भूमिहीन किसान नहीं खरीद पाएंगे दुधारू पशु

Diti Bajpai | Jun 16, 2017, 15:24 IST
Swayam Project
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। पशुओं के साथ हो रही क्रूरता को रोकने के लिए बने नए नियम के बाद अब भूमिहीन किसान दुधारू पशु नहीं रख पाएंगे। दुधारू पशुओं की खरीद-फरोख्त खेती करने वाले किसानों के बीच ही हो सकेगी। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के 23 मई से लागू पशु क्रूरता निवारण कानून (रेग्युलेशन ऑफ लाइवस्टॉक मार्केट) के तहत पशुओं के कान और पूछ उमेठना भी हिंसा की श्रेणी में माना जाएगा। इस अधिसूचना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।

वहीं, केंद्र सरकार की इस अधिसूचना से पशुपालक और किसान संतुष्ट नहीं हैं।

क्या खास है नए नियम में?

1. गर्भवती गाय की बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित। नौ महीने तक गोवंश की बिक्री पर रोक।

2. मंडियों में खरीद फरोख्त के लिए आने वाले पशुओं की वाहनों में चढ़ाई उतराई वेटेरनरी इंस्पेक्टर की मौजूदगी में होगी।

3. इंस्पेक्टर से पशुओं को मंडियों की यात्रा के लिए फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा। पशु लोडिंग के लिए भी बाकायदा डीसी की इजाजत लेनी होगी।

4. पशुओं के कान और उनकी पूछ नहीं मरोड़ सकेंगे।

लखनऊ जिले के अटेसुआ गाँव के किसान फखरुद्दीन (40 वर्ष) कहते हैं, ‘’अगर किसानों के पास ज़मीन नहीं है, तो क्या वह दुधारू पशु नहीं रखेगा। सरकार का यह फैसला गरीबों के साथ एक मजाक की तरह है।’’

नियमों का पालन कराने को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने राज्यों में स्टेट बोर्ड के गठन के निर्देश दिए हैं। जिला स्तर पर एक पशु बाजार पर नजर रखने वाली कमेटी और स्थानीय स्तर पर पशु बाजार कमेटी बनेगी।

खरीददार को सुनिश्चित करना होगा कि वो मवेशी को खेती के उद्देश्य से ले जा रहा है, और घोषणापत्र देना होगा कि वह 6 महीने तक मवेशी को नहीं बेचेगा। खरीद-फरोख्त के लिए खेती की जमीन के दस्तावेज, पशु के मालिकाना हक का शपत्र पत्र और आईडी प्रूफ भी देना होगा।

उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. बीबीएस यादव बताते हैं, “इन नियमों से डेयरी किसानों के लिए फायदा भी है और नुकसान भी। कई किसानों के पास जमीन नहीं है और वो पशुपालन करते हैं। ऐसे में उनको शपथपत्र बनवाना पड़ेगा। इन नियमों सेडेयरी किसान पशुओं को खरीदने से कतरा रहे हैं, क्योंकि बीच रास्ते में उनके साथ हादसे हो जाते हैं।”

देश के छोटे और सीमांत किसानों के पास कुल कृषि भूमि की 30 प्रतिशत जोत है। इनमें से 70 प्रतिशत किसान पशुपालन से जुड़े है जिनके पास कुल पशुधन का 80 प्रतिशत भाग मौजूद है। इससे यह स्पष्ट है कि देश में अधिकांश पशुधन आर्थिक रुप से निर्बल वर्ग के पास है। ऐसे में जिनके पास जमीन नहीं है, उनको इन नियमों से काफी दिक्कतों कासामना करना पड़ेगा।

बाराबंकी जिले के किसान पशुपालक जयदेव कुमार (35 वर्ष) कहते हैं, ‘’हमारे गाँव में बहुत लोग ऐसे हैं, जिनके पास ज़मीन नहीं हैं, वो बस एक दो पशुओं को अपने घर में रखे हुए हैं। लेकिन अगर वो कुछ और पशु पालना चाहें तो, इस समय नए पशु खरीदने के लिए बनाए गए नियम बहुत कठिन हैं। दूसरा अगर अब ज़मीन नहीं होगी तो उन्हें पशु भी नहीं मिल सकेंगे।’’

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