केरल में एक बार फिर बर्ड फ्लू का कहर, संक्रमण रोकने के लिए मार दी गईं हजारों बतख

एक साल के अंदर ही दूसरी बार केरल में बर्ड फ्लू से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। बर्ड फ्लू के संक्रमण को रोकने के लिए यहां पर बतखों को मारकर उन्हें जला दिया गया।

Update: 2021-12-18 09:48 GMT

केरल में एक बड़ी आबादी बतख पालन से जुड़ी हुई है। फोटो: अरेंजमेंट

एक बार फिर केरल में बर्ड फ्लू का खतरा मंडराने लगा है, यहां पर बर्ड फ्लू को संक्रमण को रोकने के लिए हजारों की संख्या में बतखों को मार दिया गया है।

केरल के कोट्टायम और अलाप्पुझा जिले में बतखों में बर्ड फ्लू का संक्रमण बढ़ रहा है। पिछले महीने राजस्थान के सांभर झील में भी कौवों की मौत हुईं थी, जिन्हें जांच करने पता चला कि बर्ड फ्लू के संक्रमण से उनकी मौत हुई है।

पशुपालन विभाग (पोल्ट्री) केरल के संयुक्त निदेशक डॉ गिरी एसएस बताते हैं, "बर्ड फ्लू के संक्रमण का मामला सबसे पहले अलाप्पुझा में देखा गया जहां पर बतख के साथ ही कई पक्षियों की मौत हुई जिसकी जांच के बाद बर्ड फ्लू का पता चला है। इसे फैलने से रोकने के लिए बतखों को मारा जा रहा है।"

केरल के कोट्टायम और अलाप्पुझा जिले की जिन भी ग्राम पंचायतों में अभी तक बर्ड फ्लू का संक्रमण हुआ है। वहां जिला प्रशासन ने इन दोनों जिलों में बतख, मूर्गी और बटेर के अंडा और मांस की बिक्री पर रोक लगा दी है। यहां पर एक बड़ी आबादी बतख पालन से जुड़ी हुई है।

जिला पशु पालन अधिकारी कोट्टायम डॉ ओटी थनकाचन जिले में बर्ड फ्लू के संक्रमण के बारे बताते हैं, "हमारे जिले में अभी तक 33940 पक्षियों बर्ड फ्लू के संक्रमण को बढ़ने से रोकने के लिए मारा गया है। जिन किसानों के बतखों को मारा गया है उन्हें मुआवजा दिया जाएगा।"

कोट्टायम में 17 दिसंबर को बतखों को मारने के बाद उन्हें जमीन में दफनाने के बजाए जला दिया गया है, क्योंकि ये इलाके निचले इलाकों में हैं और अगर यहां पर पानी का स्तर बढ़ता है तो यह बाहर आ सकती हैं, जिससे बर्ड फ्लू के संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है।


केरल पिछले कई साल से बर्ड फ्लू की मार झेलता आ रहा है, जनवरी के पहले सप्ताह में केरल के कोट्टायम और अनप्पुझा जिलों में बतखों की पुष्टि हुई, यहां पर लगभग 12,000 बतखों की मौत बर्ड फ्लू से हो गई थी, बर्ड फ्लू के चलते संक्रमित क्षेत्र के एक किमी दायरे में लगभग 40 हजार से ज्यादा बतखों को मार दिया गया था।

पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय ने मुआवजा राशि निर्धारित की है, जिसमें लेयर मुर्गी के चूजों के 20 रुपए, बड़ी मुर्गियों के लिए 90 रुपए, ब्रायलर मुर्गियों के चूजों के 20 रुपए, बड़ी ब्रायलर मुर्गी के 70 रुपए, बटेर के चूजों के पांच रुपए, बड़े बटेर के 10 रुपए, बतख के चूजों के 35 रुपए, बड़ी बतख के 135 रुपए, गिनी फाउल के चूजों के 20 रुपए, बड़ी गिनी फाउल के 90 रुपए, टर्की के चूजों के 60 रुपए और बड़ी टर्की के 160 रुपए। अंडों को नष्ट करने पर प्रति अंडा तीन रुपए और पोल्ट्री फीड को नष्ट करने पर 12 रुपए प्रति किलो निर्धारित किए गए हैं।

जबकि केरल में दूसरे राज्यों के मुकाबले मुआवजा राशि काफी ज्यादा है। केरल में इस बार बड़े पक्षियों के लिए 200 रुपए और छोटे पक्षियों के लिए 100 रुपए मुआवजा राशि निर्धारित की गई है। जबकि प्रति का अंडे के पांच रुपए दिए जाएंगे। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार H5N1 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है जो एवियन इन्फ्लूएंजा (या "बर्ड फ्लू") नामक पक्षियों में एक अत्यधिक संक्रामक, गंभीर श्वसन रोग का कारण बनता है। H5N1 एवियन इन्फ्लूएंजा से इंसानों में संक्रमण के मामले कभी-कभी होते हैं, लेकिन एक इंसान से दूसरे इंसान में संक्रमण मुश्किल होता है। अगर कोई इंसान एवियन इन्फ्लूएंजा सें संक्रमित हो गया तो मृत्यु दर लगभग 60% होती है।

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