By Dr SK Singh
मीलीबग आम की फसल को 50–100% तक नुकसान पहुँचा सकता है, लेकिन दिसंबर में किया गया प्रबंधन इस खतरे को पूरी तरह रोक सकता है। सही समय पर कार्रवाई, बेहतर फूल और अधिक उत्पादन का रास्ता बनाती है।
मीलीबग आम की फसल को 50–100% तक नुकसान पहुँचा सकता है, लेकिन दिसंबर में किया गया प्रबंधन इस खतरे को पूरी तरह रोक सकता है। सही समय पर कार्रवाई, बेहतर फूल और अधिक उत्पादन का रास्ता बनाती है।
By Gaon Connection
मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है
मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है
By Divendra Singh
खरीफ 2025-26 के प्रथम अग्रिम अनुमान बताते हैं कि जलवायु चुनौतियों के बावजूद भारतीय कृषि ने असाधारण प्रदर्शन किया है। कुल खाद्यान्न उत्पादन 1733.30 लाख टन पहुँचने की उम्मीद है, जिसमें चावल, मक्का, दलहन और तेलहन सभी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
खरीफ 2025-26 के प्रथम अग्रिम अनुमान बताते हैं कि जलवायु चुनौतियों के बावजूद भारतीय कृषि ने असाधारण प्रदर्शन किया है। कुल खाद्यान्न उत्पादन 1733.30 लाख टन पहुँचने की उम्मीद है, जिसमें चावल, मक्का, दलहन और तेलहन सभी में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
By Gaon Connection
गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।
गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।
By Gaon Connection
By Gaon Connection
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) ने आंध्र प्रदेश के 198 लाल चंदन किसानों और एक शिक्षण संस्थान को 3 करोड़ रुपये जारी किए हैं। ये राशि "मूल्यांकन और लाभ साझा करने" ढांचे के तहत दी गई है, जो जैव विविधता संरक्षण और ग्रामीण समुदायों की आजीविका सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।
राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) ने आंध्र प्रदेश के 198 लाल चंदन किसानों और एक शिक्षण संस्थान को 3 करोड़ रुपये जारी किए हैं। ये राशि "मूल्यांकन और लाभ साझा करने" ढांचे के तहत दी गई है, जो जैव विविधता संरक्षण और ग्रामीण समुदायों की आजीविका सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम है।
By Gaon Connection
भारत में मधुमक्खी पालन अब केवल शौक़ नहीं, बल्कि रोज़गार और आत्मनिर्भरता का मज़बूत साधन बन चुका है। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM) के तहत सरकार किसानों और महिला समूहों को वैज्ञानिक तकनीकों से जोड़ रही है, जिससे शहद उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी और निर्यात में नई ऊंचाई मिली है।
भारत में मधुमक्खी पालन अब केवल शौक़ नहीं, बल्कि रोज़गार और आत्मनिर्भरता का मज़बूत साधन बन चुका है। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (NBHM) के तहत सरकार किसानों और महिला समूहों को वैज्ञानिक तकनीकों से जोड़ रही है, जिससे शहद उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी और निर्यात में नई ऊंचाई मिली है।
By Manvendra Singh
By Manvendra Singh
By Gaon Connection
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि दुनिया जलवायु संकट से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। विकासशील देशों को हर साल 310 अरब डॉलर की ज़रूरत है, लेकिन मिल रहे हैं सिर्फ़ 26 अरब। अगर अब भी निवेश नहीं बढ़ा, तो आने वाले सालों में सिर्फ़ तापमान ही नहीं, नुकसान भी कई गुना बढ़ जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि दुनिया जलवायु संकट से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। विकासशील देशों को हर साल 310 अरब डॉलर की ज़रूरत है, लेकिन मिल रहे हैं सिर्फ़ 26 अरब। अगर अब भी निवेश नहीं बढ़ा, तो आने वाले सालों में सिर्फ़ तापमान ही नहीं, नुकसान भी कई गुना बढ़ जाएगा।