ऊसर जमीन को 12 महीने में परंपरागत ढंग से बनाया उपजाऊ
Neetu Singh 4 Dec 2017 4:04 PM GMT
रसूलाबाद (कानपुर देहात)। ढाई बीघा जमीन में सवा बीघा जमीन ऊसर थी, सवा बीघा में परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल था। जुलाई 2015 से ऊसर खेत को ठीक करने का खुद से प्रयास शुरू किया और 12 महीने में हमारा ऊसर खेत उपजाऊ बन गया।
ऊसर खेत को कैसे बनाएं उपजाऊ
कानपुर देहात जिले के रसूलाबाद ब्लॉक से 9 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में दहेली गाँव हैं। इस गाँव में रहने वाले सिपाही लाल (45 वर्ष) बताते हैं कि पिछले 23 साल से मैं दिल्ली में रह रहा था। पिछले साल ही घर आया। गाँव में खेती करना ही मुख्य साधन था, पर मेरे पास पर्याप्त जमीन नहीं थी। वो आगे बताते हैं कि कई दिन खेत पास जाकर घंटों सोचता रहता कि इस ऊसर खेत को कैसे ठीक करूँ। एक ऊसर सुधार समिति की मीटिंग में बैठने का मौका मिला और तबसे मैंने ये संकल्प लिया कि जल्द ही मैं अपने खेत को उपजाऊ बना दूंगा।
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ऐसा बनाया ऊसर भूमि को उपजाऊ
सिपाही लाल ने ऊसर सुधार समिति के मार्गदर्शन से सबसे पहले अपने ऊसर खेत में मेढ़ बंदी की। मेढ़ बंदी के बाद पूरे खेत में पानी भर दिया। सिपाही लाल के घर से खेत की दूरी एक किलोमीटर है। सिपाही लाल बताते हैं कि घर से निकलने से लेकर खेत तक पहुँचने में रास्ते में जिनता भी घास-फूस, खर-पतवार मिलता उसे उठाकर अपने खेत में ले जाते। तीन चार महीने तक लगातार ये घास-फूस खेत में डालते रहे। खेत की नमी कभी खत्म नहीं होने दी। एक बार पानी लगाने के बाद वो पानी खेत से बाहर निकाल देते। 15 दिन बाद फिर पानी लगा देते। ये प्रक्रिया लगातार पूरे एक साल चलती रही। तीन चार महीने बाद धान का पुआल डालकर पूरे खेत में पानी लगा दिया।
32 साल बाद पहली बार खेत में की धान की रोपाई
सिपाही लाल कहते हैं कि शुरू में घर में कोई जानवर नही था। फिर पैसे इकट्ठा करके एक भैंस खरीदी और तब से घर से 1 किमी दूर अपने खेत पर रोज सुबह शाम गोबर लेकर जाते। खेत में भरे पानी में गोबर घोल देते थे। पूरे खेत में कोई भी जगह शेष नहीं बची, जहाँ गोबर न पड़ा हो। सिपाही लाल आगे बताते हैं कि जब खेत की नमीं कम होती तो जुताई करा देते, फिर पानी भर देते।
ये पूरी प्रक्रिया पूरे एक साल की, इसके बाद हमारा खेत बोआई की स्थिति में पहुंच गया। इस साल 32 साल बाद पहली बार खेत में धान की रोपाई की है। सिपाही लाल खुश होकर बताते हैं कि गाँव के कई किसान हमारे खेत में लगी धान की तारीफ़ कर रहे हैं और मैं खुद भी बहुत खुश हूँ। उम्मीद है कि इस बार इस खेत में 20 कुंतल तक धान का उत्पादन आसानी से हो जायेगा।
जमीन उपजाऊ बनाने का यह तरीका अपनाएं
पूरे साल खेत में गोबर डालना, खेत में पानी भरना उसे बाहर निकालना और फिर भरना, खेत की लगातार जुताई, खेत को समतल करना, पुआल और खर-पतवार डालकर पानी भरकर पाट देना, ये प्रक्रिया एक साल अपनाकर किसान अपने ऊसर खेत को पूरी तरह से ठीक कर सकते हैं। ऊसर जमीन को ठीक करने का ये परम्परागत तरीका है, जिसमें 15 हजार रुपए खर्चा आ जाता है। पहली फसल में ही ये पैसा वसूल हो जाता है।
इस ब्लॉक की इस समय 200 बीघा जमीन ऊसर से उपजाऊ बन गयी है। यहाँ के किसान लगातार प्रयासरत हैं और अपने ऊसर खेतों को उपजाऊ बनाने में लगे हैं।रविन्द्र कुमार, प्रशिक्षक, श्रमिक भारती, ऊसर सुधार समिति
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