दिक्कत यह है कि जिले के 150 केंद्रों के अलावा प्रदेश भर में किसानों को खाद और बीज नहीं मिल रहा है। इस वजह से उन्हें फसल बोने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गेहूं की फसल की बात करें तो अभी ज्यादा देर नहीं हुई है, लेकिन जिस तरह से सहकारी समितियों के कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है, फसल देर से बोने पर किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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मछलीशहर ब्लॉक के गोधना निवासी राज बहादुर सिंह 60 वर्ष बताते हैं, “मैं गेहूं की फसल सिर्फ इसलिए नहीं बो पा रहा हूं क्योंकि गेहूं का बीज नहीं मिला है। गेहूं का बीज सहकारी समिति पर लेने के लिए गए थे तो वहां ताला बंद मिला।” उन्होंने आगे कहा, “ बीज मिलने में ज्यादा देर हुई तो नुकसान होगा। फसल चक्र पर भी असर पड़ेगा।” इसी तरह करियांव से लाल प्रताप (55 वर्ष) बताते हैं, “अभी चने की बोआई नहीं कर सके हैं। खाद और बीज न मिल पाने के चक्कर में लेकिन यह परेशानी कोई समझने वाला नहीं है।”

कृषि विशेषज्ञों की मानें तो चना बोने का वक्त अब तेजी के साथ निकलता जा रहा है। जबकि जिले में चने की अच्छी खासी पैदावार होती है। इसलिए किसानों के सामने यह समस्या खड़ी हो गई है कि बिना खाद बीज वह कैसे फसल की बोआई करें। दूसरी ओर हड़ताल पर कर्मचारी अपनी मांग पर अडिग दिख रहे हैं। पिछले 23 अक्टूबर से कर्मचारी सहकारी समितियों पर तालाबंदी किए हुए हैं।

अपनी मांग पर अडिग कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती है। उनकी यह हड़ताल खत्म नहीं होने वाली है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसानों को दिक्कत होनी लाजिमी है।

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उत्तर प्रदेश सहकारी समिति के जिलाध्यक्ष कैशाल नाथ सिंह का कहना है कि सरकारी उनकी मांग को काफी दिनों से पूरा नहीं कर रही है। इसके चलते सहकारी समिति के लोगों ने हड़ताल करने का मन बनाया है। जब तक मांग पूरी नहीं होती है। अनिश्चितकालीन हड़ताल जारी रहेगी। वहीं मछलीशहर तहसील अध्यक्ष लालजी यादव का कहना है कि सहकारी समितियों पर तालबांदी से किसानों को परेशानी हो रही है लेकिन कर्मचारी हड़ताल करने को मजबूर हैं।

साधन सहकारी समिति पर किसानों का प्रदर्शन

सिंगरामऊ साधन सहकारी समिति रजनीपुर पर क्षेत्र के किसानों धान की खरीदारी न होने से, खाद बीज न मिलने से रविवार को दोपहर में प्रदर्शन किया। किसानों का कहना था समिति के सचिव हड़ताल पर हैं। साधन सहकारी समिति में तालाबंद है और किसान परेशान है। होसिला पांडे ने कहा कि समिति मे तालाबंदी के चलते धान की खरीदारी नहीं हो पा रही है, गेहूँ की बुवाई के लिए खाद बीज की समस्या है, हड़ताल कब तक चलेगी इसकी कोई समय सीमा नहीं है।

वहीं, अशोक पांडे ने कहा कि सरकार किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कदम उठाये। समिति के सचिव वीर बहादुर ने बताया कि 31 अक्टूबर को जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन है। इसके बाद ही अगला कार्यक्रम तय होगा। प्रदर्शन करने वालों में मुख्य रूप से प्रदीप उर्फ नन्हे मिश्र, छेदीलाल, सुनील मिश्र, कृष्ण कांत मिश्र शामिल रहे।

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यह है कर्मचारियों की मांग

उत्तर प्रदेश सहकारी समिति कर्मचारियों की पांच सूत्रीय मांग हैं। इसमें पहली मांग समिति के कर्मचारियों को नियमित वेतन भुगतान के लिए आयुक्त और निंबंधक सहकारिता के पत्रांक 1921 दिनांक 24 अगस्त 2011 के अनुसार मूल्य 25 हजार प्रति समिति प्रतिमाह वित्तीय सहायता दी जाए। दूसरी मांग समिति कर्मचारियों का संपूर्ण बकाया वेतन प्राथमिकता के आधार पर कराया जाए।

सचिव के रिक्त पदों पर समिति के कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर नियुक्त किया जाए। चौथी मांग समिति कर्मचारियों में से कैडर सचिव के पद पर समायोजित सचिवों को वरिष्ठा के आधार पर वेतन मान दिया जाए। पांचवी मांग महंगाई को ध्यान रखते हुए धान, गेहूं खरीद का कमीशन जो घटाया गया है उसे बढ़ाया जाए। इसके अलावा पूर्व में बकाया कमीशन, भाड़ा आदि का भुगतान प्राथकिमकता के स्तर पर कराया जाए।

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