मीरगंज पीएचसी की बिल्डिंग नहीं हुई हैंडओवर, इलाज को तरस रहे मरीज

Khadim Abbas Rizvi | Jun 11, 2017, 19:35 IST
Health
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

जौनपुर। जिले के मीरगंज के रहने वाले हजारों ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बना पीएचसी भवन उपेक्षा का शिकार हो रहा है। बिल्डिंग बने कई वर्ष गुजर गए हैं, लेकिन अब तक इसको हैंडओवर करने का कार्य पूरा नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विभाग ने बिल्डिंग बनाने में एक करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिए, लेकिन इलाज के नाम पर आज भी इलाके के लोगों को मछलीशहर यह फिर जिला मुख्यालय का रुख करना पड़ रहा है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिम्मेदार अधिकारियों को लोगों की समस्या दिख नहीं रही या फिर सब जानते हुए भी आंख बंद किए हुए हैं।

मछलीशहर के पूर्व विधायक विनोद सिंह के प्रयास से शासन ने वर्ष 2008 में मीरगंज पीएचसी के लिए धन अवमुक्त कराया था। इसके बाद इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ। अस्पताल की बिल्डिंग तैयार भी हो गई। इसके लिए कागजी तौर पर डाक्टर की भी तैनाती कर दी गई, लेकिन भवन हैंडओवर न होने के चलते अस्पताल में डाक्टर कभी आए ही नहीं। जिला स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि इलाके में बने आयुर्वेदिक अस्पताल में डाक्टर सप्ताह में दो दिन सोमवार और शुक्रवार बैठते हैं, लेकिन इलाके के लोगों का कहना है कि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है।

मीरगंज पीएचसी भवन के हैंडओवर करने की तैयारी चल रही है। जल्द ही प्रक्रिया पूरी करके वहां इलाज की सुविधा क्षेत्र के लोगों को मिलने लगेगी।
एसके यादव, सीएमओ, जौनपुर

पीएचसी पर इलाज शुरू न होने से इलाके के लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लोगों को इलाज कराने के लिए मछलीशहर जाना होता है। दिक्कत यह है कि मछलीशहर जाने के लिए एक व्यक्ति का दोनों तरफ का किराया ही 70 रुपए खर्च हो जात है। यदि कोई जिला अस्पताल आता है तो तब 100 रुपए किराया लगाना पड़ जाता है। ऐसे में सरकारी इलाज भी गरीबों के लिए सस्ता कहां रहा।

इतना ही नहीं आए दिन इलाके में एक्सीडेंट होता रहता है। पीएचसी पर इलाज की सुविधा न होने के चलते लोगों को प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाता है। ऐसे में कई बार एक्सीडेंट में घायलों लोगों की जान भी चली जाती है। मीरगंज इलाके में 44 गांव आते हैं। इन गांवों की आबादी करीब 60 हजार है। इन लोगों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। पीएचसी पर इलाज की सुविधा मिलने लगे तो बरसठी इलाके भी करीब 15 गांवों के लोगों को फायदा मिलेगा।

करियांव गॉंव के लाल प्रताप (55वर्ष) का कहना है,“ अस्पताल पर डाक्टर न होने से लोगो की बीस किमी दूर इलाज के लिए मछलीशहर जाना पड़ता है। ऐसे में किराए के साथ-साथ परेशानी भी होती है।” अलापुर निवासी विपुल सिह (36 वर्ष) का कहना है,“ एक करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करके अस्पताल बन गया है, लेकिन मरीजों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है। ऐसे में अस्पताल बनने का क्या फायदा है।”

आंकड़े

  • 117 करोड़ से बना मीरगंज पीएचसी
  • 60 हजार से अधिक की आबादी इलाके की
  • 40 गांव आते हैं मीरगंज क्षेत्र में, 15 बरसठी में
  • 70 रुपए एक व्यक्ति का किराया मछलीशहर जाने में
  • 100 रुपए जिला अस्पताल आने में हो जाता है खर्च
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