मार्च तक बंद हो सकते हैं देश के आधे एटीएम, कैश के लिए मचेगा हाहाकार, लाखों लोगों के रोजगार पर संकट

मार्च 2019 तक देश के कुल 2.38 लाख एटीएम से आधे बंद हो सकते हैं। एटीएम इंडस्ट्री की संस्था दि कॉन्फिडरेशन ऑफ एटीएम इंडस्ट्री की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है

Update: 2018-11-22 07:44 GMT

लखनऊ । नियामकीय बदलावों के कारण देश में एटीमए का परिचालन मुश्किल होता जा रहा है और मार्च 2019 तक कुल 2.38 लाख मशीनों में से आधे बंद हो सकते हैं। एटीएम उद्योग का परिसंघ ने बुधवार को यह बात कही। उद्योग संगठन ने एक बयान में कहा कि एटीएम के बंद होने से हजारों रोजगार प्रभावित होंगे। 

उद्योग संगठन ने एक बयान में कहा कि एटीएम के बंद होने से हजारों रोजगार प्रभावित होंगे। साथ ही सरकार के वित्तीय समावेश के प्रयासों पर भी प्रतिकूल असर होगा। उसने कहा, सेवा प्रदाता देश भर में मार्च 2019 तक 1.13 लाख एटीएम बंद करने को मजबूर हो सकते हैं। इन आंकड़ों में करीब एक लाख बैंक शाखाओं से हटकर लगाये गये एटीएम तथा 15,000 से अधिक व्हाइट लेबल एटीएम शामिल हैं।

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लखनऊ में एटीएम पर सुरक्षा गार्ड मुहैया कराने वाली कंपनी टाइगर सिक्योरिटी गार्ड सर्विस के मैनेजर अजय गिरी ने बताया, " देश भर के लाखों एटीएम पर कई सुरक्षा कंपनियों ने सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर रखे हैं। अगर देश के आधे से ज्यादा एीटीमए बंद हो जाएंगे तो हजरों सुरक्षा कर्मियों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो जाएगा। हम लोग सरकार से मांग करेंगे की इस तरह का कोई कदम न उठाए जिससे देश में बेरोजगारी का संकट और बढ़ जाए।"


इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रो. जीपी त्रिपाठी का कहना है, " कोई भी उद्यम बंद होता है तो निश्चित रूप से इसका नकारात्मक असर पड़ता है। अगर एटीएम बंद होंगे तो हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। सरकार को इस तरफ कुछ सकारात्क प्रयास करने चाहिए।"

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उद्योग ऐसी स्थिति में पहुंच गया है जहां पर व्यापक बदलाव संकट पैदा करेगा। बयान के अनुसार जो बहुसंख्यक एटीएम बंद हो सकते हैं, वे गैर-शहरी क्षेत्र में होंगे। इससे सरकार का वित्तीय समावेश कार्यक्रम प्रभावित हो सकता है क्योंकि लाभार्थी सरकारी सब्सिडी हासिल करने के लिये एटीएम का उपयोग करते हैं।

-अभी देश में 2.38 लाख एटीएम, बंद हो सकती हैं 1.13 लाख
-3,500 करोड़ खर्च आयेगा सिस्टम अपग्रेड, कैश लॉजिस्टिक्स और नोटों के कैसेट बदलने में
-नोटबंदी के बाद एटीएम के सर्विस प्रोवाइडर घाटे में


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उद्योग संगठन ने कहा कि नकद प्रबंधन मानकों को अनिवार्य करने के साथ हार्डवेयर और साफ्टवेयर को उन्नत बनाने तथा नकदी डालने की कैसेट अदला-बदली व्यवस्था समेत हाल में जो नियामकीय बदलाव किये गये हैं, उससे एटीएम का परिचालन व्यवहारिक नहीं रह जाएगा और परिणामस्वरूप ये बंद हो सकते हैं। कैटमी के अनुसार नकदी से संबंधित साजो-सामान और कैसेट स्वैप तरीके से ही उद्योग को करीब 3,000 करोड़ रुपये की चपत लगी है।

एटीएम का रखरखाव करने वाले सेवा प्रदाता, ब्राउन लेबल एटीएम तथा व्हाइट लेबल एटीएम परिचालक अभी भी नोटबंदी के प्रभाव से उबर नहीं पाये हैं। ब्राउन लेबल एटीएम में सेवा प्रदाता एटीएम की हार्डवेयर मशीनों का जम्मिा संभालते हैं। एटीएम के लिये जगह, पट्टा समझौता समेत सभी कार्य उन्हीं का होता है जबकि प्रायोजक बैंक नकद प्रबंधन का जिम्मा संभालते हैं।

वहीं व्हाइट लेबल एटीएम का परिचालन गैर-बैंकिंग वत्तिीय कंपनियां करती हैं। उद्योग के अनुसार उद्योग के लिये स्थिति से पार पाने का एकमात्र रास्ता यह है कि बैंक आगे आये और मानकों के अनुपालन की लागत का वहन करे।  

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