By Gaon Connection
मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।
मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।
By Divendra Singh
World Weather Attribution की नई स्टडी बताती है कि ईरान, इराक और सीरिया पिछले पाँच वर्षों से जिस भयंकर सूखे से जूझ रहे हैं, वह प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। ईरान में जलाशय खाली हो रहे हैं, शहर पानी की कगार पर हैं, और COP30 के बीच यह रिपोर्ट वैश्विक सिस्टम को झकझोरने वाली चेतावनी देती है।
World Weather Attribution की नई स्टडी बताती है कि ईरान, इराक और सीरिया पिछले पाँच वर्षों से जिस भयंकर सूखे से जूझ रहे हैं, वह प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। ईरान में जलाशय खाली हो रहे हैं, शहर पानी की कगार पर हैं, और COP30 के बीच यह रिपोर्ट वैश्विक सिस्टम को झकझोरने वाली चेतावनी देती है।
By Gaon Connection
भारत के गाँवों में जलकुंभी वर्षों से एक ऐसी समस्या रही है जिसने तालाबों, मछलियों, जलजीवों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का दम घोंट दिया है। तालाब जो कभी जीवन का स्रोत थे, आज हरी चादरों के नीचे सिसकते दिखते हैं। पर इसी अंधेरे के बीच एक नई रोशनी उभरी ICRISAT का सौर ऊर्जा से चलने वाला वाटर हाइऐसिंथ हार्वेस्टर। एक ऐसी मशीन जो न केवल जलकुंभी हटाती है, बल्कि उसे ग्रामीण आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के अवसर में बदल देती है।
भारत के गाँवों में जलकुंभी वर्षों से एक ऐसी समस्या रही है जिसने तालाबों, मछलियों, जलजीवों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का दम घोंट दिया है। तालाब जो कभी जीवन का स्रोत थे, आज हरी चादरों के नीचे सिसकते दिखते हैं। पर इसी अंधेरे के बीच एक नई रोशनी उभरी ICRISAT का सौर ऊर्जा से चलने वाला वाटर हाइऐसिंथ हार्वेस्टर। एक ऐसी मशीन जो न केवल जलकुंभी हटाती है, बल्कि उसे ग्रामीण आजीविका, पर्यावरण संरक्षण और महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के अवसर में बदल देती है।
By Gaon Connection
COP30 में जारी क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2026 ने एक बार फिर दिखाया है कि जलवायु संकट अब भविष्य की आशंका नहीं, बल्कि वर्तमान की सच्चाई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1995 से 2024 के बीच भारत बार-बार बाढ़, चक्रवात, लू और सूखे जैसी चरम मौसम की घटनाओं से प्रभावित हुआ है और अब दुनिया के दस सबसे असुरक्षित देशों में नौवें स्थान पर है।
COP30 में जारी क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2026 ने एक बार फिर दिखाया है कि जलवायु संकट अब भविष्य की आशंका नहीं, बल्कि वर्तमान की सच्चाई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1995 से 2024 के बीच भारत बार-बार बाढ़, चक्रवात, लू और सूखे जैसी चरम मौसम की घटनाओं से प्रभावित हुआ है और अब दुनिया के दस सबसे असुरक्षित देशों में नौवें स्थान पर है।
By Gaon Connection
नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट State of the Cryosphere 2025 ने चेतावनी दी है कि धरती की बर्फ़ पहले से कहीं तेज़ पिघल रही है। अगर मौजूदा उत्सर्जन दर जारी रही, तो आने वाले दशकों में अरबों लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता है। लेकिन रिपोर्ट यह भी बताती है कि अगर दुनिया अभी निर्णायक कदम उठाए, तो उम्मीद अब भी बची है।
नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट State of the Cryosphere 2025 ने चेतावनी दी है कि धरती की बर्फ़ पहले से कहीं तेज़ पिघल रही है। अगर मौजूदा उत्सर्जन दर जारी रही, तो आने वाले दशकों में अरबों लोगों का जीवन खतरे में पड़ सकता है। लेकिन रिपोर्ट यह भी बताती है कि अगर दुनिया अभी निर्णायक कदम उठाए, तो उम्मीद अब भी बची है।
By Manvendra Singh
By Gaon Connection
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि दुनिया जलवायु संकट से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। विकासशील देशों को हर साल 310 अरब डॉलर की ज़रूरत है, लेकिन मिल रहे हैं सिर्फ़ 26 अरब। अगर अब भी निवेश नहीं बढ़ा, तो आने वाले सालों में सिर्फ़ तापमान ही नहीं, नुकसान भी कई गुना बढ़ जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र की नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि दुनिया जलवायु संकट से लड़ने के लिए तैयार नहीं है। विकासशील देशों को हर साल 310 अरब डॉलर की ज़रूरत है, लेकिन मिल रहे हैं सिर्फ़ 26 अरब। अगर अब भी निवेश नहीं बढ़ा, तो आने वाले सालों में सिर्फ़ तापमान ही नहीं, नुकसान भी कई गुना बढ़ जाएगा।
By डॉ. शिव बालक मिश्र
हमने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया, चर्चाएं हुईं और खतरे की घंटी बजाई, बस हो गया पर्यावरण संरक्षण और धरती, पानी, पावक, गगन और वायु की रक्षा। हम जानते सब हैं, लेकिन मानते नहीं।
हमने 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया, चर्चाएं हुईं और खतरे की घंटी बजाई, बस हो गया पर्यावरण संरक्षण और धरती, पानी, पावक, गगन और वायु की रक्षा। हम जानते सब हैं, लेकिन मानते नहीं।
By Arvind Singh Parmar
By गाँव कनेक्शन
लद्दाख के संकट के पीछे भी वही कारण जिम्मेदार हैं जो शिमला के लिए मुसीबत की वजह बने थे। ये कारण हैं पर्यटकों की बाढ़, गेस्ट हाउसों की तादाद में बेरोकटोक बढ़ोतरी और जल संसाधनों का दुरुपयोग।
लद्दाख के संकट के पीछे भी वही कारण जिम्मेदार हैं जो शिमला के लिए मुसीबत की वजह बने थे। ये कारण हैं पर्यटकों की बाढ़, गेस्ट हाउसों की तादाद में बेरोकटोक बढ़ोतरी और जल संसाधनों का दुरुपयोग।