इंटीग्रेटेड फार्मिंग : खेती से कमाई कराने वाला तरीका, देखिए Video

किसान अमन लाकरा इंटीग्रेटेड फॉर्मिग सिस्टम के तहत खेती करते हैं और हर साल करीब 17 लाख रुपए कमाते हैं। अमन के मुताबिक एकीकृत कृषि प्रणाली कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बस खेत के एक एक इंच का बेहतर इस्तेमाल करना होता है।

Chandrakant MishraChandrakant Mishra   4 Aug 2018 6:21 AM GMT

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बरेली/लखनऊ। आमदनी दोगुनी करने की कवायदों के बीच कई किसानों ने खेती की वो तकनीकें अपनाई है जिससे वो एक साल में लाखों रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं। पारंपरिक खेती को छोड़कर मुनाफे वाली खेती करने वाले ऐसे ही एक किसान हैं उत्तर प्रदेश में बरेली जिले के आर्मी से रिटायर्ड इंजीनियर अमन लकारा। अमन इंटीग्रेटेड फॉर्मिग सिस्टम के तहत खेती करते हैं। अमन के मुताबिक एकीकृत कृषि प्रणाली कोई रॉकेट साइंस नहीं है, बस खेत के एक एक इंच का बेहतर इस्तेमाल करना होता है।

इंटिग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम प्रणाली से कोई भी किसान सालभर मुनाफा कमा सकता है। इस प्रणाली में एक घटक से बचे हुए उत्पादों और अवशेषों को दूसरे घटक के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। अगर आप मुर्गीपालन करते हैं तो पोल्ट्री की बीट को मछलियों को खिला सकते हैं। इससे मछली की अधिक मात्रा में तादात होगी, जिससे मुनाफा होगा और दूसरा उस तालाब के पानी को सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जा सकेगा। अगर इसके साथ पशुपालन भी किया जाए गाय-भैँस के दूध को बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

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बंजर जमीन को बनाया उपजाऊ

बरेली जिला मुख्यालय ये करीब 7 किलोमीटर दूर अभयपुर गाँव में रहने वाले अमन लाकरा के पास 55 बीघा ज़मीन है। इसमें उन्होंने अलग-अलग यूनिट बनाई हुई है। हर यूनिट से अमन लाखों कमा रहे हैं। अमन बताते हैं," जब मैंने ये जमीन खरीदी थी तो लोग मुझे पागल कहत थे, क्योंकि पिछले तीस साल से इस जमीन पर खेती नहीं हो रही थी। इसके साथ ही बरसात में पूरा खेत जलमग्न हो जाता था। लेकिन मैंने लोगों की बात की परवाह किए बिना इसमें खेती करनी शुरू कर दी।

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सबसे पहले तालाब खुदवाया, जिसमें हम रोहू, कतला, मृगल, कॉमन क्रॉप के साथ कई मछलियों को पाला हुआ है। मुर्गी और बत्तख का जो वेस्ट होता है वो इन मछलियों का आहार है। इन यूनिट से सलाना 40 कुंतल उत्पादन होता है जिससे चार लाख रुपए तक की कमाई होती है।" अपनी यूनिट के बारे में अमन लाकरा बताते हैं, "मछली के साथ मेरे पास 125 मुर्गियां हैं जिनसे प्रतिदिन 80 से 90 अंडे मिल जाते हैं। इन अंड़ो को बाजार में लगभग 6 रूपए में बेच देते हैं। इस इकाई से साल भर में एक लाख रुपए की कमाई होती है।

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केवीके से प्रशिक्षण लेकर शुरू किया फार्म हाउस

बरेली जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ बीपी सिंह ने बताया, "किसानों की आय बढ़ाने के लिए समय-समय पर किसानों को प्रशिक्षण देते हैं। अमन लाकरा ने भी हमारे केवीके से प्रशिक्षण और इस प्रणाली को शुरू किया। एकीकृत कृषि प्रणाली के मॉडल को फार्म पर भी तैयार किया है ताकि किसानों को पूरी प्रक्रिया समझ आ सके।" अमन ने इन सबकी देखभाल के लिए चार मजदूरों को लगा रखा है। इसके साथ वो खुद इन सभी को आहार देने और अन्य काम करते है। अमन की यूनिट में मछली और मुर्गियों के साथ डेयरी, बत्तख और बकरियों की भी यूनिट बनी हुई है।

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इसके अलावा अमन के बकरी यूनिट में आठ बकरी पली हुई हैं। इनके आहार के लिए अमन ने अंजीर जामुन गुलर पेड़ लगा रखे है। अमन सरसों की खेती भी करते है, जिसका उत्पादन बढ़ाने के लिए अमन ने मौन पालन भी कर रखा है। अमन बताते हैं, हमारे पास लगभग 15 डिब्बे है। मधुमक्खियां सरसों में परागण करके उनका उत्पादन 20से 25 प्रतिशत बढ़ा देती है। इनसे शहद भी प्राप्त होता है, जिसको बेचकर इन्हें सलाना एक लाख रूपए से ज्यादा की आमदनी होती है।"

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लगा रखा है दुर्लभ प्रजाति के पेड़ पौधे

अमन लाकरा को खेती के साथ नए-नए प्रयोग करना अच्छा लगता है। अमन का कहना है, " मैंने अपने फार्म हाउस में कुछ ऐसे पेड़ लगा रहे हैं जो यूपी में नहीं होते हैं। मुझे अच्छा लगता है ऐसी फसलें उगाना जो यहां पर नहीं होती हैं। खेती के साथ प्रयोग करता हूं।" अमन ने दाल चीनी, वाटा एप्पल, नारियल, तेज पत्ता, संतरा, नाशपाती जैसे पेड-पौधे लगा रखे हैं। लोग इनके फार्म हाउस में इन सब की खेती करने का तरीका जानने आते हैं।

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खेत में करते हैं जैविक खाद का प्रयोग

इसके साथ- साथ अमन जैविक तरीके से खेती भी करते हैं। अमन करीब दस बीघे में धान और गेहूं की फसल उगाते हैं। लेकिन वे खेत में सिर्फ जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं। अमन का कहना है," डेयरी और मुर्गीफार्म से निकलने वाले गोबर से मैं जैविक खाद बनाता हूं जिसका प्रयोग धान और गेहूं की फसल करता हूं। इससे मेरी लागत बहुत कम आती है और मुनाफा भी ज्यादा होता है। जैविक होने के कारण मेरे उत्पाद का दाम भी अच्छा होता है।

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