By Ashwani Kumar Dwivedi
आजादी के बाद देश की लोकतान्त्रिक सरकार ने अखाड़ो की उपेक्षा की और नतीजतन देशी दांव -पेच सिखाने वाले देश के अधिकतर "अखाड़े" ख़त्म होनें कगार पर पहुच गए हैं।
आजादी के बाद देश की लोकतान्त्रिक सरकार ने अखाड़ो की उपेक्षा की और नतीजतन देशी दांव -पेच सिखाने वाले देश के अधिकतर "अखाड़े" ख़त्म होनें कगार पर पहुच गए हैं।
By Sanjay Srivastava
By गाँव कनेक्शन
By गाँव कनेक्शन
By अमित सिंह
By Sanjay Srivastava
By गाँव कनेक्शन
By गाँव कनेक्शन
By Ambika Tripathi
बिहार के कैमूर ज़िले की पूनम हर दिन सुबह चार बजे उठकर 15 किमी दूर कभी अखाड़े में लड़कों के बीच कुश्ती सीखती थीं ,आज वे दूसरी लड़कियों को कुश्ती के दांव-पेंच सिखा रहीं हैं।
बिहार के कैमूर ज़िले की पूनम हर दिन सुबह चार बजे उठकर 15 किमी दूर कभी अखाड़े में लड़कों के बीच कुश्ती सीखती थीं ,आज वे दूसरी लड़कियों को कुश्ती के दांव-पेंच सिखा रहीं हैं।
By Ambika Tripathi
राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुकी निर्जला कुमारी की राह इतनी आसान नहीं थी, दंगल फिल्म से प्रेरित होकर उनके पिता ने जब उन्हें ये सिखाना शुरू किया तमाम मुश्किलें आईं बावजूद इसके निर्जला ने कभी हार नहीं मानी।
राष्ट्रीय स्तर पर कुश्ती प्रतियोगिताओं में शामिल हो चुकी निर्जला कुमारी की राह इतनी आसान नहीं थी, दंगल फिल्म से प्रेरित होकर उनके पिता ने जब उन्हें ये सिखाना शुरू किया तमाम मुश्किलें आईं बावजूद इसके निर्जला ने कभी हार नहीं मानी।