भारत बंद: नए कृषि कानूनों के खिलाफ फिर सड़कों पर उतरे किसान, 26, 27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' आंदोलन का ऐलान

नए कृषि कानूनों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। किसान संगठनों के भारत बंद के ऐलान के बाद देश के कई हिस्सों में किसान पांच नवंबर को सड़कों पर उतरकर रास्ता रोक रहे हैं।

Update: 2020-11-05 06:30 GMT
पंजाब के संगरूर जिले में किसान संगठन के नेता और किसानों ने सड़क पर बैठकर कृषि कानून का विरोध किया। (फोटो साभार स्वराज इंडिया के ट्वीटर हैंडल से)

देश में नये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन देशभर में जारी है। गुरुवार पांच नवंबर को किसान देशव्यापी चक्का जाम कर रहे हैं। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के ऐलान पर हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में किसान कृषि कानूनों के खिलाफ सड़कों पर उतर आये हैं।

चक्का जाम विरोध प्रदर्शन में हरियाणा के 34 किसान संगठनों ने भाग लिया। किसान संगठनों ने गुरुवार पांच नवंबर को 12 से शाम 4 बजे तक सड़कों पर बैठकर प्रदर्शन किया। इसके अलावा किसानों ने 26 और 27 नवंबर को 'दिल्ली चलो' आंदोलन का ऐलान भी किया है।

इस विरोध प्रदर्शन के बारे में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेता योगेंद्र यादव ने बताया, "विरोध पूरे भारत में होगा। प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्वक होगी एंबुलेंस को रास्ता दिया जायेगा। और हमें उम्मीद है कि पुलिस इसमें दखल नहीं देगी। 26 और 27 नवंबर को देशभर के किसान दिल्ली पहुंचकर डेरा डालेंगे।"

उत्तर प्रदेश के संतकबीर नगर में सड़क पर प्रदर्शन के लिए जुटे किसान।

केंद्र की मोदी सरकार संसद के मानसून सत्र में तीन नए कृषि विधेयक लेकर आयी थी। लोकसभा और राज्याभा में पास होने के बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर के बाद तीन कृषि विधेयकों ने कानून का रूप ले लिया। मगर संसद की शुरुआत से ही इन तीनों कानूनों का किसान विरोध कर रहे हैं।

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ये तीनों कानूनों में कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 और कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर 24 सितंबर को और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक 2020 शामिल हैं।

पंजाब में किसान 41 दिन से आंदोलन कर रहे हैं, जबकि रेल रोको आंदोलन छह नवंबर तक जारी रहेगा। आंदोलन के कारण रेलवे ने पंजाब की ओर जाने वाली 44 ट्रेनें रद्द कर दी हैं और 34 के मार्ग बदले गये हैं।

हरियाणा पंजाब बॉर्डर के जिला संगरूर के खनोरी में बैठे धरने पर बैठे किसान नेता योगेंद्र यादव।

पंजाब के कई हिस्सों से किसानों ने गांव कनेक्शन को सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि किसान लुधियाना, पटियाला, अमृतसर, जालंधर सहित पंजाब के सभी जिलों में किसान सड़कों पर जमे हुए हैं। संगरूर में कालाझाड़, लड्डा टोल प्लाजा समेत विभिन्न जगहों पर किसान धरना दे रहे हैं। सड़कों सहित मुख्य मार्गों पर सन्नाटा पसरा है।

उत्तर प्रदेश के जिला लखीमपुर खीरी के मैगलगंज में सपा नेता क्रांति सिंह ने कृषि अध्यादेश के विरोध में भारत बंद के तहत मैगलगंज स्थित लड़की देवी पेट्रोल पंप के पास सैकड़ों किसानों के साथ धरने पर बैठ कर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा।

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किसान नेता और,अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक सरदार वीएम सिंह ने कहा, " केंद्र सरकार के तीनों कानूनों को भले ही सरकार किसान हित में बता रही है लेकिन ये किसान हित में है नहीं। किसान इन कानूनों से मजदूर बनकर रह जायेगा। यह बिल आम किसान के लिए नहीं बल्कि कॉरपोरेट हाउस के लिए है और इसलिए वह इस बिल का विरोध कर रहे हैं जो कि जारी रहेगा।"


पंजाब के किसान संगठनों ने राज्य में मालगाड़ियों पर रोक लगाने के लिये भी केन्द्र सरकार पर निशाना साधा, जिसके चलते राज्य में कोयले, उर्वरकों और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति प्रभावित हुई है। भारतीय किसान संघ (एकता उग्रहान) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा, "चक्का जाम प्रदर्शन के तहत संगरूर, बठिंडा, मनसा, बरनाला, पटियाला में 35 जगहों पर सड़कों को अवरुद्ध किया। हमारा विरोध प्रदर्शन आगे भी जारी रहेगा।"

भारतीय किसान यूनियन (चरूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने कहा कि उन्होंने हरियाणा में करनाल, रोहतक, कैथल, जींद, हिसार और फतेहाबाद समेत लगभग 20 जगह प्रदर्शन किया।

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