अब कृत्रिम गर्भाधान से होगा बकरियों में होगा नस्ल सुधार, देखें वीडियो

#NarendraModi मथुरा के जिस पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (दुवासु) से गायों के नस्ल सुधार कार्यक्रम का आगाज किया है, उसी विश्वविद्यालय ने बकरियों में भी नस्ल सुधार तकनीकी विकसित की है। जानिए इसकी खास बातें.

Update: 2019-09-11 07:23 GMT

लखनऊ। अभी तक आपने गाय-भैंस में ही कृत्रिम गर्भाधान(एआई) के बारे में सुना होगा, लेकिन अब बकरियों में भी एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे बकरियों का विकास दर, स्वास्थ्य और उत्पादकता बढ़ाकर किसानों की आय बढ़ाई जा सके।

मथुरा स्थित पंडित दीन थुरा स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशुचिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (दुवासु) में पिछले कई वर्षों से इस पर काम चल रहा था।"ज्यादातर बकरी पालन लघु और सीमांत किसान करते है जो जानकारी के अभाव में अच्छे बकरों को बेच देते है, जिससे बकरियों का शारीरिक विकास धीरे-धीरे होता है और उत्पादन क्षमता भी कम होती है। इसलिए एआई तकनीक का इस्तेमाल इसमें काफी सहायक होगा। किसानों की आय में भी मुनाफा होगा।" दुवासु के शरीर क्रिया विज्ञान विभाग के सहायक प्रवक्ता डॉ मुकुल आनंद ने बताया।

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एआई के प्रयोग से झुंड की बकरियों को एक समय पर गर्भाधरण करा बच्चे प्राप्त किए जा सकते है, जिससे उसकी देखभाल सरल और बेहतर होगी और शिशु की मृत्यु दर मे कमी आयेगी। "एक बकरी 12 से 14 महीनों में 35-40 किलो की हो जानी लेकिन अभी इनका ग्रोथ रेट काफी कम है अभी इनको 16 महीने लग जाते है, जिससे किसान को भी नुकसान होता है। एआई तकनीक से पैदा बच्चे में शारीरिक विकास तो जल्दी होगा साथ ही उत्पादन भी किसान को अच्छा मिलेगा।" डॉ मुकुल ने बताया।


19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है, उत्तर प्रदेश में इनकी संख्या 42 लाख 42 हजार 904 है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की पांच अप्रैल, 2016 की रिपोर्ट यह बताती है। भारत में प्रतिवर्ष पांच मीट्रिक टन बकरी के दूध का उत्पादन होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा अति गरीब व गरीब किसानों के पास है।

प्रदेश के 20 जिलों के पशुचिकित्सकों को मिलेगा प्रशिक्षण

"अभी प्रदेश के 20 जिलों का चयन किया गया है जहां के पशुचिकित्सकों और पशुधन प्रसार अधिकारी को बकरियों में एआई करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके साथ ही इन जिलों में जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा संख्या में पशुपालक इस तकनीक का इस्तेमाल कर सके।" डॉ आनंद ने गाँव कनेक्शन को बताया।

मथुरा में खुलेंगे पहला गोट सीमन प्रोडक्शन सेंटर

किसानों को बकरियों का उच्च गुणवत्ता का सीमन मिले इसके लिए मथुरा में पहला गोट सीमन प्रोडक्शन सेंटर शुरू किया जाएगा। जहां किसान को आसानी से अच्छी गुणवत्ता का सीमन मिलेगा। प्रदेश के कई जिलों के पशुचिकित्सालयों में इसकी सप्लाई की जाएगी। डॉ आनंद ने बताया, "सेंटर में जो सीमन तैयार किया जाएगा वो टेस्टेड बकरों से किया जाएगा, जिससे पशुपालकों को फायदा होगा। 20 जिलों में एआई तकनीक सफल होने से बुदेंलखंड के सात जिलों में इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा।

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एआई से बीमारियों से रोकथाम-

प्रजनन के लिए झुंड में बकरों के प्रयोग से बीमारी फैलने की संभावना ज्यादा हो जाती है। कृत्रिम गर्भाधान में प्रयोग किया जाने वाला वीर्य पूरी तरह से स्वस्थ व्यस्क नर से लिया जाता है। 

अगर बकरी की एआई के लिए प्रशिक्षण लेना चाहते है तो यहां संपर्क कर सकते है:

0565-2470199

0565-2471178

9457654888

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