जून के अंतिम सप्ताह से करें सांवा, कोदो की बुवाई

Divendra SinghDivendra Singh   17 Jun 2017 12:06 PM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
जून के अंतिम सप्ताह से करें  सांवा, कोदो की बुवाईप्रतीकात्मक तस्वीर।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। पिछले कुछ वर्षों में सांवा, कोदो जैसे मोटे अनाजों की मांग बढ़ी है, ऐसे में किसान बारिश के बाद जून के अंतिम सप्ताह में सावां, कोदो की खेती कर सकते हैं।

गोरखपुर ज़िला मुख्यालय से लगभग 30 किमी उत्तर पश्चिम दिशा में जंगल कौड़िया ब्लॉक के राखूखोर चिकनी गाँव के दर्जनों किसान मोटे अनाज की खेती करते हैं। किसान राम निवास मौर्या (46 वर्ष) पिछले कई वर्षों से मोटे अनाज की खेती कर रहे हैं, वो बताते हैं, “जून में हम लोग सांवा व कोदो जैसे मोटे अनाजों की खेती शुरू कर देते हैं। हमारा गाँव राप्ती और रोहिन दो नदियों के बीच में रहता पड़ता है, कभी सूखा पड़ा रहता है तो कभी बाढ़। ऐसे में इन फसलों पर इनका कोई असर नहीं पड़ता है। इसमें धान, गेहूं से ज्यादा फायदा हो रहा है।”

ये भी पढ़ें- किसानों ने जानी खेती-किसानी की कुछ नई बातें

उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार सांवा की टी-46, आईपी-149, यूपीटी-8, आईपीएम-97, आईपीएम-100, आईपीएम-148 व आईपीएम-151 जैसी किस्में और कोदो की जेके-6, जेके-62, जेके-2, एपीके-1, जीपीवीके-3 जैसी किस्मों की बुवाई करनी चाहिए।

प्रदेश के गोरखपुर, बलिया, प्रतापगढ़, सुलतानपुर, जौनपुर, जैसे कई जिलों में ज्वार, बाजारा के साथ ही सांवा, कोदो जैसे मोटे अनाजों की खेती की जाती है, पिछले कुछ वर्षों इन फसलों की खेती की तरफ किसानों का रुझान बढ़ा है। कम लागत और सूखा प्रतिरोधी होने के साथ-साथ इनको कम उपजाऊ भूमि पर भी उगाया जा सकता है।

ये भी पढ़ें- अब इस शहर में भी खुलेगा रोटी बैंक, मुफ्त में मिलेगा खाना

रामनिवास मौर्या अनाज बैंक भी चलाते हैं, जहां से किसानों को बीज उपलब्ध कराते हैं। ताकि इनकी खेती को बढ़ावा मिल सके। पिछले कुछ साल में मोटे अनाज की मांग काफी बढ़ी है, किसान इसे कम पानी में उगा सकते हैं। किसानों को बीज न्याय पंचायत स्तर पर स्थित साधन सहकारी समितियों, किसान सेवा केन्द्र, ब्लाॅक कार्यालय और जिला कृषि केन्द्र से मिलेगा।

इनमें कम पानी की जरूरत होने के कारण उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं होती है। सिंचाई की पूरी व्यवस्था न होने के कारण ऐसी भूमि पर कम पानी वाली फसल लगाना ही लाभदायक होता है।

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहांक्लिक करें।

  

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.