बदहाल रैन बसेरों में कैसे रहें तीमारदार

Update: 2016-01-19 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। राजधानी में दिन पर दिन ठंड लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में सर्द रात में ठण्ड से बचने के लिए सरकारी अस्पतालों में रैन बसेरे बनाए गए हैं, लेकिन तीमारदार अस्पताल के निशुल्क रैन बसेरे में न रहकर,गैर सरकारी रैन बसेरों में 30 रुपए देकर एक रात गुजार रहे हैं।

लाखो रुपए खर्च कर के बनाए गए इन रैन बसेरों की हालत इतनी बुरी है कि वहां तीमारदारों की जगह पर कुत्ते कुत्ते अपनी रात बिताते हैं। रेन बसेरों के रसोईघर का तो पता ही नही हैप्रशासन ने जिन जगहों पर रैन बसेरों की व्यवस्था की है उनकी हालत बद्द से बद्दतर पड़ी है।

चित्रकूट के करवी ब्लॉक के ददरी गाँव से राममूरत (35 वर्ष) बलरामपुर अस्पताल में अपने भाई का इलाज कराने आए हैं और पिछले तीन दिन से रैन बसेरे में रुक कर अपनी रात गुजरते हैं। वो बताते है,''अपने भाई का इलाज कराने आया हूं, दिन तो कट जाता है, लेकिन रात में रहने की समस्या होती है। ज्यादा पैसा नहीं है इसलिए रैन बसेरा में रात गुजार लेते है। ठण्ड बड़ रही है। कोई सुविधा नहीं है रैन बसेरे में रहने के लिए जगह और एक गद्दा है। कमरा चारों तरफ खुला है जिसमें रात में बहुत हवा आती है।’’

उन्होंने बताया, ‘‘एक तो अस्पताल का खर्चा, ऊपर से रहने की कोई व्यवस्था नहीं। इस ठण्ड में रहने में बहुत समस्या हो रही है, रहने के लिए सरकारी कमरा जो चारों तरफ से खुला है और बस एक फटा गद्दा है, जिसमें ठण्ड जाती नहीं।’’ वो आगे बताते हैं, ‘‘कई जगहों पर केवल पुआल ही बिछा दिए गए है, जहां पूरे दिन जानवर पड़े रहते हैं।

सरकारी अस्पताल के कुछ रैन बसेरों की हालत

रैन बसेरे खानापूर्ति भर ही नजर आए। क्योकि इसमें चारों तरफ सिर्फ चादर टांग दिए गए हैं। सफाई और जमीन पर बिछाने के लिए कोई भी इंतजाम नहीं किए गए है। जैसे तैसे लोग यहां अपने इंतजाम से सिर छिपा ही लेते हैं। मेडिकल कॉलेज ट्रामा सेंटर के बाहर तो रैन बसेरा तो है लेकिन केवल टेंट का बना इस रैन बसेरे में ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। वहीँ बलरामपुर अस्पताल में इमरजेंसी गेट के पास पक्का रैन बसेरा बना है, जिसमें आदमी तो नहीं दीखते लेकिन जानवर बैठे ज़रूर दिख जाएंगे।

रिपोर्टर - स्वाती शुक्ला/विनय गुप्ता

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