नकल का चक्कर : इस विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों को नहीं पता, पास हुए या फेल
गाँव कनेक्शन | Jul 22, 2017, 14:21 IST
मोहम्मद तारिक, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों का भविष्य यूएफएम (अनफेयर मींस) सेल में अटका हुआ है। सामूहिक नकल और अकेले नकल करते हुए पकड़े गए छात्रों की कॉपियों की जांच अब तक यूएफएम सेल को पूरी कर लेनी चाहिए थी, लेकिन 75 फीसदी कॉपी की ही जांच हो पाने के चलते वे छात्र जिन्हें यूएफएम सेल से क्लीनचिट मिलनी है, उन्हें अभी क्लीनचिट के साथ-साथ रिजल्ट का इंतजार है।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा में इस बार पांच लाख छात्र पंजीकृत थे। परीक्षा के दौरान करीब 150 कॉलेजों में पूविवि के उड़ाका दल ने सामूहिक नकल पकड़ी थी। जबकि सैकड़ों छात्र भी नकल करत हुए पकड़े गए थे। सामूहिक नकल और जो छात्र नकल करते हुए पकड़े जाते हैं, उनकी कॉपियों का मिलान यूएफएम सेल में किया जाता था। यूएफएम सेल में जब कॉपियां जाती हैं, तो जिस कॉलेज पर सामूहिक नकल का आरोप लगा है, यूएफएम सेल इस बात की जांच करता है कि वहां सामूहिक नकल हुई या नहीं। इसके लिए सामूहिक नकल करने वाले कॉलेज के छात्रों की कॉपियों की जांच होती है। उसी के आधार पर यह तय होता है कि सामूहिक नकल हुई थी या नहीं।
आखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग संयोजक विकास ओझा ने कहा, "नकल के आरोप में फंसे छात्रों के बारे में कोई फैसला न लिया जाना, चिंता का विषय है। यदि विवि अब और देर करता है तो हम आंदोलन करेंगे।"
इसके अलावा जो छात्र नकल करते पकड़े जाते हैं। उनकी कॉपी में जो नकल की चिट नत्थी की जाती है। उस चिट और कॉपी में लिखे सवाल को चेक किया जाता है। इन दोनों प्रक्रिया की जांच यूएफएम सेल बारीकी से जांच करता है। इसके बाद यूएफएम सेल की मीटिंग में होती है और उसमें तय होता है कि कॉलेज और छात्र पर लगाया गया आरोप सही है या गलत। जिन छात्रों पर आरोप साबित नहीं हो पाता है, उनका रिजल्ट जारी किया जाता है। दिक्कत यह है कि मुख्य परीक्षा का रिजल्ट आए करीब एक महीने से ज्यादा हो गया है लेकिन अभी जिन छात्रों पर नकल करने का आरोप लगा है। उनका रिजल्ट नहीं आया है। इससे छात्र परेशान हैं।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में फॉर्मेसी और बीटेक का दाखिला 26 जुलाई से होगा। फार्मेसी के अधीक्षक ज्ञानेश पारासरी ने बताया कि एडमिशन प्रक्रिया की तैयारी पूरी कर ली गई है। यूपीटीयू से सेलेक्ट छात्रों की लिस्ट का इंतजार है। संभवता लिस्ट 24 जुलाई तक मिल जाएगी।
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जौनपुर। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के सैकड़ों छात्रों का भविष्य यूएफएम (अनफेयर मींस) सेल में अटका हुआ है। सामूहिक नकल और अकेले नकल करते हुए पकड़े गए छात्रों की कॉपियों की जांच अब तक यूएफएम सेल को पूरी कर लेनी चाहिए थी, लेकिन 75 फीसदी कॉपी की ही जांच हो पाने के चलते वे छात्र जिन्हें यूएफएम सेल से क्लीनचिट मिलनी है, उन्हें अभी क्लीनचिट के साथ-साथ रिजल्ट का इंतजार है।
वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षा में इस बार पांच लाख छात्र पंजीकृत थे। परीक्षा के दौरान करीब 150 कॉलेजों में पूविवि के उड़ाका दल ने सामूहिक नकल पकड़ी थी। जबकि सैकड़ों छात्र भी नकल करत हुए पकड़े गए थे। सामूहिक नकल और जो छात्र नकल करते हुए पकड़े जाते हैं, उनकी कॉपियों का मिलान यूएफएम सेल में किया जाता था। यूएफएम सेल में जब कॉपियां जाती हैं, तो जिस कॉलेज पर सामूहिक नकल का आरोप लगा है, यूएफएम सेल इस बात की जांच करता है कि वहां सामूहिक नकल हुई या नहीं। इसके लिए सामूहिक नकल करने वाले कॉलेज के छात्रों की कॉपियों की जांच होती है। उसी के आधार पर यह तय होता है कि सामूहिक नकल हुई थी या नहीं।
आखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विभाग संयोजक विकास ओझा ने कहा, "नकल के आरोप में फंसे छात्रों के बारे में कोई फैसला न लिया जाना, चिंता का विषय है। यदि विवि अब और देर करता है तो हम आंदोलन करेंगे।"
इसके अलावा जो छात्र नकल करते पकड़े जाते हैं। उनकी कॉपी में जो नकल की चिट नत्थी की जाती है। उस चिट और कॉपी में लिखे सवाल को चेक किया जाता है। इन दोनों प्रक्रिया की जांच यूएफएम सेल बारीकी से जांच करता है। इसके बाद यूएफएम सेल की मीटिंग में होती है और उसमें तय होता है कि कॉलेज और छात्र पर लगाया गया आरोप सही है या गलत। जिन छात्रों पर आरोप साबित नहीं हो पाता है, उनका रिजल्ट जारी किया जाता है। दिक्कत यह है कि मुख्य परीक्षा का रिजल्ट आए करीब एक महीने से ज्यादा हो गया है लेकिन अभी जिन छात्रों पर नकल करने का आरोप लगा है। उनका रिजल्ट नहीं आया है। इससे छात्र परेशान हैं।
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