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नर्सिंग दिवस विशेष : सेवा करने वालों की कौन सुने तकलीफ

Deepanshu Mishra | May 12, 2017, 11:50 IST
लखनऊ
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। विश्वभर में 12 मई को नर्सिंग दिवस मनाया जाता है। वर्तमान समय में नर्सों की स्थिति बहुत खराब है। प्रदेश में नर्सों की कमी है। लखनऊ सिविल अस्पताल की सहायिका नर्सिंग अधीक्षिका (नाम न छापने की शर्त पर) बताती हैं, “नर्सों को बहुत तकलीफ है, लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है। हम लोगों का प्रमोशन ही नहीं होता है। मेरा इस जून में रिटायरमेंट है, लेकिन अभी तक प्रमोशन नहीं हुआ। ऐसे ही घिस-घिस के नौकरी पूरी कर डाली है।”

अंतरराष्ट्रीय नर्सिंग दिवस नोबल नर्सिंग सेवा की शुरुआत करने वाली ‘फ्लोरेंस नाइटइंगेल’ के जन्मदिवस पर हर साल दुनियाभर में 12 मई को मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में अमीर और ग़रीब दोनों प्रकार के देशों में नर्सों की कमी चल रही है।

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सिविल अस्पताल की नर्स और नर्सेज एसोसिएशन की अध्यक्ष उमा सिंह बताती हैं, “ड्रेस का भत्ता बहुत कम मिलता है, सातवें वेतन आयोग में हम लोगों का वेतन बहुत कम बढ़ाया गया है। जैसे केंद्र सरकार देती है ऐसे ही हम लोगों को भी मिलना चाहिए।

हम लोगों का काम इतना कठिन है। आदेश के अनुसार हम लोग सुबह साढ़े सात बजे आ जाते हैं और जाने का कोई समय नहीं चार-पांच बज जाता है।” वह आगे बताती हैं, “नर्सिंग दिवस के दिन हम लोग खुद इसे मनाते हैं हम सब लोग इकठ्ठा होकर किसी भी मुख्य अतिथि को बुलाते हैं और उनके साथ ही नर्सिंग दिवस मना लेते हैं।”

सबसे पहली समस्या है कि हम लोग महिला हैं इसलिए हम लोगों के ट्रान्सफर नहीं होने चाहिए क्योंकि हम लोगों के बच्चे पढ़ रहे होते हैं और जरूरी नहीं है कि सभी के पति सरकारी नौकरी ही करते हों, ऐसे में ट्रान्सफर होने पर तकलीफ होती है। दूसरी चीज हम लोगों का प्रमोशन समय पर हो जाना चाहिए।
उमा सिंह, अध्यक्ष नर्सेज एसोसिएशन

हम लोगों को दिया जाता है साइकिल भत्ता

उमा सिंह बताती हैं, “अब हम लोगों को आजकल के जमाने में साइकिल भत्ता दिया जाता है अब साइकिल से कौन आता है भला। खाने का भत्ता 100 रुपए दिया जाता है। आजकल 100 रुपए में क्या मिल जाता है। ड्रेस का भत्ता हम लोगों को 2500 रुपए मिलता है जो कि पांच साल का होता है लेकिन अब सात साल हो गये हैं।

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अभी तक भत्ता नहीं मिलता है। हम लोग अपनी समस्याएं कहीं बताने भी नहीं जाते हैं। इतनी तकलीफों की बाद ही हम लोगों को धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ता है।” बलरामपुर अस्पताल की नर्स चिन्ता शर्मा ने कहा, “सभी डॉक्टर के रिटायरमेंट का समय बढ़ा दिया गया है, लेकिन हम लोगों का समय नहीं बढ़ाया जाता है। हम लोगों को 50 वर्ष की उम्र पर रिटायर कर दिया जाता है, हम लोगों का रिटायरमेंट का समय भी बढ़ा देना चाहिए।”

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