इन देशी तरीकों से घर पर कर सकते हैं पशुओं का उपचार

कई बार पशुओं की बीमारियों से पशुपालकों को नुकसान भी उठाना पड़ जाता है, क्योंकि समय पर पशु चिकित्सक नहीं मिल पाते हैं, ऐसे में पशुपालक कुछ देशी घरेलू तरीको को अपनाकर नुकसान से बच सकते हैं।

Update: 2021-08-06 12:46 GMT

कई बार पशुओं के बीमार होने पर जल्दी पशु चिकित्सक नहीं उपलब्ध हो पाते हैं, पशुपालक मेडिकल स्टोर से दवाएं लाकर पशुओं को देता है, जोकि महंगे तो होते हैं, लेकिन कई बार इलाज नहीं हो पाता है। कई बार तो पशुपालक को नुकसान भी उठाना पड़ जाता है।

जबकि पशुपालक घर बैठे कुछ घरेलू उपचार अपनाकर अपने पशुओं को ठीक कर सकते हैं, जोकि देश में वर्षों से लोग करते आ रहे हैं।

पशुपालकों को पशुओं में होने वाली सामान्य बीमारियों की जानकारी होनी चाहिए, जिसके आधार पर वे अपने पशु का प्राथमिक उपचार कर सकें, साथ ही कुछ देशी दवाइयां हैं जिनकी गुणवत्ता वैज्ञानिको ने भी परखी है।

पशुओं की बीमारियां और उनके घरेलु देशी उपचार

भूख न लगना या चारा कम खाना: अजवायन-50 ग्राम, नमक-50 ग्राम, सौंठ-20 ग्राम, सौंफ-20 ग्राम और नक्स वोमिका पाउडर-10 ग्राम, इन सभी चीजों को मिलकार अच्छी तरह कूटकर और इसमें 200 ग्राम गुड़ मिलाकर 4 लड्डू बना लें। बड़े पशुओं को सुबह व शाम को 1 लड्डू दो से तीन दिन तक देने से तुरंत लाभ होता है। छोटे पशुओं को इसकी आधा मात्रा देनी चाहिए। इस पाउडर की चार खुराक बनाकर, एक खुराक आधा लीटर पानी में घोलकर सुबह शाम भी दे सकते हैं।

दस्त आना: 100 ग्राम चावल उबालकर और उसमें 200 ग्राम छाछ व 100 ग्राम खड़िया पीसकर मिला लें। इस एक खुराक को सुबह शाम दो बार और छोटे पशुओं की इसकी आधी खुराक दो से तीन दिन तक खिलानी चाहिए।

खूनी दस्त: बेलगिरी 100 ग्राम व मिश्री 200 ग्राम में 100 ग्राम सूखा धनिया लेकर इन तीनों चीजों को अच्छी तरह से एक साथ पीस लें। इसके बाद इसकी तीन खुराक बनाकर 200 ग्राम पानी में घोलकर दिन में तीन बार दें, यह खुराक दो से तीन दिनों तक देनी चाहिए।

आफरा आना (गैस बनना): जब पशुओं का पेट फूल जाए और उन्हें सांस लेने व बैठने में परेशानी होने लगे तो पशुओं को 20 ग्राम हींग को 300 ग्राम मीठे तेल में मिलाकर तुरंत पिला दें इससे गैस से तुरंत आराम मिल जाएगा। इसके साथ ही शहजन की पेड़ की छाल को पानी में उबालकर उस पानी के पिलाएं तो अफरा से आराम मिल जाता है। साथ ही अगर 50 ग्राम अजवायन को, 50 ग्राम काला नमक को 500 ग्राम छाछ में मिलाकर देने से भी फायदा होता है।


निमोनिया/खांसी/सर्दी जुकाम: सबसे पहले पशु के ऊपर कपड़ा बांध दें फिर 250 ग्राम अडूसा के पत्ते, 100 ग्राम सौंठ, 20 ग्राम काली मिर्च, 50 ग्राम अजवायन लेकर सबको मिलाकर बारीक पीसकर 20 ग्राम पिसी हल्दी और 500 ग्राम गुड़ में अच्छी तरह से मिलाकर इनसे 6 लड्डू बना और दिन में तीन बार पशुओं को चटाने से जल्दी आराम मिल जाता है। नहीं तो 100 ग्राम सुहागा को फूल, 200 ग्राम पिसी मुलेठी को 500 ग्राम गुड़ में मिलाकर 6 लड्डू बना लें और दिन में तीन बार एक-एक लड्डू देने से आराम मिल जाता है। यह उपचार 4-5 दिनों तक करना चाहिए।

बुखार आना: अडुसा के 100 ग्राम पत्ते, नीम गिलोय 10 ग्राम, कुटकी 100 ग्राम और 50 ग्राम काली मिर्च को मिलाकर बारीक पिस लें और इसमें से 25 ग्राम सुबह व 25 ग्राम शाम को 1 लीटर पानी में उबाल कर इस पानी को पिलाने से बुखार उतर जाता है। इस उपाय को 1-2 दिनों तक करना चाहिए।

खून बहना: जिस जगह से खून बह रहा हो उस जगह पीसी फिटकरी लगाने से तुरंत खून बहना बंद हो जाता है, नहीं तो नाग केसर की जड़ों का लेप लगाने से भी खून बहना बंद हो जाता है।

घाव या फिर टूटे सींग का इलाज: झरबेरी (बेर) की जड़ों को अच्छी तरह से धोकर सुखा लें और फिर इसे अच्छी तरह से बारीक पीस लें और इसमें अर्जुन छाल का पाउडर बराबर मात्रा में मिलाकर रखें। जब कभी भी किसी की सींग टूट जाए या कोई घाव हो जाए तो उस पर इस पाउडर को लगाकर पट्टी बांधने से घाव भर जाता है।

मिट्टी खाना/दीवार चाटना: अगर पशु मिट्टी खा रहा है या फिर दीवार चाट रहा है तो उसको हर दिन 50 ग्राम नमक व खनिज लवण पाउडर 25 ग्राम रोजाना देना चाहिए।

पशुओं में जुएं पड़ना: खाने के तम्बाकु की एक पुड़िया को आधा किलो पानी में कुछ देर के लिए भिगो दें, फिर उसको उसी पानी में अच्छी तरह से मसल लें और उसमें दो चम्मच सरसों का तेल मिलाकर पशुओं के शरीर पर मालिश करें और अगर पानी कम हो तो और मिल लें। इसको लगाने के कुछ देर बाद पशु के शरीर को बोरी से रगड़कर साफ कर दें, सभी जुएं और चीचड़ खत्म हो जाएंगे।

साभार: पशुपालन विभाग, जयपुर, राजस्थान

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