यह मुर्गा हर तीन महीने में किसानों को कराता है हजारों की कमाई

Update: 2018-11-19 07:06 GMT

लखनऊ। मांग के चलते मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़, महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों के किसान कड़कनाथ मुर्गा पालन कर अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। तीन से चार महीने में तैयार कड़कनाथ मुर्गें की मांग पूरे देश में तेजी से बढ़ रही है। वहीं अब उत्तर प्रदेश के किसानों ने भी इस मुर्गे को पालने की शुरूआत की है।

एक वर्ष पहले बधवाना गाँव के मोहम्मद शफीक को केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (सिश) ने 72 कड़कनाथ चूजे दिए थे। आज वह उनके अंडे, मांस और चूजों को अच्छे दामों पर बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। शफीक बताते हैं, "बाजार में अंडे की कीमत 40 से 50 रुपए है और मुर्गा 800 से 1000 रुपए प्रति किलो में बिक जाता है , जबकि और प्रजाति के मुर्गें 200 से 300 रुपए तक बिकते है। इसके अलावा इनके चूजों को 100 रुपए में बेचते है। इनकी आमदनी दोगुनी हुई है तो दूसरे किसान भी इनसे चूजे खरीदने लगे।

मोहम्मद शफीक ने जब कड़कनाथ का पालन शुरू किया था तब वह अपने क्षेत्र के इकलौते किसान थे लेकिन आज कई किसान उनसे चूजे खरीदकर इसको व्यवसाय का रूप दे चुके हैं। "अभी मेरे पास 20 मुर्गी जिनसे रोजाना 10 से 12 अंडे मिल जाते हैं। उनमें से आधे अंडों को हैचरी में रख देते हैं और बाकी बाजार में बेच देते हैं।" शफीक ने बताया। " शफीक ने लखनऊ जिले से करीब 30 किमी दूर मलिहाबाद ब्लॉक के बधवाना गाँव में ढ़ाई सौ स्क्वायर फीट में फार्म को बनाया हुआ है। शफीक के पास एक एकड़ जमीन भी हैं जिसमें  धान, गेहूं और आम की खेती करते हैं।

शफीक बताते हैं, "जिन किसानों के आम के बाग हैं वो किसान इन मुर्गों को ज्यादा पाल रहे हैं क्योंकि यह इतना ऊंचा उड़ता है कि आम के पेड़ों पर जाकर बैठता है और वहां के कीड़े-मकोड़े भी खा जाता है। इससे आम के पेड़ों में कीटनाशक भी कम लगता है।"

कड़कनाथ प्रमुख रूप से यह मध्‍यप्रदेश के झाबुआ जिले का मुर्गा है लेकिन इसकी खासियत और मांग के कारण इसे कई राज्यों में पाला जाने लगा है। यह भारत का एकमात्र काले मांस वाला चिकन है। इस मुर्गें का खून और मांस काले रंग का होता है। शोध के अनुसार, इसके मीट में सफ़ेद चिकन के मुकाबले "कोलेस्ट्रॉल" का स्तर कम होता है। अमीनो एसिड" का स्तर ज्यादा होता है।

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान(सिश) के प्रमुख अन्वेषक डॉ मनीष मिश्रा ने बताया, "किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए फार्मर फस्ट योजना चलाई जा रही है, जिसके तहत 100 किसानों को हम लोगों ने चूजे दिए, जिससे आज वह किसान उससे अच्छा मुनाफा कमा रहे है। मलिहाबाद में 28 हजार हेक्टेयर में आम की खेती होती है इसलिए आम आधारित मुर्गी पालन शुरुआत की और जिसके पास बाग है उन किसानों को चूजे कडकनाथ, कैरी दवेंद्र, निर्भीक और श्यामा प्रजाति के चूजों को बांटा।"

अपनी बात को जारी रखते हुए डॉ मिश्रा बताते हैं, "अगर आम की बागवानी के साथ किसान अगर मुर्गी पालन करते है तो किसानों की आय तीन गुनी ज्यादा हो जाता है। किसानों को सुविधा देने के लिए जल्द ही हैचरी लगवाई जाएगी क्योंकि अभी अंडों से चूजा निकलने के लिए इन्हें प्राइवेट हैचरी में रखना होता है, जिससे इनको नुकसान होता है।"

कड़कनाथ मुर्गे को "कालामासी" कहा जाता है। कड़कनाथ के एक किलोग्राम के मांस में कॉलेस्ट्राल की मात्रा करीब 184 एमजी होती है, जबकि अन्य मुर्गों में करीब 214 एमजी प्रति किलोग्राम होती है। इसी प्रकार कड़कनाथ के मांस में 25 से 27 प्रतिशत प्रोटीन होता है, जबकि अन्य मुर्गों में केवल 16 से 17 प्रतिशत ही प्रोटीन पाया जाता है। इसके अलावा, कड़कनाथ में लगभग एक प्रतिशत चर्बी होती है, जबकि अन्य मुर्गों में 5 से 6 प्रतिशत चर्बी रहती है। 

मोहम्मद शफीक से कड़कनाथ मुर्गे के लिए आप भी कर सकते है संपर्क- 7607358304

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