चली धना खेतन को | Bundeli Lokgeet | Sudama Prasad | Gaon Connection

Gaon Connection Network | Nov 20, 2025, 13:46 IST

बुंदेली लोकगीतों के रचयिता अस्सी वर्षीय सुदामा प्रसाद, जो किसान परिवार में जन्मे हैं, कई वर्षों से किसानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठा रहे हैं और लोकगीत लिखने के शौक़ीन हैं। इस गीत में वह बताते हैं कि किस प्रकार एक किसान की पत्नी अपने बच्चों को साथ लेकर ट्रैक्टर पर बैठकर खेतों में अपने पति का सहयोग करने जाती है। बुंदेलखंड क्षेत्र से उत्पन्न बुंदेली लोकगीत इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत का जीवंत हिस्सा हैं। यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है, जहाँ का संगीत और लोकपरंपराएँ लोगों के दैनिक जीवन, रीति-रिवाजों और भावनात्मक अनुभवों से गहराई से जुड़ी हुई हैं। इन लोकगीतों में प्रेम और विरह, प्रकृति और मौसम, त्यौहारों का उल्लास, ऐतिहासिक और पौराणिक वीरों की गाथाएँ तथा आम जीवन के संघर्ष और कार्यकलाप प्रमुख रूप से झलकते हैं। अल्हा, कजरी, फाग, रसिया और लमटेरा जैसे विविध गीत-शैलियों के माध्यम से इस क्षेत्र की लोकसंगीत परंपरा पीढ़ियों से संजोई जाती रही है। ढोलक, नगाड़ा, अल्गोजा, बाँसुरी और एकतारा जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्र इन गीतों में विशेष रूप से प्रयोग किए जाते हैं। बुंदेली लोकगीत अपनी जीवंतता, लयात्मकता और सामूहिक गायन शैली के कारण आज भी श्रोताओं को बांधे रखते हैं।

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