बकरियों से होने वाली कमाई को जानकर प्रधानमंत्री भी हुए हैरान, महिलाओं की प्रशंसा

लक्ष्मी माता संगठन की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "ये मेरे लिए नई जानकारी है कि बकरियों के माध्यम से इतना बड़ा करोबार खड़ा किया जा सकता है।"

Update: 2018-07-13 13:30 GMT

लखनऊ। देशभर की करीब एक करोड़ महिलाओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 जुलाई को नरेंद्र मोदी ऐप के जरिए सीधा संवाद किया था। इस संवाद में उन्होंने महाराष्ट्र के स्वयं सहायता समूह से बात की जो बकरी के दूध व लीद से कई तरह के उत्पाद तैयार करके अपनी आय बढ़ा रही हैं।

महाराष्ट्र के यवतमाल की रंजना ने 2015 में एक बकरी पालन करना शुरू किया था आज उनके खुद के पास 40 बकरी है। रंजना लक्ष्मी माता संगठन में काम कर रही है। इनके समूह में 2900 बकरियां है। पशु संसाधन केंद्र के माध्यम यह महिलाएं बकरी के दूध से साबुन, पनीर, आइसक्रीम और बकरी खाद भी तैयार करती है।और उन्हें अच्छे दामों में बेचकर अपनी आय बढ़ा रही है।

लक्ष्मी माता संगठन की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "ये मेरे लिए नई जानकारी है कि बकरियों के माध्यम से इतना बड़ा करोबार खड़ा किया जा सकता है।"



बकरी पालन कम लागत और सामान्य देखरेख में गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों के आय का एक अच्छा साधन बन रहा है। मौजूदा समय में भारत में बकरियों की कुल संख्या 13.52 करोड़ से अधिक है। नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की रिपोर्ट यह बताती हैं कि भारत में प्रतिवर्ष पांच मीट्रिक टन बकरी के दूध का उत्पादन होता है, जिसका अधिकांश हिस्सा अति गरीब व गरीब किसानों के पास है।

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 20 किमी. दूर रसूलपुर सादात गाँव में बकरी की बीट की खाद बनाकर उसको बेचा जा रहा है, साथ ही इस खाद को बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है, जिससे महिलाओं और किसानों को रोजगार मिल सके। द गोस्ट ट्रस्ट के प्रबंधक विनय गोतम ने बताया, "अभी हम लोग करीब पांच गाँव के लोगों को बकरी के दूध व लीद से उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग भी दे रहे है ताकि उनकी आमदनी बढ़ सके।"

बकरी की की खासियत के बारे में विनय बताते हैं, "बकरी बीट खाद पोषक तत्वों को धीरे-धीरे लम्बे समय तक पौधों को उपलब्ध कराती है। अन्य खाद की तुलना में बकरी खाद में बदबू नहीं आती है। इसको बनाना काफी आसान है। इस खाद को खेती में प्रयोग करने पर फसलों में कीट-पतंगे कम लगते हैं और दीमक नहीं लगता है। इस खाद का प्रयोग करने के बाद नीम खाद अलग से डालने की जरुरत नहीं पड़ती है।''

गैर सरकारी संस्था द गोट ट्रस्ट अब तक लाखों महिलाओं और किसानों के साथ जुड़कर बकरी पालन व्यवसाय की ट्रेनिंग देकर रोज़गार मुहैया कराया है। अब बकरी की बीट से खाद बनाकर उनको एक नए रोजगार से जोड़ रहे हैं। द गोट ट्रस्ट वर्तमान में उत्तर प्रदेश के पांच जिलों (लखनऊ, सीतापुर, बाराबंकी, इलाहाबाद, प्रतापगढ़) में काम कर रहा है। यह महिलाओं और किसानों को बकरियों के पशु आहार बनाने, पशु खरीदने उन्हें बेचने, टीकाकरण तकनीकी तरह से पशुपालन करने, बैंक लोन लेने जैसे सुविधाएं प्रदान कर रहा है।

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बकरी बीट खाद के लाभ

  • बकरी खाद पानी को खेत में अधिक समय तक रोककर रखती है।
  • बकरी खाद डालने से मिटटी उपजाऊ बन जाती है।
  • तैयार बकरी खाद सूखी होती है, और इसमे एनपीके की मात्रा अधिक होती है।
  • एक बरसात होने पर भी खेत में नमी बरक़रार रखती है।
  • इसके उपयोग से खेत में घास नहीं के बराबर होती है।
  • इसके उपयोग से कीट पतंगों का आक्रमण कम हो जाता है।
  • इसे आसानी से भंडारित और बाजार में बिक्री किया जा सकता है।
  • बकरी खाद के उपयोग से 50 प्रतिशत फलदार पौधों के फल को गिरने से रोका जा सकता है।
  • नारियल के पौधे में इसके उपयोग से 75 प्रतिशत पैदावार बढ़ जाती है।
  • यह जमीन में पोषक तत्त्व को बढ़ाता है पौधों को स्वस्थ्य रूप से बढ़ने में मदद करता है और फसल की उत्पादकता को बढ़ा देता है।
  • नुकसानदायक केमिकल के उपयोग की जरूरत नहीं होती है बकरी खाद ज़मीन के पीएच का प्रबंधन करती है।

बीट खाद की पैकिंग और व्यापार

  • बकरी की बीट को पहले सूखा लेना चाहिए।
  • फिर उसको पीसकर छान लेना चाहिए।
  • इसके बाद पैकेट में भर के सील कर सकते हैं।
  • तैयार माल को बाजारों में बेच सकते हैं। 

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