By Gaon Connection
गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।
गोवा की पहाड़ियों में एक किसान पिछले 38 सालों से नंगे पाँव प्राकृतिक खेती कर रहा है- बिना जुताई, बिना केमिकल, बिना पेड़ काटे। संजय पाटिल ने 10 एकड़ जंगल को खेती में बदल दिया और साबित किया कि प्रकृति को न छेड़ें, तो वह दोगुना लौटाती है।
By Gaon Connection
मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।
मध्य हिमालय में बारिश का पैटर्न बदल चुका है, कुछ घंटों में महीनों जितनी बारिश, और नदियाँ पहले से अधिक उफनती हुई। नई वैज्ञानिक स्टडी चेतावनी देती है कि आने वाले दशकों में बाढ़ सिर्फ बढ़ेगी ही नहीं, बल्कि पहाड़ों की ज़िंदगी की दिशा ही बदल देगी।
By Divendra Singh
दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?
दो आदिवासी बहनें जब मंच पर गाती हैं, तो उनकी आवाज़ सिर्फ संगीत नहीं, संस्कृति की पुकार बन जाती है। उनके गीत पूरे आदिवासी समाज से पूछते हैं कि क्या हम अपनी जड़ों, अपनी पहचान और अपनी कुड़ुख भाषा से दूर जाते जा रहे हैं?
By Divendra Singh
बारह जनजातियाँ, चवालीस कलाकार, एक सपना-आदिवासी संगीत को उसके सही सम्मान तक पहुँचाना। ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ एक आंदोलन है, एक यात्रा है, एक बयान है।
बारह जनजातियाँ, चवालीस कलाकार, एक सपना-आदिवासी संगीत को उसके सही सम्मान तक पहुँचाना। ‘रिदम ऑफ़ द अर्थ’ एक आंदोलन है, एक यात्रा है, एक बयान है।
By Dr SB Misra
मन में एक सवाल आना स्वाभाविक है कि आखिर धर्म मनुष्य के अस्तित्व के लिए कितना जरूरी है? आखिर मनुष्य कोई धर्म लेकर तो पैदा नहीं होता; उसे जिस परिवार में वह पैदा हुआ, उसके बड़े-बूढ़ों से धर्मज्ञान मिलता है।
मन में एक सवाल आना स्वाभाविक है कि आखिर धर्म मनुष्य के अस्तित्व के लिए कितना जरूरी है? आखिर मनुष्य कोई धर्म लेकर तो पैदा नहीं होता; उसे जिस परिवार में वह पैदा हुआ, उसके बड़े-बूढ़ों से धर्मज्ञान मिलता है।
By Divendra Singh
संवाद केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक एहसास है, जहाँ कोई मंच पर बोलता है, तो वह सिर्फ अपने समुदाय की बात नहीं करता, वह अपने पुरखों की धड़कनें, जंगलों की खुशबू और अपनी मिट्टी की स्मृतियाँ साथ लेकर आता है।
संवाद केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक एहसास है, जहाँ कोई मंच पर बोलता है, तो वह सिर्फ अपने समुदाय की बात नहीं करता, वह अपने पुरखों की धड़कनें, जंगलों की खुशबू और अपनी मिट्टी की स्मृतियाँ साथ लेकर आता है।
By Karan Pal Singh
By Akankhya Rout
पहाड़, झरने और जंगली जानवरों की परवाह किए बिना लगातार सात साल से पहाड़ चढ़कर बच्चों को पढ़ाने के लिए जाते हैं। उन्हें एक घंटे की चढ़ाई के बाद उतरने में भी एक घंटा लगता है।
पहाड़, झरने और जंगली जानवरों की परवाह किए बिना लगातार सात साल से पहाड़ चढ़कर बच्चों को पढ़ाने के लिए जाते हैं। उन्हें एक घंटे की चढ़ाई के बाद उतरने में भी एक घंटा लगता है।
By Divendra Singh
बुंदेलखंड में हर जगह पर जब गर्मियों में सूखा नजर आता है, तो गाँव से बाहर एक छोटे से पहाड़ के पास जंगल में हरियाली दिखती है। ये हरियाली भैयाराम यादव के कई साल की अथक मेहनत का परिणाम है।
बुंदेलखंड में हर जगह पर जब गर्मियों में सूखा नजर आता है, तो गाँव से बाहर एक छोटे से पहाड़ के पास जंगल में हरियाली दिखती है। ये हरियाली भैयाराम यादव के कई साल की अथक मेहनत का परिणाम है।
By Neetu Singh