...फिर ससुराल में एक बहु की जान पर बन आयी, डायल 100 की मदद से ज़िंदा बची

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...फिर ससुराल में एक बहु की जान पर बन आयी, डायल 100 की मदद से ज़िंदा बचीअस्पलात के बेड पर लेटी पीड़िता रोली।

भारती सचान - राहुल गुप्ता

स्वयं प्रोजेक्ट

कानपुर। बेटी बचाओ बेटी बढ़ाओ, यही आज का नारा है, लेकिन वही बेटी जब बहु बनकर दहेज़ लोभियों के घर पहुंच जाती है तो क्या होता है ?

वाक्या कानपुर देहात के मोहा गांव की रहने वाली रोली का है, जिसकी पिछले महीने 9 मई को इटावा के विजईपुरा गांव में शादी हुई थी। दहेज की बकाया एक लाख रुपए की रकम न चुका पाने की वजह से पहले तो रोली की चौथी नहीं उठी, और फिर ससुराल वालो के जुल्म इतने बढ़े की बात मरने तक पहुंच गई।

पीड़िता

अस्पताल के बेड पर लेटी रोली अपनी बात डरते डरते बताती हैं, "शादी के दुसरे दिन ही मेरे पति ने इतना मारा की नाक से खून आ गया और मैं बेहोश हो गई, मुझे पानी डाल कर होश में लाया गया, फिर सांस और जेठानी ने खूब मारा, जेठ ने सारे जेवर छीन लिए और मेरा फ़ोन तोड़ दिया, साथ ही मेरे पिता और भाई को मारने की धमकी भी दी।"

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अस्पताल में भर्ती पीड़िता।

बात यहीं पर खत्म हो जाती तब भी एक बहु सह लेती मगर, जब उसे यह पता चला की ससुराल वाले अब उसे मार डालने की पूरी प्लानिंग बना चुके हैं तो उसने रात में चुपके से बाथरूम जाने के बहाने अपनी माँ को फोन किया और कहा की, 'एक लाख रुपए ले आओ वरना ये लोग हमें मार डालेंगे'। अपनी बेटी के इस फ़ोन के बाद घर वालों ने डायल 100 का सहारा लिया, और पुलिस ने रोली के परिजनों की सूचना पर कड़ी मशक्कत के बाद उसे ससुराल के चंगुल से निकला।

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शादी के बाद एक लड़की अपनी ससुराल को लेकर कितने सपने सजाती है, रोली ने भी देखे होंगे, लेकिन सिर्फ 30 दिन की दुल्हन बन कर वो सब टूट गए।

आसुओं को पोछते हुए रोली के पिता बीरेन्द्र सिंह कहते हैं, "शादी के दिन ही शिव प्रताप सिंह और उसके परिजनों ने दहेज में 5 लाख रुपए नगद देने की मांग की। इससे परेशान होकर उन्होंने किसी तरह 4 लाख रुपए एकत्र कर लिए और 1 लाख के लिए कुछ समय मांगा। उस वक़्त तो गाँव के लोगों के दबाव के कारण रोली के ससुरालवालों ने विदा कर ली।"

बीरेन्द्र सिंह, पीड़िता के पिता।


50 साल के रोली के पिता आगे बताते हैं, "हमने तो सपने में भी नहीं सोचा था, की ससुराल वाले हमारी बेटी के साथ ऐसा सलूक करेंगे, वह तो डायल 100 पर फोन करने के बाद पुलिस की वजह से जान बच गई वरना आज हमारी बेटी ज़िंदा न होती।"

पुलिस की डायल 100 सेवा।


रोली का उपचार कर रहे डाक्टर पवन पार्या (वरिष्ठ चिकित्सक जिला अस्पताल कानपुर देहात) का कहना है, “कि रोली को काफी वीकनेस है, साथ ही उसके पेट के निचले हिस्से मे भी बहुत दिक्कते हैं, जिसका उपचार चल रहा हैं। जल्द ही उसकी स्थिति में सुधार आने की सम्भावना है”।

पुलिस आलाधिकारी राम कृष्ण मिश्रा (सीओ) इस मामले में कहते हैं कि, "पीड़िता रोली की शिकायत पर स्थानीय रूरा पुलिस में मामले को दर्ज कर वैधानिक कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं।

मगर अस्पताल और पुलिस इन सब के चक्कर लगाने के बाद सवाल यही उठता है, की हमारा समाज बेटिओं के प्रति कब संवेदनशील होगा ? दहेज़ नाम की यह प्रथा आखिर कब खत्म होगी ?

         

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