ये दूध डेयरी देखकर हो जाएंगे हैरान, भैंसों के लिए म्यूजिक सिस्टम से लेकर चटाई तक

अगर आप के यहां गाय-भैंस हैं या आप दूध का कारोबार करते हैं तो ये खबर आपके काम की हो सकती है, जानिए दूध डेयरी से कमाई के तरीके...

Update: 2020-12-29 11:34 GMT

करसड़ा (बनारस) । अगर आप डेयरी को मुनाफे का सौदा बनाने चाहते है तो करसड़ा गांव में बनी इस डेयरी को देखिए। इस डेयरी के मालिक ने अपने पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए कई इंतज़ाम किए है, इससे दूध उत्पादन तो बढ़ा ही है साथ ही हर साल लाखों की कमाई भी कर रहे हैं।

बनारस जिले से 25 किमी दूर सटा एक गांव है करसड़ा। इस गांव में करीब साढ़े तीन एकड़ में गोकुल डेयरी फार्म बना हुआ है, जिसमें 200 पशु है। "इस डेयरी को जब शुरू किया गया था तब इसमें सिर्फ 10 पशु थे धीरे-धीरे पशुओं की संख्या को बढ़ाया गया। पशुओं की देखभाल से लेकर उनके खाने-पीने का पूरा ध्यान रखा जाता है।" फार्म के मैनेजर शशिकांत मिश्रा ने बताया, "इस डेयरी के मालिक हर्ष मोधक है, जिन्होने ऑस्ट्रेलिया में पढ़ाई की और भारत आने के बाद नई तकनीक और उचित प्रबंधन करके इस डेयरी को शुरू किया।"


डेयरी में बड़े बड़े म्यूजिक सिस्टम को लगाया गया है जब पशुओं का दूध दोहन किया जाता है तब धीमी-धीमी धुन मे गाने चलाए जाते है। "अगर पशु तनाव में है तो इसका सीधा असर उसके दूध उत्पादन पर पड़ता है इसलिए पशुओं को स्वस्थ रखनें के लिए डेयरी में धीमी-धीमी धुन चलाई जाती है, जिससे पशुओं बहुत आराम महसूस होता है और वो आसानी से दूध दोहा जाता है इसके साथ ही पशु का रक्त संचार भी अच्छा रहता है।" शाशिकांत ने बताया।

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पशुओं की देखरेख के लिए में डेयरी में 25 कर्मचारी लगे हुए है। डेयरी में पशुओं के लिए मैट की व्यवस्था की गई है ताकि उनके खुर न खराब हो और वो आराम दे बैठ भी सके। सुबह४-5 बजे तक इनको खाने के लिए दिया जाता है उसके बाद 6 बजे से इनका दूध निकाला जाता है और फिर पशुओं को चरने के लिए भेज दिया जाता है। पशुओं की दिनचर्या की महत्वता के बारे में शाशिकांत ने बताया, "पशुओं को अगर स्वस्थ रखना है जिससे ज्यादा दूध उत्पादन हो उसके लिए उनकी दिनचर्या का सही पालन करना बहुत जरुरी है। पशुओं की सही मात्रा में संतुलित आहार, उनका टीकाकरण कराना बहुत जरूरी है। इससे डेयरी में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।"


डेयरी में अभी 200 पशुओं से रोजाना 900 लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। इसके साथ ही गोबर से खाद भी तैयार किया जा रहा है। डेयरी में साफ-सफाई रहे इसके लिए इसके इसे बड़े अच्छे तरीके से बनाया गया है।"आने वाले समय में हमारा लक्ष्य रोजाना 1500 लीटर दूध का उत्पादन करना है। डेयरी के अलावा स्कूल और हॉस्टल भी है जहां पर बच्चों को शुद्ध दूध दिया जाता है बाकी का दूध बनारस में बाजारों में अच्छे दामों में बेचा जाता है।" शाशिकांत ने बताया।

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डेयरी में पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए शॉवर की भी व्यवस्था की गई है। शाशिकांत बताते हैं, गर्मी से भी पशु तनाव में चला जाता है इसके लिए पशुओं के बाड़े में शॉवर लगाया गया है। इसके साथ ही पशुओं के दूध निकालने की मशीन है। दूध निकालने से पहले पशुओं के थनों को अचछी तरह से साफ किया जाता है।

इस डेयरी को पिछली सरकार द्धारा चलाई गई कामधेनु योजना के अंतर्गत खोला गया था। डेयरी में आने वाले खर्चे के बारे में मिश्रा बताते हैं, "एक पशु पर एक दिन में 200 रूपए का खर्चा आता है जितनी लागत लगती है उससे मुनाफा भी होता है। अगर आप पशुओं की सही देखरेख की जाए तो मुनाफा भी होता है।" 

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