मुस्लिम की शादी में हिंदुओं वाला कार्ड और जैनों वाला खाना

Update: 2017-05-08 16:26 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर

लखनऊ। धर्म के नाम पर नफरत देश में पिछले कुछ समय से बढ़ती ही जा रही है। इसी नफरत भरे माहौल में साम्प्रदायिक सौहार्द का परिचय देते हुए एक मुस्लिम युवा ने अपनी शादी में कुछ ऐसा किया कि वह लोगों के लिए मिसाल बन गया।

मध्यप्रदेश के झबुआ ज़िले के रानापुरा में रहने वाले मोहम्मद सलीम धार्मिक कारणों से आपसी रिश्तों में आ रही खटास से बहुत परेशान थे। लेकिन उन्हें पता था कि सिर्फ चिंता करने से कुछ नहीं होगा इसके लिए उन्हें कुछ कर के दिखाना होगा ताकि दिलों में बढ़ रही दूरियों को कुछ कम किया जा सके। मोहम्मद सलीम ने अपने भाई मोहम्मद आरिफ से मिलकर एक प्लान बनाया। उन्होंने तय किया कि वह अपनी शादी में हर धर्म की रस्मों को शामिल करेंगे।

इस तरह हुई शादी

इसके लिए मोहम्मद सलीम ने अपनी शादी के कार्ड को हिंदू धर्म के आधार पर छपवाया। उन्होंने कार्ड में ऊपर की तरफ हिंदुओं के भगवान गणेश और राधा-कृष्ण का चित्र छपवाया। कार्ड में लिखी भाषा भी हिंदी थी और उसका तरीका भी हिंदुओं की तरह ही था। शादी की रस्में मुस्लिमों की तरह हुईं लेकिन खाना पूरी तरह से जैन धर्म के अनुसार तैयार करवाया गया था। खाना शाकाहारी था और उसमें प्याज़ व लहसुन का इस्तेमाल भी नहीं किया गया था।

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हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी ख़बर के मुताबिक़, सलीम ने कहा, 'लगभग एक महीने पहले हिंदुओं और मुस्लिमों में किसी बेकार के मुद्दे पर बहस हो गई थी। इसके बाद बात इतनी बढ़ गई कि पत्थरबाज़ी शुरू हो गई और कई लोग घायल हो गए।' सलीम बताते हैं कि घटना के बाद आपसी तनाव बहुत बढ़ गया था। इसलिए मैंने तय किया कि अपनी शादी में कई धर्मों के रीति-रिवाज़ों को शामिल करूंगा। इसके पीछे मेरा उद्देश्य था उन लोगों को भाईचारे का पाठ पढ़ाना जो समाज में तनाव पैदा करना चाहते हैं।

रिश्तेदारों ने किया था विरोध

सलीम बताते हैं कि मेरे कुछ रिश्तेदारों ने इस बात का विरोध भी किया लेकिन मेरा अपना परिवार मेरे साथ था। मेरे परिवार ने पूरी तरह से मेरे फैसले में मेरा साथ दिया और लोगों के सवालों का जवाब भी।

सलीम बताते हैं कि मेरी शादी का समारोह वाकई में खास था और इसमें शामिल हुए लोगों को भी काफी अच्छा लगा। वह कहते हैँ कि मेरा मानना है कि शादी का मतलब सिर्फ दो लोगों का एक रिश्ते में बंधना ही नहीं होता है। शादी करके दो लोग पूरे समाज से भी जुड़ते हैं, यह पारिवारिक संबंधों के साथ-साथ सामाजिक संबंध भी है। इसलिए मैंने यह फैसला लिया था और मैं आज इस फैसले से बहुत खुश हूं।

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