जंगल जैसा खेत: 1000 पेड़-पौधों के साथ खेती का नया मॉडल
जंगल जैसा खेत: 1000 पेड़-पौधों के साथ खेती का नया मॉडल

By Gaon Connection

मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है

मेहसाणा के लुनासन गाँव में एक किसान ने खेती को जंगल में बदल दिया और जंगल की तरह खेती को। अमोल खडसरे ने पर्माकल्चर मॉडल अपनाते हुए 1000 से अधिक पेड़-पौधों, औषधियों, सब्जियों और जंगली घासों को एक साथ उगाया, बिना केमिकल, बिना तनाव और बिना अत्यधिक पानी के। आज उनका खेत सिर्फ कृषि उत्पादन नहीं, बल्कि एक जीवित इकोसिस्टम है

जंगल ही खेत, प्रकृति ही गुरु: गोवा के एक किसान का खेती का अनोखा मॉडल
जंगल ही खेत, प्रकृति ही गुरु: गोवा के एक किसान का खेती का अनोखा मॉडल

By Gaon Connection

गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।

गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।

जंगली सूअरों के कहर से टूटा सब्र: कोयंबटूर के किसान खुद बचाएँगे अपनी फ़सल
जंगली सूअरों के कहर से टूटा सब्र: कोयंबटूर के किसान खुद बचाएँगे अपनी फ़सल

By Gaon Connection

लगातार जंगली सूअरों के हमलों से फसल बर्बाद होने और सरकारी कार्रवाई न के बराबर होने से कोयंबटूर के किसान मजबूर हो चुके हैं। अब उन्होंने अपने खेत बचाने के लिए 15 किसानों की विशेष टीम बनाकर खुद ही हालात संभालने का फैसला लिया है।

लगातार जंगली सूअरों के हमलों से फसल बर्बाद होने और सरकारी कार्रवाई न के बराबर होने से कोयंबटूर के किसान मजबूर हो चुके हैं। अब उन्होंने अपने खेत बचाने के लिए 15 किसानों की विशेष टीम बनाकर खुद ही हालात संभालने का फैसला लिया है।

कुड़ुख भाषा को गीतों में बुनकर बचा रहीं दो आदिवासी बहनें
कुड़ुख भाषा को गीतों में बुनकर बचा रहीं दो आदिवासी बहनें

By Divendra Singh

दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?

दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?

एक जनजातीय वैद्य की विरासत: सरोजिनी कैसे बचा रहीं दुर्लभ औषधीय पौधे
एक जनजातीय वैद्य की विरासत: सरोजिनी कैसे बचा रहीं दुर्लभ औषधीय पौधे

By Divendra Singh

छत्तीसगढ़ की जनजातीय वैद्य सरोजिनी पनिका पारंपरिक औषधीय ज्ञान को न सिर्फ़ जिंदा रख रही हैं, बल्कि उसे आधुनिक वैज्ञानिक समझ से जोड़कर ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के नए रास्ते खोल रही हैं। लुप्तप्राय औषधीय पौधों की खेती से लेकर 200 महिलाओं के हर्बल यूनिट तक, उनकी कहानी परंपरा, जंगल और आत्मनिर्भरता की अनोखी मिसाल है।

छत्तीसगढ़ की जनजातीय वैद्य सरोजिनी पनिका पारंपरिक औषधीय ज्ञान को न सिर्फ़ जिंदा रख रही हैं, बल्कि उसे आधुनिक वैज्ञानिक समझ से जोड़कर ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका के नए रास्ते खोल रही हैं। लुप्तप्राय औषधीय पौधों की खेती से लेकर 200 महिलाओं के हर्बल यूनिट तक, उनकी कहानी परंपरा, जंगल और आत्मनिर्भरता की अनोखी मिसाल है।

जंगलों की खुशबू, नदियों की लय और पहाड़ों की साँस: ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ का सफ़र
जंगलों की खुशबू, नदियों की लय और पहाड़ों की साँस: ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ का सफ़र

By Divendra Singh

बारह जनजातियाँ, चवालीस कलाकार, एक सपना-आदिवासी संगीत को उसके सही सम्मान तक पहुँचाना। ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ एक आंदोलन है, एक यात्रा है, एक बयान है।

बारह जनजातियाँ, चवालीस कलाकार, एक सपना-आदिवासी संगीत को उसके सही सम्मान तक पहुँचाना। ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ एक आंदोलन है, एक यात्रा है, एक बयान है।

संवाद 2025: जब समुदाय, संस्कृति और धरती की धड़कनें एक सुर में मिलीं
संवाद 2025: जब समुदाय, संस्कृति और धरती की धड़कनें एक सुर में मिलीं

By Divendra Singh

संवाद केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक एहसास है, जहाँ कोई मंच पर बोलता है, तो वह सिर्फ अपने समुदाय की बात नहीं करता, वह अपने पुरखों की धड़कनें, जंगलों की खुशबू और अपनी मिट्टी की स्मृतियाँ साथ लेकर आता है।

संवाद केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक एहसास है, जहाँ कोई मंच पर बोलता है, तो वह सिर्फ अपने समुदाय की बात नहीं करता, वह अपने पुरखों की धड़कनें, जंगलों की खुशबू और अपनी मिट्टी की स्मृतियाँ साथ लेकर आता है।

अमेज़न फिर से सांस ले रहा है, लेकिन जलवायु की जंग अभी भी है अधूरी
अमेज़न फिर से सांस ले रहा है, लेकिन जलवायु की जंग अभी भी है अधूरी

By Gaon Connection

ब्राज़ील ने 2024 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17% की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की, जो 2009 के बाद सबसे बड़ी कमी है। यह सफलता मुख्यतः अमेज़न और सेराडो क्षेत्रों में वनों की कटाई घटने से मिली। लेकिन सूखे और जंगल की आग ने नए खतरे भी पैदा किए हैं - जो बताते हैं कि जलवायु की जंग अभी जारी है।

ब्राज़ील ने 2024 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 17% की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की, जो 2009 के बाद सबसे बड़ी कमी है। यह सफलता मुख्यतः अमेज़न और सेराडो क्षेत्रों में वनों की कटाई घटने से मिली। लेकिन सूखे और जंगल की आग ने नए खतरे भी पैदा किए हैं - जो बताते हैं कि जलवायु की जंग अभी जारी है।

टाइगर रिजर्व में खतरों और चुनौतियों के बीच जंगल में कैसे होती है मानसून गस्त?
टाइगर रिजर्व में खतरों और चुनौतियों के बीच जंगल में कैसे होती है मानसून गस्त?

By Arun Singh

बारिश के मौसम में जब देश के सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद हो जाते हैं। उस समय घने जंगल, दुर्गम पहाड़ों, गहरे गड्डों और नदी नालों के बीच वन कर्मी पैदल गस्त करते हैं। इस दौरान उन्हें हर पल खतरों और चुनौतियों से जूझना पड़ता है। इन विषम परिस्थितियों में भी वे वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहते हैं।

बारिश के मौसम में जब देश के सभी टाइगर रिजर्व पर्यटकों के लिए बंद हो जाते हैं। उस समय घने जंगल, दुर्गम पहाड़ों, गहरे गड्डों और नदी नालों के बीच वन कर्मी पैदल गस्त करते हैं। इस दौरान उन्हें हर पल खतरों और चुनौतियों से जूझना पड़ता है। इन विषम परिस्थितियों में भी वे वन्य प्राणियों की सुरक्षा के लिए मुस्तैद रहते हैं।

जमुना टुडू की एक पहल से छह हजार महिलाएं वन माफियाओं से बचा रहीं जंगल
जमुना टुडू की एक पहल से छह हजार महिलाएं वन माफियाओं से बचा रहीं जंगल

By Neetu Singh

बाईस साल पहले छह महिलाओं से जंगल बचाने की शुरुआत करने वाली जमुना टुडू के लिए ये राह इतनी आसान नही थी पर इनके बुलंद इरादों के आगे वन माफियाओं ने भी इनसे हार मान ली थी।

बाईस साल पहले छह महिलाओं से जंगल बचाने की शुरुआत करने वाली जमुना टुडू के लिए ये राह इतनी आसान नही थी पर इनके बुलंद इरादों के आगे वन माफियाओं ने भी इनसे हार मान ली थी।

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