बच्चों की टोली कर रही बड़ों को जागरुक

Update: 2016-07-28 05:30 GMT
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लखनऊ। प्रदेश में गिरते लिंगानुपात की चिंता अब आप भी करें। 1000 बालकों पर 902 बालिकाओं का अनुपात ये आंकड़ा साल 2011 की जनगणना का है। जिसमें अभी थोड़ी और गिरावट की आशंका है। दरअसल,घटती आबादी के साथ ही लिंगानुपात और घट रहा है। जो कि अब सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा है।

इस खतरे से चेताने के लिए यशस्वी कुमुद और उनके जैसे अनेक कार्यकर्ता लगे हुए हैं। यशस्वी कुमुद 24 जुलाई को 17 वर्ष की हो गयी हैं। इतनी कम उम्र में लिंगानुपात, बाल-विवाह, पर्यावरण, माहवारी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर 20 बच्चों की एक टोली बनाकर समुदाय में इन विषयों पर लोगों में समझ जगाने का कार्य कर रही हैं।

अगर लड़कियों के लिंगानुपात आंकड़ों की बात करें तो उत्तर-प्रदेश में 2001 की जनगणना के अनुसार 1000 लड़कों पर 916 लड़कियों का जन्म था। 2011 में यह अंतर 902 रह गया है। जबकि देश में 2001 में 1000 लड़कों पर 927 लडकियां हैं। 2011 में यह अंतर 919 रह गया है।

प्रतापगढ़ जिले के कुंडा तहसील से 20 किलोमीटर दूर उत्तर दिशा में पींग गाँव है। यशस्वी कुमुद (17 वर्ष) बताती हैं कि मेरा ननिहाल पींग गाँव में है। बचपन से ही माँ के साथ यहाँ आना होता था। जब यहाँ के बच्चों के रहन-सहन को देखती थी। तो अपनी और इनकी जिन्दगी में बहुत फर्क महसूस किया। बचपन से माँ को सामाजिक कार्य करते हुए देखती थी और साथ में भी जाती थी। पहले खेल समझती थी लेकिन ये सब मुद्दे हमारी जिन्दगी का हिस्सा बन गये हैं।

“बदरा झूम के आ गये रे, वे तो शोर मचा रहे रे, बधईंयां जोर से गा रहे रे, बिटिया आ गयी हमारे घर रे” इस गाने को यशस्वी पूरे जोशीले अंदाज में गाती हैं। और कहती हैं कि लड़कों के पैदा होने पर हमेशा सोहर गाये जाते थे लेकिन लड़कियों के पैदा होने पर कभी लड़कियों के सोहर नहीं गाये गये। मेरी माँ कुमुद सिंह लड़कियों पर सोहर लिखती हैं। जिसके यहाँ भी लड़की होती हैं तो मैं उनके यहाँ ये सोहर गाती हूँ।

यशस्वी इस समय कक्षा 12 में पढ़ रही है। 9 वर्ष की उम्र में सरोकार संस्था में बच्चों का एक ग्रुप बनाया। यशस्वी बताती हैं कि 20 बच्चों का हमने एक समूह बनाया है | जिसमे सभी वर्ग के बच्चे और दिव्यांग बच्चे भी शामिल हैं। अभी दिल्ली, मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, उज्जैन, खंडवा, ग्वालियर दतिया, उत्तर-प्रदेश में प्रतापगढ़, झांसी, अंदर-प्रदेश के हैदराबाद, पंजाब के चंडीगढ़ आदि राज्यों में अपनी टीम के साथ तमाम प्रस्तुतियों के माध्यम से जागरूकता अभियान चला चुकी हैं।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क 

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