बकरी पालन व्यवसाय करके फूलकली बनी आत्मनिर्भर

Update: 2018-10-13 05:15 GMT

फैजाबाद। सुदूर गाँव की महिलाएं अब घर की चाहरदीवारी और चूल्हा चौका तक ही सीमित नहीं रह गयी हैं। ये महिलाएं अपनी आजीविका को सशक्त करने के लिए अब आगे आ रही है। उन्हीं में से गद्दोपुर गाँव की फूलकली हैं, जिन्होंने बकरी पालन व्यवसाय शुरू करके खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है।

फैजाबाद जिले से 32 किमी दूर मया ब्लॉक के गद्दोपुर गाँव की रहने वाली फूलकली ने एक बकरी से व्यवसाय को शुरू किया था। फूलकली बताती हैं, "दो वर्ष पहले एक बकरी थी अब 17 बकरियां है। घर का पूरा खर्चा इनको बेचकर चलता है। शुरू में बहुत नुकसान भी हुआ लेकिन अब इससे अच्छी कमाई हो जाती है।"

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सर्दी, गर्मी और बरसात से बचाने के लिए फूलमती ने बकरियों के शेड बनवाया हुआ है, जिसमें वह रोज सुबह-शाम खुद साफ-सफाई करती है। फूलमती बताती हैं, "गंदगी की वजह से कई बकरियों में बीमारी फैल गई और मर गई। इसलिए अब रोज साफ-सफाई करते है। उनके लिए साफ पीने का पानी रखते है।" कम लागत, साधारण आवास और रख-रखाव के चलते भारत में बकरी पालन व्यवसाय करने में लोगों का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। इस व्यवसाय से देश के 5.5 मिलियन लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है।


बकरियों को बीमारी से बचाने के लिए फूलमती समय से टीकाकरण, नियमित साफ-सफाई, पेट के कीड़ें के अलावा उनके खाने-पीने का भी खासा ध्यान रखती हैं। फूलमती बकरियों को चरने के अलावा नियमित 100 से 150 ग्राम दाना और दो किलो सूखा चारा देती है, जिससे उनका शारीरिक विकास अच्छे से हो। "बकरियों को सुबह-शाम चराने के बाद भी उनको अच्छा आहार देते है ताकि उनका वजन बढ़े। बाजार में वजन करके ही बकरी को बेचते है।" फूलकली ने बताया।

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हर छह साल में देश में होने वाली (जो 2012 में हुई ) पशुगणना (इसे 19वीं पशुगणना कहते हैं) के मुताबिक पूरे भारत में बकरियों की कुल संख्या 135.17 मिलियन है। फूलकली के पास देसी बकरियां है। देसी बकरियां साल में दो बार दो से तीन बच्चों को जन्म देती है। एक बच्चा साल भर बाद करीब दो हजार रुपये में बिकता है। अगर आप बकरी पालन के शुरूआत करे तो जमुनापारी, बरबरी और सिरोही बकरियों को पाल सकते है।

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