विश्व बैंक की रिपोर्ट: भारत में सड़क हादसों से 75 फीसदी गरीब परिवार हुए और गरीब

विश्व बैंक की नई रिपोर्ट के अनुसार सड़क हादसों के चलते ग्रामीण परिवारों को शहरी परिवारों की तुलना में ज्यादा आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खासकर महिलाओं को सड़क हादसों के बाद आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

Update: 2021-02-23 13:45 GMT
एक दुर्घटना की तस्वीर (फोटो- Narinder Nanu/flickr)

सड़क दुर्घटना का गरीब परिवारों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है, इससे वे गरीबी और कर्ज के दुष्चक्र में फंस जाते हैं। इसके चलते उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। विश्व बैंक की "Traffic Crash Injuries and Disabilities: The Burden on Indian Society" नामक जारी नई रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 75 प्रतिशत से अधिक गरीब परिवारों की आय में कमी का कारण सड़क दुर्घटना है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सड़क दुर्घटना के चलते गरीब परिवारों को 7 महीने से ज्यादा आय का नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं, अमीर परिवार को एक महीने से कम की आमदनी का नुकसान होता है।

विश्व बैंक ने रिपोर्ट बनाने के लिए साल 2020 में मई से जुलाई महीने में अध्ययन किया। इस रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि उच्च आय वर्ग वाले परिवार की तुलना में कम आय वर्ग वाले परिवार के लोग सड़क दुर्घटना में अधिक शिकार हुए हैं।

13 फरवरी 2021 को आई विश्व बैंक की इस रिपोर्ट के अनुसार, जनवरी 2005 से जुलाई 2019 के बीच हुए सड़क हादसों में शहरी इलाकों के 11.6 प्रतिशत परिवारों की तुलना में 44 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों में कम से कम एक मौत हुई है। सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि सड़क हादसे के बाद 50 प्रतिशत महिलाएं अपनी परिवारिक आमदनी कम होने के चलते बुरी तरह प्रभावित हुई हैं और जितने भी ट्रक ड्राइवर सड़क हादसों का शिकार हुए थे, उनमें से किसी ने भी अस्पताल में इलाज के दौरान कैशलैस सुविधा के लिए आवेदन नहीं किया था।

PICTURE- 2: Harry/flickr

इस अध्ययन के लिए एक से ज्यादा चरणों में सर्वेक्षण किया गया। सर्वे में पिछले 15 साल (जनवरी 2005 - जुलाई 2019) में सड़क दुर्घटना के पीड़ित या पीड़ित के परिवार को शामिल किया गया जिन्हें सड़क हादसों में गंभीर चोट आई थी। इसके अलावा उन ट्रक ड्राइवरों का भी सर्वेक्षण किया गया जो सड़क दुर्घटना के शिकार हुए थे।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सड़क दुर्घटना में मरने वाले या घायलों की बड़ी संख्या पैदल यात्री और साइकिल चालकों की थी जो गरीब परिवारों से आते थे। ये सभी अपने परिवार में कमाने वाले थे। अध्ययन में बताया गया है कि ग्रामीण इलाकों में सड़क हादसे के बाद कम आय वाले परिवारों के पीड़ित व्यक्ति के विकलांग होने का जोखिम दोगुना बढ़ जाता है।

रिपोर्ट लॉन्चिंग पर विश्व बैंक के दक्षिणी एशिया क्षेत्र के उपाध्यक्ष हार्टविग शाफर ने कहा, "सड़क दुर्घटना का गरीब परिवारों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ता है, इसके चलते पहले से गरीब परिवार और अधिक गरीबी के दुष्चक्र में फंस जाता है।"

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वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट में सड़क हादसे के आर्थिक नुकसान के अलावा समाजिक नुकसान के बारे में भी बताया गया है। कम आय वाले करीब 64 प्रतिशत परिवारों ने बताया कि सड़क हादसे के बाद उनके जीवनस्तर में गिरावट आई है। 50 प्रतिशत से अधिक परिवारों ने बताया कि सड़क हादसे के बाद उन्हें डिप्रेशन का सामना करना पड़ा।

भारत में सड़क हादसों में हर दिन 400 से अधिक मौतें

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (2018) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में विश्व के वाहनों का सिर्फ एक प्रतिशत ही है लेकिन सड़क हादसों में 10 प्रतिशत मौतें भारत में होती है। भारत में 6 प्रतिशत सड़क हादसे होते हैं। पिछले दशक में सड़क हादसों में 13 लाख लोगों की मौतें हुई थी, जिसमें पांच लाख से ज्यादा लोग घायल हुए थे। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सड़क हादसों में हर दिन 400 से अधिक मौतें होती है, जो कि पूरे विश्व में सबसे ज्यादा है।

PICTURE- 3: Clara and James/flickr

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, "हमने भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों को कम करने के लिए कई सकारात्मक प्रयास किए हैं। समाज के सभी हितधारकों के सहयोग से हम 2025 तक सड़क हादसों के कारण होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत कमी लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

उन्होंने विश्व बैंक की इस रिपोर्ट को लेकर कहा कि यह रिपोर्ट सड़क दुर्घटना के प्रभाव और गरीबी के बीच के संबंध को बताती है। मैं सभी राज्य सरकारों से आग्रह करता हूं कि तुरंत मोटर वाहन (संशोधन) कानून, 2019 लागू करें और सड़क हादसों को कम करने के लिए मिलकर काम करें।

सड़क हादसों का महिलाओं पर प्रभाव

इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ग्रामीण और शहरी महिलाओं पर सड़क हादसों का अलग-अलग असर पड़ता है। रिपोर्ट के अनुसार, कम आय वाले ग्रामीण परिवारों पर सड़क हादसों का सबसे अधिक असर पड़ता है, जो कि 56 प्रतिशत है। वहीं, कम आय वाले शहरी परिवारों पर 29.5 प्रतिशत और उच्च आय वाले ग्रामीण परिवारों पर 39.5 प्रतिशत असर पड़ता है।

परिवार शहरी हो या ग्रामीण, दोनों ही मामलों में परिवार की महिलाओं पर सड़क हादसों का प्रभाव पड़ता है। ऐसे में सड़क दुर्घटनाओं के बाद महिलाओं की जिम्मादारियां बढ़ जाती है, उन्हें परिवार का ज्यादा काम करना पड़ता है। परिवार में पीड़ित व्यक्ति के देखभाल का जिम्मा भी उन्हें ही उठाना पड़ता है।

Photo: thierry viquesnel/flickr

सड़क हादसों के बाद करीब 40 प्रतिशत महिलाओं को अपने कामकाजी पैटर्न में बदलाव करना पड़ा, जबकि करीब 11 प्रतिशत महिलाओं को परिवार को आर्थिक संकट से बाहर निकलने के लिए ज्यादा काम करना पड़ता है।

कुछ ट्रक ड्राइवरों को बीमा और मुआवजे के बारे में है पता

सर्वे में पता चला है कि दो-तिहाई ट्रक ड्राइवरों को थर्ड पार्टी बीमा के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। साथ ही ट्रक ड्राइवरों को कानूनी मुआवजे के बार में भी कोई जानकारी नहीं थी। किसी भी ट्रक ड्राइवर ने अस्पताल में कैशलैस इलाज के लिए आवेदन नहीं किया और न ही सड़क हादसों के बाद सोलेशियम फंड या एक्स-ग्रेटिया योजना के तहत लाभ लेने के लिए आवेदन किया था।

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विश्व बैंक ने सेव लाइफ फाउंडेशन नामक गैर-सरकारी संगठन के साथ मिलकर यह रिपोर्ट तैयार किया है। सेव लाईफ फाउंडेशन के सीईओ पीयूष तिवारी ने बताया कि इस रिपोर्ट के परिणाम उन क्षेत्रों की पहचान करते हैं, जहां तुरंत सुधार की जरूरत है जैसे सड़क हादसों के बाद इमरजेंसी देखभाल, प्रोटोकॉल, बीमा और मुआवजे की व्यवस्था।

इस रिपोर्ट में सड़क हादसों के पीड़ितों और उनके परिवारों को तुरंत आर्थिक, मेडिकल और कानूनी सहायता प्रदान करने की सिफारिश की गई है, जिससे वे जल्द से जल्द ठीक हो सकें।

इस खबर को अंग्रेजी में यहां पढ़ें-

अनुवाद- शुभम ठाकुर

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