मुलायम सिंह की सरकार ने दिया नकल को बढ़ावा: एसपी सिंह बघेल

Mo. Amil | Sep 22, 2017, 19:39 IST
Small irrigation minister SP Singh Baghel
स्वयं प्रोजेक्ट

अलीगढ़। धर्म समाज महाविद्यालय के ऑडीटोरियम में अनुसूचित विद्यार्थी प्रतिभा सम्मान समारोह में प्रदेश के पशुधन, लघु सिंचाई एवं मत्स्य विभाग के कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल ने मुलायम सिंह यादव पर शिक्षा में नकल को बढ़ावा देने का आरोप लगाया, कार्यक्रम में उन्होंने मंच पर प्रतिभाशाली छात्राओं को प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया।

कैबिनेट मंत्री बघेल ने परीक्षाओं में नकल होने की प्रवृत्ति पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि विगत में उत्तर प्रदेश में जब राजनाथ सिंह सरकार थी उस समय नकल रोकने के लिये कड़े प्राविधान किये परन्तु मुलायम सिंह यादव ने सरकार बनते ही राजनाथ सिंह की सरकार द्वारा बनाये गये प्राविधानों को खत्म कर दिया और यह नकल विहीन शिक्षा के क्षेत्र में काले दिन के नाम से जाना जायेगा। उन्होंने कहा कि नकल विहीन परीक्षा में बोर्ड परीक्षा का उत्तीर्ण औसत लगभग 40-45 प्रतिशत था जबकि मुलायम सिंह की सरकार के जमाने में यह बढ़कर 80-85 प्रतिशत हो गया।

उन्होंने कहा कि जिन बच्चों ने नकल विहीन परीक्षा में बेशक अंक कम प्राप्त किये हों परन्तु उन सभी को रोजगार मिल गया जबकि नकल करके उत्तीर्ण विद्यार्थियों में से आज भी रोजगार के लिये भटकते मिल जायेंगे। उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में हम मेधावी छात्र-छात्राओं का सम्मान कर रहे हैं परन्तु मैं चाहता हूॅ कि हम एक और कार्यक्रम ऐसा ही आयोजित करें जिसमें 33 प्रतिशत से लेकर 60 प्रतिशत तक के छात्र-छात्राओं का समाजिक सम्मान कर उन्हें नकल विहीन शिक्षा प्राप्ति के लिये उनका उत्साहवर्धन किया जाये।

जब शिक्षा में समता नहीं तो विद्यार्थियो में कैसे बनेगी समता

कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल ने अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा कि बहुत ही अफसोस जनक बात है कि देश की आजादी के बाद समाज में समता लाने वाले नीति निर्धारकां ने सामाजिक समता के लिये तो नीतियां और कानून बनाये परन्तु शिक्षा के क्षेत्र में समता बनाये रखने का कोई प्राविधान नहीं किया। प्राचीन काल में रामायण और महाभारत के युग में भी राजा और आम प्रजा के बच्चे घर से दूर गुरूकुल में एक समान खान-पान, पहनावा और रहन-सहन के साथ शिक्षा ग्रहण करते थे, परन्तु अब शिक्षा के पांच प्रकार के स्तर हो गये हैं।

पहला- कैम्ब्रिज, ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालय हैं, दूसरा-जेएनयू व डीयू जैसे विश्व विद्यालय, तीसरा- दून स्कूल, डीपीएस आदि, चौथा-मॉन्टेसरी के ऐसे स्कूल जिसमें बच्चे लाल-नीली टाई आदि लगाकर जाते हैं और पॉचवां-जिला परिषद, नगर निकाय के प्राथमिक विद्यालय। इन पॉचों श्रेणियों के विद्यालयां में अलग-अलग वित्तीय स्टेटस के लोगों के बच्चे पढ़ते हैं इसीलिये शिक्षा में जब समता नहीं तो शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों में समता कैसे पनपेगी।

बच्चों की पढ़ाई के लिए बेच दो संम्पति

कैबिनेट मंत्री एसपी सिंह बघेल ने बच्चों के अभिभावकों से सीधे-सीधे कहा कि अपने बच्चों की शिक्षा के लिये प्लॉट या अन्य कोई चीज बेचनी हो तो बेझिझक उसे बेच दें और बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिये ट्यूशन/कोचिंग की व्यवस्था जरूर कर दें क्योंकि वही आपका बच्चा पढ-लिखकर और वास्तविक योग्यता प्राप्त कर आपकी खोई हुयी सम्पत्ति को पुनः अर्जित कर लेगा लेकिन आपका बच्चा ढंग से पढ नहीं पाया तो आपकी अर्जित सम्पत्ति को भी वयस्क होने पर बेच देगा।

उन्होंने कहा कि अनुसूचित और पिछड़े वर्ग के लोगों में अब जागरूकता आ रही है इसीलिये उनकी सलाह है कि सभी लोग शिक्षा के क्षेत्र में अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलायें और सामान्य ज्ञान का स्तर भी ऊॅचा रखें क्योंकि उनकी सरकार ने अब साक्षात्कार के रूप में भ्रष्टाचार खत्म कर दिया है और अब न तो किसी विधायक या मंत्री की सिफारिश चलेगी और न ही अन्य कोई अनुचित तरीका काम आयेगा। अब तो बस वास्तविक योग्यता से ही नौकरी मिल सकेगी।

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