डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए गोपाल रत्न पुरस्कार, गाय-भैंस की देसी नस्लों के संरक्षण के लिए दिया जाएगा पुरस्कार

पात्र किसान/डेयरी सहकारी समितियां/एआई तकनीशियन गोपाल रत्न पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन 15 जुलाई 2021 से शुरू हुआ है, 15 सितम्बर तक आवेदन की आखिरी दिन है।

Update: 2021-06-02 10:32 GMT

डेयरी क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है, डेयरी से जुड़े लोगों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर गोपाल रत्न पुरस्कार शुरू किया गया है। देसी नस्लों की गाय-भैंस पालन को बढ़ावा देने के लिए यह पुरस्कार दिया जाएगा।

गोपाल रत्न पुरस्कार में तीन श्रेणियों में पुरस्कार दिया जाता है, जिसमें सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान, सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) और सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी / दुग्ध उत्पादक कंपनी / एफपीओ को पुरस्कार दिया जाता है।

यह अवार्ड ऐसे पशुपालक को दिया जाता है, जो गाय की 40 देसी नस्लों और भैंस की 10 देसी नस्लों में से किसी का पालन करता हो। इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य भारत की गाय और भैंस की देसी नस्लों का संरक्षण करना है।


पात्र किसान/डेयरी सहकारी समितियां/एआई तकनीशियन पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन 15 जुलाई 2021 से शुरू हुआ है, जबकि आवेदन 15 सितम्बर तक भेज सकते हैं।। जबकि विजेताओं की घोषणा 31 अक्टूबर 2021 को की जाएगी।

एक जून को विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर केंद्रीय मत्स्यपालन पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने एक वर्चुअल कार्यक्रम में इन पुरस्कारों की घोषणा की है। इस अवसर पर बोलते हुए, मंत्री जी ने कहा कि भारत डेयरी देशों में एक वैश्विक लीडर है और 2019-20 के दौरान 198.4 मिलियन टन दूध का उत्पादन किया। 2018-19 के दौरान दूध के उत्पादन का मूल्य वर्तमान कीमतों पर 7.72 लाख करोड़ रुपये से अधिक है जो गेहूं और धान के कुल उत्पादन के मूल्य से भी अधिक है।

उन्होंने आगे कहा कि हमारा डेयरी क्षेत्र 8 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों को आजीविका प्रदान करता है इसमें मुख्य रूप से छोटे और सीमांत और भूमिहीन किसान है। देश की डेयरी सहकारी समितियों को अपनी बिक्री का औसतन पचहत्तर प्रतिशत किसानों को प्रदान करती है और 2 करोड़ से अधिक डेयरी किसान डेयरी सहकारी समितियों में संगठित हुए और 1.94 लाख डेयरी सहकारी समितियां दूध गांवों से दूध एकत्र कर रही हैं।

20वीं पशुगणना के अनुसार देश में दुधारू पशुओं (गाय-भैंस) की संख्या 12.53 करोड़ है, जिनसे लाखों पशुपालकों की कमाई होती है।

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