कृत्रिम गर्भाधान : इन बातों को ध्यान में रखकर पशुपालक बचा सकते हैं, 3300 रूपए
कृत्रिम गर्भाधान की सफलता और व्यापक विस्तार की राह में सबसे बड़ी बाधा पशु की गर्म अवस्था/गर्मी की सही पहचान न कर पाना है I देश में 30-40 प्रतिशत पशु गर्मी में ना होने की अवस्था में गर्भित कराये जाते हैं, जिसकी वजह से वो गर्भधारण नहीं कर पाते हैंI
पशुपालक से अगर एक मदचक्र की गर्मी छुट जाती है तो उसे 21 दिन के दूध उत्पादन तथा पशु के अतिरिक्त खिलाई पिलाई और रखरखाव का खर्च जोड़कर उसे लगभग 3300 रूपए का नुकसान हो जाता है I गर्मी की सही पहचान ना हो पाने की वजह से पशु के ब्यांत का अंतराल बढ़ जाता है, जिससे दूध उत्पादन की तो हानि होती है साथ पशुपालक को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता हैI
यह भी पढ़ें- जानें गर्मियों में पशुओं का आहार कैसा हो
इसका प्रमुख कारण पशु के गर्मी के लक्षणों की सही जानकारी का ना होना हैI भारत में डेरी पशुओं के गर्मी के पहचान की दर 35—40 प्रतिशत ही है मगर इसके बढ़ने की सारी संभावनाएं मौजूद है I
डेयरी पशुओं में गर्मी की सही पहचान न हो पाने के मुख्य कारण
- पशुपालक का गर्मी के लक्षण न देख पाना
- पशुपालक को गर्मी के सही लक्षणों का ज्ञान न होना
- पशुपालक का गर्मी की जांच के लिए पर्याप्त समय न देना
- रात के वक़्त गर्मी की जांच न करना
- पशु के रहने के स्थान पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था न हो पाना
यह भी पढ़ें- चिप बताएगी जानवर दुधारू है या बीमार
गर्मी की जांच के लिए वैज्ञानिक तरीके
- पशुपालक को गर्मी के स्पष्ट लक्षणों की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
- गर्मी की अवस्था में गाय अपनी साथी गाय अथवा सांड के अपने ऊपर चढ़ने के समय शांत भाव से खड़ी रहती है, यह गर्मी की अवस्था का स्पष्ट लक्षण होता हैI
- गर्मी की अवस्था में गायों में समलैंगिकता का स्पष्ट लक्षण देखने को मिलता है I गाय अगर दुसरे गाय पर चढ़ती है जो गर्मी में नहीं है तो चढ़ने वाली गाय असफल हो जायेगी I समलैंगिकता की यह प्रवित्ति अक्सर भैसों में नहीं देखी गयी है I
- पशु के योनी द्धार से पारदर्शी तरल श्लेष्मा का स्राव होता है जो एक चमकदार डोरी के रूप में जमीन तक लटकता रहता है I पुठ्ठो एवं पूंछ पर इस पारदर्शी स्राव का चिपका होना पशु के गर्मी में होने का संकेत देता है और रक्त मिश्रित स्राव का लगा होना पशु के एक या दो दिन पूर्व गर्मी में रहने का संकेत देता है I
- पशु की योनि सूजकर लाल हो जाती है I
- पशु जोर जोर से रंभाता है I
- गर्म पशु दुसरे पशुओं को सूंघता,चाटता और पूंछ उठाता रहता है I
- पशु बार-बार मूत्र त्याग करता है I
- पशु आहार कम खाता हैI
- पशु का दुग्ध उत्पादन घट जाता हैI
- अधिकतर पशु विशेषकर भैंस रात के समय गर्मी में आती है इसीलिए गर्मी की पहचान करने वाले व्यक्ति को रात के समय सक्रिय रहना चाहिए I
- लक्षण देखकर गर्मी की पहचान करने के लिए पशुओं को प्रतिदिन तीन से चार बार किसी खुले स्थान में 20—30 मिनट तक ध्यानपूर्वक अवलोकन करना चाहिए जिसमें एक बार रात का समय जरूर होना चाहिए I