पंजाब में लग्जरी कारों से महंगे हैं ये भैंसे, जानिए क्यों?

Update: 2019-01-16 05:44 GMT

लुधियाना। अभी तक आपने लोगों में कुत्ता, बिल्ली, खरगोश को पालने के शौक के बारे में सुना होगा लेकिन पंजाब में किसान अपने शौक के लिए भैंसा पालन करते हैं पंजाब की लगभग हर डेयरी में आपको एक या दो भैंसा देखने को मिल जाऐंगे। यह शौक पीढ़ियों से चला आ रहा है।

"अपने मस्ताना (भैंसा) को अपने बेटे जैसा पालते है। आज से नहीं हमारे यहां पीढ़ियों से भैंसा पाला जा रहा है। भैंसा पालना शौक तो है ही साथ ही दूध गुणवत्ता भी अच्छी होती है।'' ऐसा बताते हैं, जलंधर जिले के अजय सिंह। अजय सिंह की डेयरी है, जिसमें नीलरावी नस्ल की 20 भैंसे हैं। मस्ताना की दिनचर्या के बारे में अजय बताते हैं, '' रोजाना मस्ताना को 10 लीटर दूध, 8 किलो दाना, सेब ,10 किलो हरा चारा, 20 किलो सूखा चारा दिया जाता है। इसके लिए एक आदमी अलग से है जो इसका खाने से लेकर सैर कराने तक पूरा ध्यान रखता है।''

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शौक के अलावा पंजाब के डेयरी किसान अपने भैंसा को पंजाब, यूपी, दिल्ली राजस्थान में होने वाली प्रतियोगिताओं में भी भाग दिलाते हैं। बलि (भैंसा) के मालिक जयसिंह बताते हैं, हमारे यहां भैंसों की सुंदरता, अच्छी नस्ल जैसी कई प्रतियोगिता होती है जिसमें भाग लेते हैं। बलि की वजह से ही हमारी पहचान है। लुधियाना में हर साल प्रतियोगिता भैसा की अच्छी नस्ल की प्रतियोगिता होती है। वर्ष 2017 में अच्छी नस्ल के लिए बलि को पुरूस्कार मिला था।'' जयसिंह अपने बलि को पिछले सात वर्षों से बड़े प्यार से पाल रहे हैं। आज बलि की बदौलत उनको एक पहचान मिली है।


19वीं पशुधन गणना के अनुसार पूरे देश में पशुओं की संख्या 51 करोड़ है, जिसमें दुधारू भैंसों की संख्या 48.64 मिलियन से बढ़कर 51.05 मिलियन हो गई है जो कि पिछली पशुधन गणना से 4.95 प्रतिशत अधिक है।

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बरनाला जिले के कलाला गाँव में रहने वाले जसपाल सिंह भैंसा को शौक के अलावा दूध की गुणवत्ता को सुधारने के लिए पालते हैं। ''अगर आपके पास 10 से 15 भैंसे हैं तो उसके लिए एक भैंसा जरूरी होता है। इससे दूध की गुणवत्ता तो अच्छी होती है साथ ही बच्चे भी अच्छे पैदा होते हैं।''जसपाल ने बताया, "हमारे जिले की हर डेयरी में भैंसा मिल जाएगा। लोग बड़े प्यार से पालते हैं। जैसे डेयरी में गाय-भैंसों का ख्याल रखा जाता है वैसे ही भैंसा का भी जाता है।

भारत में भैंसों की 13 नस्लों में से मध्य हरियाणा की मुर्रा भैंस की मांग सबसे ज्यादा है इस भैंस को 'नस्ल सुधारने' वाला माना जाता है यह नस्ल खासतौर पर अपनी ज्यादा दूध देने की क्षमता की वजह से मांग में है। इसीलिए डेयरी में पशुपालक इन्हीं भैंसों को ज्यादा पालते है। भारत में 54 प्रतिशत दूध भैंसों से प्राप्त होता है।


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बलविंदर सिंह अपने शेरसिंह (भैंसा) को स्वस्थ और सुंदर दिखने के लिए उसके पर हर महीने हज़ारों रूपए खर्च करते हैं। बलविंदर मोगा जिले के रोडे गाँव में डेयरी भी चलाते हैं। बलविंदर बताते हैं, ''रोजाना दूध, गाजर, सेब, हरा चारा खाने को देते हैं इसके अलावा सुबह शाम उसको 5 किलोमीटर सैर पर ले जाते हैं। शरीर पर चमक रहे इसके लिए रोजाना सरसों का तेल भी लगाते हैं। बलविंदर की डेयरी में नीलरावी नस्ल की भैंसे और साहीवाल गाय हैं, जिनसे रोजना 200 किलो दूध का उत्पादन होता है। 

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