ड्रम सीडर बुवाई से मजदूरी की बचत

Update: 2016-06-15 05:30 GMT
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लखनऊ। मजदूर न मिलने से धान की रोपाई में बहुत परेशानी होती है, साथ ही महंगी होती मजदूरी से खेती की लागत बढ़ जाती है। ऐसे में किसान ड्रम सीडर से खेत में सीधी बुवाई कर सकते हैं, जिससे लागत भी कम आएगी और  समय भी कम लगेगा। 

 बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डॉ. राम कुमार सिंह ड्रम सीडर से धान की बुआई के बारे में बताते हैं, “किसान फिर से छिटकवा विधि से धान की बुवाई  करने लगे हैं, लेकिन छिटकवा विधि से धान की बुवाई करने पर खेत में उगे हुए पौधे एक समान नहीं होते हैं, जिससे अच्छी उपज भी नहीं मिलती है।”

वो आगे कहते हैं, “वहीं ड्रम सीडर से बुवाई करने से बीज एक समान अंकुरित होते हैं, जिससे अच्छी उपज मिलती है।”

बोने का समय: ड्रम सीडर द्वारा अंकुरित धान की सीधी बुवाई मानसून आने से पहले ही जून महीने के शुरुआत में ही कर लेनी चाहिए। नहीं तो एक बार मानसून अाने पर खेत में जरुरत से अधिक जलभराव होने से धान का समुचित विकास नहीं हो पाता है।

बीज दर: ड्रम सीडर से सीधी बुवाई करने के लिए 50-55 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।

धान की किस्में: जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में नरेन्द्र-97, मालवीय धान-2 और देर से पकने वाली किस्मों में नरेन्द्र-369, सरजू-52 जैसी किस्में ड्रम सीडर से बुवाई के लिए सही होती हैं।

जैव उर्वरकों का उपयोग: कतारों की बोनी वाली धान में 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर प्रत्येक एजेटोवेक्टर और पीएसबी जीवाणु उर्वरक का उपयोग करने से लगभग 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर नत्रजन और स्फुर उर्वरक बचाए जा सकते हैं।

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